धरती पर अब तक कुल 188 उल्कापिंड प्रभावित स्थलों की पुष्टि हो चुकी है और 340 की अभी खोज की जानी बाकी है। अपनी तरह के इस पहले अध्ययन में यह जानकारी सामने आई। उल्कापिंडों की टक्कर से अतीत में धरती और जीवन के विकास को बार बार स्वरूप मिला है।
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बर्लिन: धरती पर अब तक कुल 188 उल्कापिंड प्रभावित स्थलों की पुष्टि हो चुकी है और 340 की अभी खोज की जानी बाकी है। अपनी तरह के इस पहले अध्ययन में यह जानकारी सामने आई। उल्कापिंडों की टक्कर से अतीत में धरती और जीवन के विकास को बार बार स्वरूप मिला है।
उदाहरण के लिए डायनासोरों की समाप्ति क्रिटेशस काल के अंत में इसी तरह की एक महाटक्कर के कारण समझी जाती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि मंगल पर उल्कापिंडों की टक्कर से तीन लाख से अधिक गड्ढे होने की तुलना में पृथ्वी पर बने इस तरह के गड्ढों की संख्या नगण्य सी लगती है और इस तरह के महज 188 गड्ढों की पुष्टि हुई है।
इनमें से भी 60 तलछटों के तले दब गये हैं। धरती पर उल्कापिंडों की टक्कर की संभावना बुनियादी तौर पर मंगल पर होने वाली टक्कर से अलग नहीं दिखाई देती। हालांकि धरती की सतह अधिक तेजी से बदलती है।