मंगल ग्रह से लाए गए पत्थरों का हो रहा विश्लेषण, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान
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मंगल ग्रह से लाए गए पत्थरों का हो रहा विश्लेषण, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ‘क्यूरोसिटी रोवर’ अपनी प्रयोगशाला में मंगल ग्रह से ड्रिल करके लाए गए छोटे पत्थरों के नमूनों का विश्लेषण कर रहा है.

मंगल ग्रह से लाए गए पत्थरों का हो रहा विश्लेषण, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

वॉशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ‘क्यूरोसिटी रोवर’ अपनी प्रयोगशाला में मंगल ग्रह से ड्रिल करके लाए गए छोटे पत्थरों के नमूनों का विश्लेषण कर रहा है.  इस वाहन ने पिछली बार 2016 में वहां पत्थरों में ड्रिलिंग की थी. अक्तूबर 2016 के बाद 20 मई को ‘‘ फीड एक्सटेंडिंग ड्रिलिंग ” नामक एक तकनीक के जरिए क्यूरोसिटी ने पत्थर के एक नमूने में छेद किया था. 31 मई को एक अतिरिक्त तकनीक “ फीड एक्सटेंडेड सैंपल ट्रांसफर ” के जरिए पत्थरों के बुरादे को सफलतापूर्वक इस वाहन में लाया गया ताकि वाहन पर मौजूद खनिज विज्ञान प्रयोगशाला में उसका प्रसंस्करण किया जा सके. 

इस बुरादे को क्यूरोसिटी की रसायनिक प्रयोगशाला तक अगले हफ्ते ले जाया जाएगा. ‘ मार्स साइंस लैबोरेटरी मिशन ’ के परियोजना प्रबंधक जिम एरिकसन ने कहा, “ यह आसान नहीं था.  इस काम को संभव बनाने के लिए हमारी टीम को महीनों काम करना पड़ा. ”

नासा ने एक बयान में कहा कि क्यूरोसिटी के इंजीनियरों द्वारा मंगल से प्राप्त हुए परिणामों के अध्ययन के साथ ही खुदाई के और नमूनों को दूसरी जगह भेजने के नए तरीके की जांच को और बेहतर बनाना जारी रहेगा.  हालांकि मिशन के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट अश्विन वसावदा का कहना है कि यह मिशन के लिए मील का पत्थर साबित होगा. ‘क्यूरोसिटी रोवर’ कार के आकार का एक वाहन है जिसे मंगल ग्रह पर मौजूद एक गड्ढे (गेल क्रेटर) का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है.  

मंगल की धरती पर हेलिकॉप्टर उड़ाएगा नासा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने मंगल ग्रह के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट में एक और कामयाबी जोड़ने की तैयारी में है. नासा 2020 तक मंगल की सतह पर अगली पीढ़ी का का रोवर तैनात करना चाहती है. इसी दिशा में नासा मंगल की सतह पर एक रोवर्स भेजा है. अब वह उस धरती पर एक छोटा हेलिकॉप्टर उड़ाने का काम करना चाहता है. मंगल की सतह पर इस तरह का एयरक्राफ्ट पहली बार उड़ाया जाएगा. रिमोट कंट्रोल से संचालित इस हेलिकॉप्टर का वजन करीब 4 पाउंड के बराबर है.

ये हेलिकॉप्टर पतले ब्लेड के सहारे उड़ान भरता है. नासा का कहना है कि इनके पंखों की स्पीड 3 हजार आरपीएम है. जमीन पर हेलिकॉप्टर 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. मंगल का वातावरण सिर्फ 1 फीसदी पृथ्वी जैसा है, इसलिए यहां इसकी ऊंचाई पृथ्वी की एक लाख फीट ऊंचाई के समान है.

इनपुट भाषा से भी 

 

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