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नयी दिल्ली: स्कूली छात्र समेत खगोल विज्ञान के प्रति जिज्ञासा रखने वाले कई लोग नये ग्रह या क्षुद्रग्रहों की खोज की आकांक्षा रखते हैं।
पिछले छह वर्षों में देश भर के कई शौकिया खगोलविदों और छात्रों ने शहर के एक संगठन स्पेस की मदद से अखिल भारतीय क्षुद्रग्रह खोज अभियान (एआईएएससी) के तहत खोज की है। क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करने वाले खगोलीय पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत बड़े नहीं होते और अमूमन मंगल और बृहस्पति के बीच पाये जाते हैं।
अब इस वर्ष के अपने एआईएएससी कार्यक्रम के तहत स्पेस ने इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कोलैबरेशन (आईएएससी) के सहयोग से भारतीय छात्रों को अंतरिक्ष में विचरण कर रहे क्षुद्रग्रहों संबंधी नासा के डेटाबेस को और समृद्ध बनाने का अवसर दिया है। देश भर की 90 टीमों को कार्यकम के लिए चुना गया है जिसकी शुरआत 27 जून से होगी और दो चरणों में यह कार्यक्रम इस वर्ष के 23 अगस्त तक चलेगा। प्रत्येक टीम में दो प्रतिभागियों को रखा गया है।
नासा के तत्वावधान में वृहत पैमाने पर शुरू किये गये एस्ट्रॉयड ग्रैंड चैलेंज (एजीसी) का उद्देश्य क्षुद्रग्रहों की पहचान के लिए छात्रों और विज्ञान में रूचि रखने वाले आम लोगों को प्रेरित करना है ताकि वे हमारे ग्रह के लिए उनसे उत्पन्न होने वाले खतरे और उनके अन्य पहलुओं के बारे में अध्ययन करें।