'पक्षियों को नहीं होते कान, सुनने के लिए सिर का लेते हैं सहारा'
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'पक्षियों को नहीं होते कान, सुनने के लिए सिर का लेते हैं सहारा'

विभिन्न कोणों से आ रही आवाजों को सुनने के लिए पक्षी अपने सिर का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि स्तनधारियों की तरह पक्षियों के बाहरी कान नहीं होते। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

'पक्षियों को नहीं होते कान, सुनने के लिए सिर का लेते हैं सहारा'

लंदन : विभिन्न कोणों से आ रही आवाजों को सुनने के लिए पक्षी अपने सिर का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि स्तनधारियों की तरह पक्षियों के बाहरी कान नहीं होते। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

अध्ययन के मुताबिक, पक्षियों को बाहरी कान नहीं होते, लेकिन इसका काम वह अपने सिर से लेते हैं। इस माध्यम से ही वह पता लगा लेते हैं कि आवाज उनके ऊपर से आ रही है या नीचे से या कहीं और से। जर्मनी के टेस्निक यूनिवर्सिटी मुंचेन (टीयूएम) के मुख्य अध्ययनकर्ता हैंस ए. स्नाइडर ने कहा, 'पहले माना जाता था कि चूंकि पक्षियों के बाहरी कान नहीं होते, इसलिए वे विभिन्न ऊंचाइयों से आ रही आवाजों में फर्क नहीं कर पाते।'

उन्होंने कहा, 'लेकिन एक मादा श्यामापक्षी यह पता लगाने में सक्षम पाई गई कि उसका साथी नर पक्षी उससे थोड़ी ऊंचाई पर ऊपर स्थित है।' स्नाइडर ने कहा, 'दरअसल, उनका अंडाकार सिर ध्वनि ऊर्जा को ठीक उसी तरह रूपांतरित करता है, जिस तरह बाहरी कान करता है।' यह निष्कर्ष पत्रिका 'पीएलओएस वन' में प्रकाशित हुआ है।

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