मस्तिष्क कुछ इस तरह से लेता है जोखिम भरा फैसला
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मस्तिष्क कुछ इस तरह से लेता है जोखिम भरा फैसला

मस्तिष्क के उस हिस्से की पहचान की गई है, जो अनिश्चितता के बीच फैसले लेने का काम करता है। वैज्ञानिकों ने बताया है हमारे दिमाग के अंदर क्या चल रहा होता है, जब हम किसी जोखिम या सुरक्षित फैसले का चुनाव करते हैं।

मस्तिष्क कुछ इस तरह से लेता है जोखिम भरा फैसला

न्यूयॉर्क : मस्तिष्क के उस हिस्से की पहचान की गई है, जो अनिश्चितता के बीच फैसले लेने का काम करता है। वैज्ञानिकों ने बताया है हमारे दिमाग के अंदर क्या चल रहा होता है, जब हम किसी जोखिम या सुरक्षित फैसले का चुनाव करते हैं।

रोजमर्रा के जीवन में लोगों को अक्सर अपने लिए सुरक्षित और बेहतर विकल्प या जोखिम भरे फैसले लेने होते हैं। लेकिन जब फैसले लेने होते होते हैं तो दिमाग में बहुत उथल-पुथल मची होती है। यह किसी व्यक्ति के जीवन पर गंभीर असर डालता है।

निष्कर्ष बताते हैं कि वेंट्रल पैलिडियम में वैल्यू कोडिंग न्यूरॉन का समूह, मस्तिष्क का वह हिस्सा है, डोपामाइनन के स्तर को नियंत्रित करने में खास भूमिका निभाता है। यह अणु न्यूरॉन्स के बीच संकेत देने का काम करता है, जिससे हमें अच्छा महसूस होता है। यह तब निष्क्रिय हो जाता है, जब व्यक्ति किसी सुरक्षित विकल्प की जगह जोखिम भरा काम चुनता है।

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर इल्या मॉनसोव ने कहा, वेंट्रल पैलिडियम डोपामाइन न्यूरॉन्स को रोकने का काम करता है, और जोखिम भरे फैसले के चुनाव से डोपामाइन का स्राव बढ़ जाता है।

अध्ययन में यह भी पता चला है कि मस्तिष्क के जिस हिस्से में यह न्यूरॉन्स पाए जाते हैं, उसे मिडियल बेसल फोरब्रेन कहते हैं। बंदर पर किए गए परीक्षण में यह देखा गया कि जोखिम लेने के फैसले के बाद यह हिस्सा में उनमें ज्यादा सक्रिय हो गया। लेकिन अपने जोखिम भरे फैसले के परिणाम स्वरूप उन्हें सीखने का मौका मिला।

मिडियल बेसल फोरब्रेन मस्तिष्क का वह भाग है, जो कार्टिकल ब्रेन के बड़े भाग को सूचनाएं देने का काम करता है। यह सीखने और याददाश्त से जुड़ा होता है। मोनोसोव कहते हैं, यह बताता है कि एक अनिश्चित विकल्प को चुनना सीखने का एक महत्वपूर्ण भाग है।

द जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित अपने अध्ययन में मॉनसोव ने गौर किया, जब लोग अनिश्चित होते हैं, वे अनिश्चिता के समाधान के लिए काम करते हैं। वे समाधान खोजने के लिए कई अनिश्चित विकल्प की छानबीन करते हैं और अपने प्रतिक्रियाओं के परिणाम से सीखते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन से मनोवैज्ञानिक और मानसिक विकृतियों जैसे जोखिम को लेकर गलत राय बनाने और चिंता से जुड़ी विकृतियों के उपचार में मदद मिल सकेगी।

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