केरल में खोजी गई केंचुओं की दो नयी प्रजातियां
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केरल में खोजी गई केंचुओं की दो नयी प्रजातियां

केंचुआ जमीन के भीतर रहकर उसे उपजाऊ बनाता है. 

केंचुए की ये नयी प्रजातियां प्राचीन मोनिलिगैस्ट्रिडी से संबंधित हैं.   (प्रतीकात्मक फोटो)

तिरूवनंतपुरम : वैज्ञानिकों को केरल के पश्चिमी घाटों की पर्वतीय श्रृंखलाओं में केंचुओं की दो प्राचीन प्रजातियों का पता चला है. केरल की महात्मा गांधी यूनीवर्सिटी और हिमाचल प्रदेश की शूलिनी यूनीवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि केंचुओं की इन नयी प्रजातियों का नाम द्रविड़ पॉलिडाइवर्टिकुलाटा और द्रविड़ थॉमसी रखा गया है और इनमें कई विशिष्ट गुण मौजूद हैं.

द्रविड़ पॉलिडाइवर्टिकुलाटा के अगले हिस्से का भाग डाइवर्टिकुलम कहलाता है जो इस प्रजाति के सदस्यों में बेहद विशिष्ट है. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ये प्रजातियां इराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान, पम्पादून शोला राष्ट्रीय उद्यान और चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य सहित मुन्नार क्षेत्र के संरक्षित शोला घास के मैदानों में फैली थीं.

केंचुए की दूसरी नयी प्रजाति द्रविड़ थॉमसी को मलप्पुरम और कोझिकोड के बीच सीमा पर स्थित कक्कादाम्पोयिल के निकट कोझीप्पाड़ा जल प्रपात से एकत्र किया गया था.

ये नयी प्रजातियां प्राचीन मोनिलिगैस्ट्रिडी से संबंधित हैं. वैज्ञानिकों ने इसी प्रजाति की ऐसी पांच और प्रजातियों की मौजूदगी की रिपोर्ट दी है, जिन्हें इससे पहले कभी राज्य में देखा नहीं गया था.

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