Zee जानकारी : जब महिला किसी बच्चे को जन्म देती है, तब एक मां का भी जन्म होता है
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Zee जानकारी : जब महिला किसी बच्चे को जन्म देती है, तब एक मां का भी जन्म होता है

हम हम जिस खबर का विश्लेषण करने वाले हैं वो माओं के जन्म से जुड़ी है। आपको लग रहा होगा कि जन्म तो बच्चों का होता है। फिर हम मां के जन्म की बात क्यों कर रहे हैं। तो आपको पता होना चाहिए कि जब कोई महिला किसी बच्चे को जन्म देती है, तब एक मां का भी जन्म होता है। इसलिए आज हम बच्चे और मां के बीच इसी अनूठे बंधन का डीएनए टेस्ट करेंगे।

Zee जानकारी : जब महिला किसी बच्चे को जन्म देती है, तब एक मां का भी जन्म होता है

नई दिल्ली : हम हम जिस खबर का विश्लेषण करने वाले हैं वो माओं के जन्म से जुड़ी है। आपको लग रहा होगा कि जन्म तो बच्चों का होता है। फिर हम मां के जन्म की बात क्यों कर रहे हैं। तो आपको पता होना चाहिए कि जब कोई महिला किसी बच्चे को जन्म देती है, तब एक मां का भी जन्म होता है। इसलिए आज हम बच्चे और मां के बीच इसी अनूठे बंधन का डीएनए टेस्ट करेंगे।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि खरे सोने को और भी बेहतर किया जा सकता है। लेकिन कोई भी अपनी मां को और सुंदर नहीं बना सकता। महात्मा गांधी ने ठीक कहा था क्योंकि पूरी दुनिया में मां से सुंदर और संवेदनशील कोई और नहीं होता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां का साथ और मां का स्पर्श ये तय कर सकता है कि बच्चा बड़ा होकर कैसा इंसान बनेगा?

University College London और Essex यूनिवर्सिटी द्वारा 16 वर्षों तक 3 से 7 वर्ष के बच्चों पर एक रिसर्च किया गया। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि अगर मां अपने बच्चों के साथ दिन भर में 30 मिनट भी बिताती है। तो बच्चे का विकास बहुत तेज़ी से होने लगता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि जो माएं दिन भर में सिर्फ 30 मिनट भी अपने बच्चों के साथ रहती हैं उनके बच्चे पढ़ाई लिखाई के मामले में अव्वल आते हैं। और बच्चों के सीखने की क्षमता बेहतर होती है।

इसी रिसर्च में दावा किया गया है कि अगर माएं Painting, Singing और Walking जैसी Activities में हिस्सा लेती हैं तो बच्चे सामाजिक रूप से ज्यादा मजबूत बनता है। इसी तरह एक रिसर्च कोलंबिया में भी किया गया है। कोलंबिया में 20 वर्षों तक नवजात बच्चों पर एक रिसर्च हुआ। इस रिसर्च में ऐसे बच्चे शामिल थे जिनका वज़न जन्म के वक्त कम था, या फिर ये बच्चे समय से पहले पैदा हो गए थे..ऐसे बच्चों को Pre-term Child कहा जाता है।

कोलंबिया में हुए रिसर्च में पाया गया कि  जो माएं Pre-term या कम वज़न वाले बच्चों को कंगारू केयर देती हैं। उनके बच्चों में इनफेक्शन का खतरा कम हो जाता है। और बड़े होने पर भी उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है।

कंगारू केयर एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बच्चे के पैदा होने के बाद मां उसे सीने से लगाकर रखती है। इसे ठीक वैसे ही किया जाता है जिस तरह मादा कंगारू अपने बच्चो को अपने पेट के पास बनी थैली में रखती है।

इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना द्वारा भी एक रिसर्च किया गया है। इस रिसर्च का दावा है कि गर्भाव्स्था के दौरान मां के दिमाग का एक विशेष हिस्सा सक्रिय हो जाता है। वैज्ञानिक इसे बेबी ब्रेन कहते हैं। ये बेबी ब्रेन बच्चे के पैदा होने के 2 वर्ष बाद तक भी सक्रिय रहता है। मां अपने दिमाग के इसी विशेष हिस्से के ज़रिए बच्चे के साथ भावनात्मक संबंध स्थापित करती है। और बिना कहे उसकी ज़रूरतों का पता लगा लेती है। अगर आप एक मां हैं तो आपको हमारा ये विश्लेषण ज़रूर देखना चाहिए और अगर आप अपनी मां से प्यार करते हैं तो ये विश्लेषण आपको मां की अहमियत के बारे में वैज्ञानिक तरीके से समझाएगा।

अब आपको मातृत्व के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियां भी दे देते हैं।

मां शब्द दरअसल बच्चों द्वारा मां को दिया गया है क्योंकि दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में बच्चे जो पहला शब्द बोलते हैं उसका उच्चारण मां या मा मा जैसा होता है। इसलिए अंग्रेज़ी में मां को मॉम कहा जाता है। स्पेनिश में MAMA, चाइनीज़ भाषा में भी मां को MAMA ही कहा जाता है, हिंदी में मां, वियतनामीज़ भाषा में ME।

बच्चों द्वारा मां का उच्चारण किए जाने की वजह से ही जन्म देनी वाली महिलाओं को मां या मदर कहा जाता है। मातृत्व के दौरान मां के शरीर में ऑक्सी-टोकिन नामक हार्मोन सक्रिय हो जाता है इसे कडल हार्मोन भी कहा जाता है। इसी हार्मोन की वजह से ही माओं में बच्चे को सीने से लगाने की भावना पैदा होती है। और माएं बच्चे के रोने या थोड़ी सी भी आवाज़ करने पर सचेत हो जाती हैं। इतना ही नहीं माओं और बच्चों के बीच कोशिकाओं का भी आदान-प्रदान होता है। ये आदान-प्रदान यानी गर्भनाल के ज़रिए होता है।

एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने एक मां के शरीर में उसके बच्चे की कोशिकाओं का पता लगाया था। हैरानी की बात ये है कि तब उसके बच्चे की उम्र 27 वर्ष हो चुकी थी। यानी मातृत्व का असर दशकों तक रहता है। माना जाता है कि इंसान का शरीर 45 del तक का दर्द बर्दाश्त कर सकता है। जबकि बच्चे के जन्म के वक्त मां को 57 del तक का दर्द होता है। ये शरीर की 20 हड्डियों के एक साथ टूट जाने जितना दर्द है। आपको बता दें कि Del दर्द मापने की Unit है, हालांकि प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को लेकर वैज्ञानिकों के बीच मतभेद हैं। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है, कि ये ताकत प्रकृति ने सिर्फ मां को ही दी है।

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