Zee जानकारी : कैसे सेल्फी एक मानसिक बीमारी बन गई है?
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Zee जानकारी : कैसे सेल्फी एक मानसिक बीमारी बन गई है?

DNA में अब हम भारत के लोगों की मौत का कारण बनने वाली Kill-fie (किल्फी) का विश्लेषण करेंगे। आपमें से बहुत से लोगों ने ये शब्द पहली बार सुना होगा। वैसे Killfie कोई प्रचलित शब्द नहीं है, बल्कि इसे Kill और Selfie को मिलाकर बनाया गया है। जब सेल्फी लेने की आदत मौत की वजह बन जाती है तो उसे Kill-fie कहा जाता है। ताज़ा ख़बर ये है कि सेल्फी के चक्कर में दिल्ली के दो लड़कों की मौत हो गई, और इनकी उम्र सिर्फ 14 और 15 वर्ष थी। 

Zee जानकारी : कैसे सेल्फी एक मानसिक बीमारी बन गई है?

नई दिल्ली : DNA में अब हम भारत के लोगों की मौत का कारण बनने वाली Kill-fie (किल्फी) का विश्लेषण करेंगे। आपमें से बहुत से लोगों ने ये शब्द पहली बार सुना होगा। वैसे Killfie कोई प्रचलित शब्द नहीं है, बल्कि इसे Kill और Selfie को मिलाकर बनाया गया है। जब सेल्फी लेने की आदत मौत की वजह बन जाती है तो उसे Kill-fie कहा जाता है। ताज़ा ख़बर ये है कि सेल्फी के चक्कर में दिल्ली के दो लड़कों की मौत हो गई, और इनकी उम्र सिर्फ 14 और 15 वर्ष थी। 

इन दोनों लड़कों का नाम था शुभम और यश। ये अपने दोस्तों के साथ एक रेलवे ट्रैक पर सेल्फी लेने के लिए गए थे। लेकिन दोनों ट्रेन की चपेट में आ गए, जिससे उनकी मौत हो गई। इन दोनों बच्चों की मौत के साथ एक बार फिर से सेल्फी के दुष्प्रभावों पर चर्चा शुरू हो गई है। और कुछ लोग सेल्फी पर बैन लगाने की मांग भी कर रहे हैं। शायद आपको पता नहीं होगा कि सेल्फी से होने वाली मौतों का मामला हमारे देश की संसद में भी उठ चुका है। 

अप्रैल 2016 में राज्य सभा सदस्य डॉक्टर K.P. रामलिंगम ने सरकार से सवाल पूछा था कि देश में सेल्फी से बढ़ रही मौतों को रोकने के लिए क्या सरकार की कोई खास दिशानिर्देश हैं? आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पर गृहमंत्रालय ने जवाब दिया कि सरकार के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। और ना ही भारत सरकार के पास ऐसी मौतों को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने का कोई प्रस्ताव है। 

अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने हाल ही में एक रिसर्च किया था, जिसका शीर्षक था 'Me, Myself and My Killfie'। इस रिसर्च में के मुताबिक मार्च 2014 से लेकर सितंबर 2016 तक दुनियाभर में सेल्फी लेते वक्त 127 लोगों की मौत हुई है और कई घायल हुए हैं। और इनमें सबसे ज्यादा लोगों की मौतें भारत में हुई है। मार्च 2014 से लेकर सितंबर 2016 तक भारत में सेल्फी लेते वक्त 76 लोगों की मौत हुई है। दूसरे नंबर पर पाकिस्तान है जहां इस समय के दौरान 9 लोगों की मौत हुई है। 

सवाल ये है कि सेल्फी एक मानसिक बीमारी कैसे बन गई है? 

दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह सोशल मीडिया है। सोशल मीडिया पर ऐसा माना जाता है कि आपकी तस्वीर पर जितने ज्यादा Likes मिलेंगे, आप उतने अधिक लोकप्रिय होंगे। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि सोशल मीडिया के इसी ट्रेंड की वजह से लोग तमाम खतरे उठाकर सेल्फी लेते हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सोशल मीडिया पर तस्वीरें तो सभी पोस्ट कर रहे हैं, लेकिन लोग आपको तभी महत्व देंगे जब आपने कुछ अलग किया होगा। इसी मानसिकता का शिकार होकर लोग खतरनाक जगहों पर सेल्फी लेना पसंद करते हैं। लेकिन ये ट्रेंड लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। 

अमेरिका की ओहायो यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में मुताबिक जो लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा सेल्फ़ी पोस्ट करते हैं वो अहंकार और मनोरोग से पीड़ित होते हैं। 

-आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में हर दिन 10 लाख से ज्यादा selfies ऑनलाइन Post की जाती हैं। 
-वर्ष 2014 के दौरान ब्रिटेन में 1.2 अरब सेल्फ़ी ली गई थीं।
-2015 में गूगल फोटोज में 24 अरब सेल्फी अपलोड की गई थीं।
-सेल्फी लेने वालों में 30% लोगों की उम्र 18 से 24 वर्ष के बीच की होती है।
-Statistics के portal Statista के मुताबिक selfie के लिए सबसे पसंदीदा शहर London है, जहां दुनिया की 14 प्रतिशत से ज्यादा सेल्फी ली जाती हैं। 
-दुनिया भर में सेल्फी लेने के मामले में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे हैं। रूस की राजधानी मॉस्को में पुरुषों के मुकाबले 80% महिलाएं सेल्फी लेती हैं। 

टाइम मैग्ज़ीन के एक रिसर्च में पता चला है कि मनीला के पास मकाती नामक जगह अपनी आबादी के अनुपात में सबसे ज्यादा सेल्फ़ी लेता है। ये आंकड़ा एक लाख की आबादी पर 258 सेल्फ़ी का है। Statista के रिसर्च के मुताबिक 34% लोग अपने परिवार के साथ सेल्फी लेना पसंद करते हैं। जबकि 29% लोगों को अपने दोस्तों के साथ सेल्फी लेना पसंद है। 19 प्रतिशत लोग बिल्डिंग के साथ सेल्फी लेना पसंद करते हैं और 13 प्रतिशत लोगों को पालतू जानवरों के साथ सेल्फी लेना पसंद है। 

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