ओबामा से ट्रंप तक: कैसे अरब के लिए बदल गया अमेरिका का संदेश
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ओबामा से ट्रंप तक: कैसे अरब के लिए बदल गया अमेरिका का संदेश

जब चार जून 2009 को बराक ओबामा काहिरा से दुनिया के मुसलमानों को संबोधित किया, तब उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया के मुस्लिमों के बीच एक नई शुरुआत की, 

ओबामा से ट्रंप तक: कैसे अरब के लिए बदल गया अमेरिका का संदेश

जब चार जून 2009 को बराक ओबामा ने काहिरा से दुनिया के मुसलमानों को संबोधित किया, तब उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया के मुस्लिमों के बीच एक नई शुरुआत की, उन्होंने परस्पर आदर की बात कही. उन्होंने कुरान के हवाले से कहा, 'ईश्वर के प्रति सचेत रहें और हमेशा सच बोलें'. उन्होंने केन्या के एक मुस्लिम परिवार के सदस्य होने के नाते और शिकागो तथा इंडोनेशिया में अपने कार्य के अनुभव को बताया. उन्होंने नई सीख, नई खोज और अमेरिकन इतिहास में इस्लाम के योगदान के बारे में बात की. दुनिया के मुसलमानों के लिए बराक हुसैन ओबामा का संदेश स्पष्ट था: इस्लाम अमेरिका का एक हिस्सा है. fallback

सउदी अरब के रियाद में मुस्लिम देशों को डोनाल्ड ट्रंप का संबोधन स्पष्ट रूप से अलग था. उनका निशाना मुस्लिम देशों के नेताओं पर था ना कि उनकी जनता पर. वे दो अलग धर्मों के बीच सुलह की अपील नहीं कर रहे थे, बल्कि देशों के बीच गठबंधन की बात की. ट्रंप अपनी पहचान साबित करने के लिए उत्सुक थे. उन्होंने अमेरिका में नौकरियां बढ़ाने और आर्मी में रिकॉर्ड निवेश का जिक्र किया. उन्होंने दोनों देशों के बीच 400 बिलियन डॉलर की डील का दावा किया. जिसमें 110 बिलियन सऊदी फनडेड रक्षा खरीद भी है. ट्रम्प ने यह भी आश्वासन दिया कि कार सेल्समैन की तरह वह उनकी मदद करेगा 'सउदी दोस्तों को अमेरिका की रक्षा कंपनियों से अच्छी डील दिलाउंगा'. 

अगर ओबामा एक मानवतावादी की तरह बोले तो ट्रंप एक बिजनेसमैन और राजनीतिज्ञ की तरह बोले. ट्रंप के चुनाव अभियान में उनके स्वर और आशय को ध्यान में रखते हुए अंतिम उद्धरण हैं.

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ट्रंप ने वादा दिया था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो मुस्लिमों पर प्रतिबंध लगाएंगे, रिकॉर्ड के साथ झूठे दावे किए कि न्यू जर्सी में मुस्लिमों ने 9/11 हमले का जश्न मनाया था. राष्ट्रपति बनने के बाद, ट्रंप ऐसी बयानबाजी से मुकर गए. हालांकि उन्होंने मुस्लिमों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की कोशिश की. उन्होंने इतिहास में सबसे खराब राजनीतिक लड़ाई लड़ी. इस्लाम की पवित्र धरती पर ट्रंप ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि उसकी विदेश नीति 'गिव एंड टेक' है. 

सउदी अरब में, डोनाल्ट ट्रंप ने बताया कि वह कैसे अमेरिका को आगे ले जाने में एक राजा की तरह अपने देश को प्यार करता है! न कोई आंतरिक जांच या चुनाव और इसके बारे में चिंता! स्वर्ण पदकधारी के वेश में और अपने हाथ में तलवार के साथ डांस, ट्रंप हर वक्त एक राजनीतिक टूरिस्ट की तरह दिखे जो तस्वीर के लिए यात्रा पर थे. वह वहां दोस्त बनाने या किसी के साथ बंधने के लिए नहीं थे. वह वहां सिर्फ पैसे बनाने के लिए थे. वह वहां मुस्लिम वर्ल्ड को लेक्चर और चेतावनी देने के लिए थे. अमेरिका से उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वह किसी मुद्दे को हल करेगा. जबकि ओबामा ने मध्यपूर्व में क्षमाप्रार्थी की तरह अमेरिका की भूमिका को बताया. ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अमेरिका ने क्या किया. 'हमारे दोस्त कभी भी हमारे समर्थन पर सवाल नहीं उठाएंगे और हमारे शत्रु हमारे समर्पण पर कभी कोई संदेह नहीं करेंगे'

हार्ले डेविडसन रैलियों के साथ सउदी अरब डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के लिए तैयार था. उन्हें ऐसा श्रोता दिया गया जो उन्हें अमेरिकन की तरह स्वीकार करने के लिए तैयार था. ट्रंप के लिए, यह उपयुक्त स्टेज था, दुनिया को बताने के लिए उनके लिए 'पहले अमेरिका' है.

(लेखक dnaindia.com के एडिटर हैं)

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