बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए। दो साल पहले तक केदारनाथ मंदिर के कपाट का खुलना और बंद होना हर साल की रूटीन खबर रहती थीं। वर्ष 2013 में यहां मची प्रकृति की प्रलयंकारी घटना की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी। इस क्षेत्र में प्रकृति संभवत इतनी क्रोधित पहले कभी नहीं हुई होगी। मीलों तक सड़क मार्ग नदी का हिस्सा बन गए थे।
Trending Photos
चन्द्र प्रकाश बुद्धिराजा
(केदारनाथ आपदा के दो साल होने पर)
बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए। दो साल पहले तक केदारनाथ मंदिर के कपाट का खुलना और बंद होना हर साल की रूटीन खबर रहती थीं। वर्ष 2013 में यहां मची प्रकृति की प्रलयंकारी घटना की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी। इस क्षेत्र में प्रकृति संभवत इतनी क्रोधित पहले कभी नहीं हुई होगी। मीलों तक सड़क मार्ग नदी का हिस्सा बन गए थे। चारों ओर केवल तबाही और त्राहि–त्राहि। समय बीत जाने के बाद बहुत सी चीजें सामान्य होने लगती हैं। पिछले साल केदारनाथ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में खासी गिरावट थी। प्रदेश सरकार ने केदारनाथ तक पहुंचने के सभी रास्तों को ठीक करवा दिया है। बताया जा रहा है कि इस बार की सड़के पहले से कहीं अधिक बेहतर हैं।
इस बार कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। अनुमान है कि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या अच्छी खासी रहने की संभावना है। आस्था के सामने कोई बड़ी घटना कुछ क्षण के लिए ठहराव जरूर खड़ा कर देती है लेकिन उसे रोका नहीं जा सकता। दो साल पहले की घटना में कई आश्चर्यजनक घटनाएं भी घटित हुईं जो अब ऐतिहासिक और धार्मिक कथाएं बन चुकी हैं। इनमें से एक बड़ी सी शिला का केदारनाथ मंदिर के पीछे आना और उससे मंदिर का सुरक्षित रहने की हैरतअंगेज घटना को श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से याद करते हैं। अब उस शिला की भी पूरी श्रद्धा से पूजा होती है। इस बड़ी घटना के अलावा अनेक घटनाएं ऐसी भी घटीं जो किसी समाचार-पत्र अथवा खबर का हिस्सा नहीं बन सकी। ऐसी ही एक भयावह लेकिन हैप्पी एंडिंग घटना अंशु कुमार बमबम के साथ घटी जो अपना परिवार के साथ बाबा केदारनाथ, बद्री विशाल सहित स्थानों की तीर्थ यात्रा के लिए उत्तराखंड में पहुंचे हुए थे। अंशु कुमार बमबम पिछले कई वर्षों से ज़ी टीवी में कार्यरत हैं। अगर उस शाम उनके साथ वह आश्चर्यजनक घटना नहीं घटी होती तो उनके परिवार के किसी भी सदस्य का बचना नामुमकिन था।
उस शाम अंशु कुमार बमबम सपरिवार केदारनाथ मंदिर परिसर में थे। उनके साथ पत्नी, बेटी मनु, ससुर सहित कुल नौ सदस्य थे। ससुर जी बाबा के परम भक्त हैं तो अंशु कुमार भी अपने नाम में बमबम होने के कारण खुद को शिव के करीब पाते हैं। उस दिन देवप्रयाग से निकलते ही तेज बारिश शुरू हो गई थी । अंशु बमबम और बारिश का साथ केदारनाथ तक लगातार चलता रहा। बरसात लगातार विकराल रूप ले रही थी। जिन बादलों को देख दिल खुश होता है उन्हें देख किसी अनिष्ट की आशंका हो रही थी। गौरीकुंड से केदारनाथ की ओर जाने के दौरान अंशु की पांच वर्षीया बेटी मनु थर-थर कांपती हुई बेहोश हो गई। बारिश लगातार चल रही थी। मौसम की बगावत और बेटी के बेहोश हो जाने से अब सभी का घबरा जाना स्वाभाविक ही था। ऐसी ही हालत अंशु के साले की बेटी कावेरी की भी होने लगी थी। वह ठंड से कांप रही थी लेकिन बेहोश नहीं थी । उस रात केदारनाथ मंदिर के आसपास रहने का कार्यक्रम था और अगले दिन बद्रीनाथ जाना तय था। मंदिर पहुंच कर जल्दी जल्दी बाबा के दर्शन किए। वहां से तुरंत निकलना बहुत जरूरी हो गया था हालांकि ससुर जी रात केदारनाथ मंदिर में ही बिताने की जिद कर रहे थे। बेटी की हालत को सम्हालने के लिए गर्म कपड़ों और दवाओं की दरकार थी। मंदिर परिसर स्थित एक दुकान से कुछ कपड़े खरीद कर गौरीकुंड के रवाना हो गए ताकि ईलाज करवाया जा सके।
गौरीकुंड में भी दवा-पानी का इंतजाम नहीं हो पाया। बेटी की खराब होती हालत के मद्देनज़र रात होने के बावजूद वे रूके नहीं और रामपुर पहुंच गए। उस रास्ते पर रात को गाड़ी चलाने की मनाही थी। वह किसी भी हालत में वहां रूकना नहीं चाहते थे लेकिन रूकना मजबूरी थी। वहीं एक होटल में रात काटी। सुबह होटल की खिड़की से उफनती नदी का दृश्य देख बड़ी हैरानी हुई कल रात तो बिल्कुल सामान्य वेग से बह रही थी और अब अचानक इतनी खौफनाक कैसे हो गई। तभी गाड़ी वाले की बताई एक खबर ने उनके होश उड़ा दिए। उसने बताया कि जहां से हम लौटे हैं वह इलाका पूरी तरह से बह चुका है और आगे जाने वाली सड़क भूस्खलन के कारण बंद हो गई है। दोनों बेटियां बिल्कुल ठीक-ठाक और इतनी सकुशल थीं कि मानों कुछ हुआ ही नहीं था। बिना किसी दवा के दोनों ठीक हो गई थीं। उनकी अचानक हुई खराब हालत के कारण ही शाम को ही केदारनाथ मंदिर से निकलना पड़ा था। अजीब चमत्कार था बेटी का बेहद बीमार होना और उनके ईलाज के लिए वहां से निकल जाना और पीछे से सब कुछ बह जाना। अगर बेटियां बीमार न होतीं तो उनका पूरा परिवार हमेशा के लिए बहाव में कहीं खो जाता। पूरा परिवार हतप्रभ था, विचार-मात्र से आज भी उनका कलेजा मुंह को आता है। उन्हें लगता है कि किसी अज्ञात देवी ने उनकी बेटियों के माध्यम से उनके परिवार की रक्षा की थी। मजे की बात यह है कि अंशु की बेटी मनु पूछती है कि बद्रीनाथ धाम नहीं देख पाए थे, अब वहां कब जाएंगें। अंशु बमबम का कहना है वे कभी भी अन्धविश्वासी नहीं रहे लेकिन जिंदगी में कई घटनाएं ऐसी हो जाती हैं कि जिनका इन्सान के पास कोई जवाब नहीं होता।