हमें बीमार बना रहे हैं वायरल वीडियो
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हमें बीमार बना रहे हैं वायरल वीडियो

ये पहला मामला नहीं है जब लोग तमाशबीन बनकर हादसों की और तड़पते लोगों की मदद करने के बजाए वीडियो बना रहे थे. इस तरह की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं. यूपी के बलिया में दिनदहाड़े 17 साल की लड़की का कुछ बदमाश पीछा करते हैं और विरोध करने पर उसका गला रेत देते हैं लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता है. चार लड़कों को वहां तमाशबीन बनी भीड़ रोक नहीं पाई. अगर वहां मौजूद लोगों ने उन बदमाशों को रोकने की कोशिश की होती तो शायद 17 साल की रागिनी इस दुनिया में होती.

हर कोई ऐसे हादसों को रिकॉर्ड करके वायरल करना चाहता है.

निदा रहमान

फिल्म अभिनेत्री नेहा धूपिया का चंडीगढ़ में एक्सीडेंट होता है, उन्हें चोट भी लगती है लेकिन लोग नेहा और उनके साथियों की मदद करने की बजाए सेल्फ़ी और ऑटोग्राफ लेने के लिए टूट पड़ते हैं.  लोगों के लिए जरूरी ये नहीं था कि एक्सीडेंट में घायल लोगों की मदद की जाए बल्कि ज़रूरी ये था कि वीडियो बनाया जाए और सेल्फ़ी ली जाए. हालांकि इस हादसे में नेहा धूपिया को कोई गंभीर चोट नहीं आई लेकिन अगर कुछ गंभीर हुआ होता तब भी लोग वीडियो शूट कर रहे होते? हाथों में स्मार्ट फोन लोगों को संवेदनहीन बना रहा है.

ये पहला मामला नहीं है जब लोग तमाशबीन बनकर हादसों की और तड़पते लोगों की मदद करने के बजाए वीडियो बना रहे थे. इस तरह की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं. यूपी के बलिया में दिनदहाड़े 17 साल की लड़की का कुछ बदमाश पीछा करते हैं और विरोध करने पर उसका गला रेत देते हैं लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता है. चार लड़कों को वहां तमाशबीन बनी भीड़ रोक नहीं पाई. अगर वहां मौजूद लोगों ने उन बदमाशों को रोकने की कोशिश की होती तो शायद 17 साल की रागिनी इस दुनिया में होती.

हम थोड़ा और पीछे जाते हैं, दिल्ली में फ्लाई ओवर से एक कार गिरती है लोग कार में मौजूद घायलों की मदद करने के बजाए उनका वीडियो बनाने लगते हैं. किसी का दिल मौत से जूझते नौजवान लड़के-लड़कियों की चीख पुकार सुनकर पिघलता नहीं है बल्कि, हर कोई मौत के इस तमाशे को रिकॉर्ड करके वायरल करना चाहता है. मदद के लिए वो आगे आए जिनके हाथों में स्मार्ट फोन नहीं थे जी हां फ्लाई ओवर के नीचे काम कर रहे मज़दूरों ने घायलों की मदद की.

ऐसी ही रौंगटे खड़े करने वाली तस्वीर रायपुर से आई थी जहां रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के नीचे आने से एक युवक का हाथ कट जाता है वो दर्द से कराहता है. लेकिन लोग उसकी मदद करने की बजाए वीडियो बनाते रहते हैं. दर्द से तड़पता युवक बेहोश हो जाता है और तमाशबीन मोबाइल में उसका दर्द रिकॉर्ड करने में लगे रहते हैं.

झारखंड के राजनगर में बच्चा चोरी के शक में चार युवकों को आदमख़ोर भीड़ बेरहमी से मारती है, कुछ इस हैवानियत का वीडियो बना रहे होते हैं. लहूलुहान, हाथ जोड़े हुए शख़्स भीड़ से जिंदगी की भीख मांगता रहता है लेकिन आदमखोर हो चुकी भीड़ चारों को इस क़दर पीटती है कि उनकी जान चली जाती है. इस घटना का वीडियो लोगों ने बनाया जो वायरल हो गया. हज़ारों लोगों ने इसे शेयर किया और लाखों लोगों ने इसे देखा.

ये घटनाएं सिर्फ़ उदाहरण हैं ऐसे मामले रोज़ाना सामने आते हैं जब लोग हादसों का तमाशा देखते हैं. स्मार्ट फोन लिए हुए लोग मदद को आगे नहीं आते हैं, उनकी दिलचस्पी वीडियो बनाने में, फोटो लेने में ज्यादा होती है ताकि उस वीडियो को देखकर लोगों के मुंह से आह निकले या फिर वो रोमांचित हों.

दरअसल हम जितने स्मार्ट होते जा रहे हैं उतने ही बेदिल भी होते जा रहे हैं, ये सिर्फ़ सांस लेते हुए मरे हुए लोग हैं, जो दूसरे मरने वाले का तमाशा देखते हैं. संवेदनहीनता का स्तर इस क़दर बढ़ गया है कि लोग हर घटना को रिकॉर्ड करना चाहते हैं भले ही उनकी मदद से किसी की जान बच सकती है. आज के वक़्त में जान बहुत सस्ती चीज़ हो गई है जिसको बचाने के लिए कोई ज़हमत नहीं उठाता है.

लोग जब दर्द को एन्जॉय करने लगें, जब कराह, चीख किसी के कानों को सुनाई न दे तो ये हमारे लिए शर्मनाक और सोचने की बात है. टेक्नालॉजी का इस्लेमाल करते-करते लोगों ने अपने दिल को इस्तेमाल करना बंद कर दिया है. लोगों के लिए दिल सिर्फ़ एक मशीनी चीज़ रह गई है जो हमारे शरीर का खून साफ़ करता है ताकि हम ज़िंदा रह पाएं. अब भावनाएं नहीं रहीं, जज़्बात मर रहे हैं, लोग सिर्फ़ भाग रहे हैं.

दरअसल वायरल वीडियोज़ लोगों को बीमार बना रहे हैं, इतना बीमार कि लोगों की संवेदनाएं मर रही हैं, वो सिर्फ़ सांस ले रहे हैं लेकिन वो किसी की मदद को आगे नहीं आते हैं उनकी प्राथमिकता इंसान की ज़िंदगी नहीं सिर्फ़ वीडियो है जो वायरल होगा जिसको लाखों लोग देखेंगे. लोगों को संभलना होगा और इस नशे से बाहर निकलना होगा क्योंकि हो सकता है कि किसी दिन आप मुसीबत में हों, मौत से लड़ रहे हों और कोई आपकी मदद करने के बजाए आपका वीडियो बना रहा हो.
 

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक विषयों पर टिप्पणीकार हैं)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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