भारतीय हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह का कहना है कि सेमीफाइनल में भारतीय खिलाड़ियों कोभावनाओं पर नियंत्रण रख आक्रामक खेल दिखाना होगा.
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मस्कट (ओमान): हीरो एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी के खिताब को बचाने के लिए अब भारतीय हॉकी टीम का सामना शनिवार को सेमीफाइनल में जापान से होगा. भारतीय हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह का कहना है कि वह अपने खिलाड़ियों को भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए आक्रामक प्रदर्शन करते हुए देखना चाहते हैं. टूर्नामेंट का दूसरा सेमीफाइनल पाकिस्तान और मलेशिया के बीच होगा.
अपने अब तक सभी राउंड-रोबिन मैच में भारत को एक भी बार हार का सामना नहीं करना पड़ा है. पहले मैच में उसने ओमान को 11-0 से, फिर चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 3-1 से मात दी. मलेशिया के खिलाफ खेला गया मैच गोलरहित ड्रॉ रहा, वहीं दक्षिण कोरिया के खिलाफ टीम ने 4-1 से जीत हासिल कर अंतिम-4 में कदम रखा.
खेल आक्रमक हो लेकिन भावनाओं पर हो नियंत्रण
टीम के मुख्य कोच हरेंद्र सिंह ने कहा, "मैं अपने खिलाड़ियों को भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए आक्रामक हॉकी खेलते हुए देखना चाहता हूं. सेमीफाइनल मैच बेहद अलग होगा." कोच ने कहा, "प्रीलेमिनरी लीग में जापान के खिलाफ खेले गए मैच के प्रदर्शन और परिणाम का शनिवार को होने वाले सेमीफाइनल मैच में कोई महत्व नहीं होगा."
हरमनप्रीत ने जताई यह उम्मीद
भारतीय टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा, "इस साल खेले गए टूर्नामेंट के मैचों में हमने अच्छी शुरुआत की, लेकिन इसे बेहतर रूप से समाप्त करने में असफल रहे. ओडिशा में इस साल होने वाले विश्व कप को ध्यान में रखते हुए जापान के खिलाफ सेमीफाइनल मैच हमें सही समय पर अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करेगा."
मलेशिया के खिलाफ खुश नहीं थे खिलाड़ियों से
इससे पहले लीग मैच में मलेशिया के खिलाफ खेले गए गोलरहित ड्रॉ मैच ने हरेंद्र सिंह को चिंता में डाल दिया था. मैच के बाद उनका कहना था कि इस प्रकार स्ट्राइकर खिलाड़ियों का गोल करने के मौके गंवाना चिंता की बात है और वे मलेशिया के खिलाफ टीम के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं. इस गोलरहित ड्रॉ मैच के कारण मलेशिया और भारत दोनों के एक ही ग्रुप में रहते हुए 10-10 अंक हो गए थे. हालांकि, भारतीय टीम गोल अंतर के आधार पर शीर्ष पर थी.
बेहतर खेल की उम्मीद थी मलेशिया के खिलाफ
हरेंद्र ने कहा, "जिस प्रकार से स्ट्राइकर लगातार अवसरों को गंवाते गए, मैं उससे खुश नहीं हूं. स्ट्राइकर खिलाड़ियों को और भी कड़ी मेहनत करनी होगी. हर बार किस्मत साथ नहीं देगी." कोच का मानना था कि मॉर्डन हॉकी को खिलाड़ियों द्वारा तेजी से फैसले लेने की गुणवत्ता चाहिए. ऐसे में स्ट्राइकरों को फैसले लेने में तेजी दिखानी होगी, क्योंकि प्रतिद्वंद्वी टीमें हमेशा उन्हें रोकने के लिए तैयार रहेंगी.
(इनपुट आईएएनएस)