पिछली असफलता से सीख लेकर नई रणनीति के साथ उतरेंगे शिवा थापा
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पिछली असफलता से सीख लेकर नई रणनीति के साथ उतरेंगे शिवा थापा

शिवा थापा 2013 में जॉर्डन में आयोजित एशियन कॉन्फेडरेशन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के सबसे कम उम्र के मुक्केबाज थे. 

शिवा थापा ने कहा, मुक्केबाजी में आक्रमण ही सबसे बड़ा हथियार (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : एशियाई खेलों को लेकर उत्साहित भारत के प्रतिभाशाली मुक्केबाज शिवा थापा का मानना है कि इस खेल में आक्रमण ही सबसे बड़ा हथियार होता है और वह एशियाई खेलों में पूरी आक्रामकता के साथ रिंग में उतरने जा रहे हैं. साल 2015 में विश्व एमेच्योर चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके 24 साल के शिवा इंडोनेशिया में 18 अगस्त से दो सितंबर तक होने वाले 18वें एशियाई खेलों के 60 किलोग्राम भार वर्ग में किस्मत आजमाएंगे. लंदन और रियो ओलम्पिक में हिस्सा ले चुके शिवा ने ऑस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन उन्होंने हाल ही में मंगोलिया में उलानबातर कप में कांस्य पदक अपने नाम किया था. 

शिवा ने एशियाई खेलों के लिए जकार्ता रवाना होने से पूर्व एक साक्षात्कार में कहा, "मौजूदा समय में मुक्केबाजी में जो स्कोरिंग प्रणाली शुरू की गई है, उसे ध्यान में रखते हुए आज के समय में आक्रमण आपका सबसे बड़ा हथियार हो गया है. मैंने खुद को आक्रमण शैली में ढाला है. मुझे लगता है कि आज के समय में यह शैली काफी लाभदायक है." 

शिवा 2013 में जॉर्डन में आयोजित एशियन कॉन्फेडरेशन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के सबसे कम उम्र के मुक्केबाज थे. उन्होंने कहा, "मैंने ट्रेनिंग के दौरान खुद को आक्रामक शैली में ढालने की पूरी कोशिश की है. मुझे उम्मीद है कि इंडोनेशिया में यह तकनीक मुझे पदक दिलाने में मददगार साबित होगी." 

असम के रहने वाले शिवा ने 2003 में नोएडा में हुई राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में पहली बार स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने 2012 लंदन ओलम्पिक खेलों में 56 किग्रा वर्ग में क्वालीफाई किया था. हालांकि वह पहले की दौर में हारकर बाहर हो गए थे. इसके अलावा वह 2016 के रियो ओलम्पिक में भी हिस्सा ले चुके हैं. लेकिन वहां भी वह पदक से चूक गए थे. 

थापा ने कहा कि पिछली असफलताओं से उन्होंने काफी कुछ सीखा है और इस बार एशियाई खेलों के लिए वह एक नई रणनीति के साथ उतरने जा रहे हैं. 

अपनी तैयारियों को लेकर थापा ने कहा, " एशियाई खेलों के लिए मेरी तैयारी काफी अच्छी हुई है. टीम हाल ही में इंग्लैंड से लौटकर आई है. इंग्लैंड में हमने 15 दिनों के दौरान काफी अच्छी तैयारी की है. हम इसके लिए मानसिक और शारीकिर रूप से पूरी तरह से तैयार हैं." 

यह पूछे जाने पर कि एशियाई खेलों में कजाखिस्तान जैसे मजबूत मुक्केबाज भी होंगे और इससे उनके लिए यह खेल काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा, उन्होंने कहा, " निश्चित रूप से. एशियाई खेल राष्ट्रमंडल खेलों से एक बड़ा टूर्नामेंट है. इसमें भाग लेने वाले मुक्केबाज भी काफी मजबूत होते हैं. लेकिन हमें खुद पर और अपनी तैयारियों पर विश्वास है. भारतीय मुक्केबाजों ने पिछले एक-दो साल में काफी शानदार प्रदर्शन किया है, जो इस बात को दिखाता है कि अब हम भी काफी मजबूत हैं." 

शिवा ने साथ ही कहा कि एशियाई खेल ओलम्पिक की तैयारियों के लिए खुद को परखने का मौका है. उन्होंने, "इसमें हमारे प्रदर्शन से यह पता चल जाएगा कि ओलम्पिक को लेकर हमारी तैयारी कैसी है? अगर हम इसमें अच्छा करेंगे तो ओलम्पिक के लिए हमारा मनोबल ऊंचा रहेगा." 

शिवा भारत के पहले ऐसे मुक्केबाज हैं जिन्हें वर्ल्ड सीरीज ऑफ बॉक्सिंग में कॉन्ट्रैक्ट मिला और बेंटमवेट कैटेगरी में उनकी तीसरी रैंक है. 

यह पूछे जाने पर कि टीम में विकास कृष्ण और मनोज कुमार जैसे अनुभवी मुक्केबाज हैं और इनसे उन्हें क्या कुछ सीखने को मिलता है, शिवा ने कहा, " टीम में भाई-चारा का माहौल है. खिलाड़ी सकारात्मक रहते हैं. विकास और मनोज दोनों ही युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं. वे हमें अपने प्रदर्शन से प्रेरित करते हैं और हमेशा कुछ न कुछ बताते या सिखाते रहते हैं." 

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