Analysis: झूठा नहीं है कोच शास्त्री के 'बेस्ट टूरिंग इंडियन टीम' का दावा, पर...
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Analysis: झूठा नहीं है कोच शास्त्री के 'बेस्ट टूरिंग इंडियन टीम' का दावा, पर...

भारतीय टीम पांचवें टेस्ट में 464 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 58 रन पर तीन विकेट गंवा चुकी है. यहां से भारत की जीत असंभव लगती है.

भारतीय कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली की जोड़ी इंग्लैंड में सीरीज गंवाने के बाद से आलोचकों के निशाने पर है. (फोटो: PTI)

नई दिल्ली: 'बेस्ट टूरिंग टीम' का रुतबा लेकर इंग्लैंड दौरे पर गई विराट ब्रिगेड की पांचवें टेस्ट में भी हार लगभग तय हो गई है. अगर कोई चमत्कार ना हो, तो यह टेस्ट भी इंग्लैंड ही जीतेगा. पूरी संभावना है कि भारतीय टीम जब इस दौरे के बाद स्वदेश लौटेगी, तो उसके खाते में 1-4 की हार दर्ज होगी. इंग्लैंड में यह हमारी लगातार तीसरी शर्मनाक हार होगी. हम वहां 2011 में 0-4 और 2014 में 1-3 से हारे थे. 

भारत का इंग्लैंड दौरा शुरू होने से पहले से मुख्य कोच रवि शास्त्री ने एक बात बार-बार कही कि यह अब तक की 'बेस्ट टूरिंग इंडियन टीम' है. इस दावे की कलई जल्दी ही प्याज की परतों की तरह खुलने लगी. सुनील गावस्कर से लेकर तमाम दिग्गजों ने इस दावे को सिरे से खारिज किया, लेकिन रवि शास्त्री अड़े रहे. मजेदार बात यह है कि रवि शास्त्री के पास भी अपने दावे के लिए बड़ा 'मजबूत' आधार है और वह झूठा भी नहीं है. 

विदेश में 15 में से 7 मैच जीते
यह सच है कि भारत ने पिछले तीन साल में विदेशी धरती पर जो प्रदर्शन किया, वह पहले नहीं दिखता. भारत ने 2016 से अब तक विदेश में 15 टेस्ट खेले हैं. उसने इनमें से 7 मैच जीते और महज 4 हारे हैं. बाकी तीन में से दो मैच ड्रॉ रहे और एक का नतीजा मंगलवार को आएगा. यानी, भारत की जीत का प्रतिशत करीब 46% रहा है. विदेश में कोई भी टीम इस प्रदर्शन पर गर्व कर सकती है. लेकिन ये क्रिकेट के वे आंकड़े हैं, जिनमें जितना सच रहता है, उतना ही झूठ छिपा होता है... 

इंग्लैंड-द. अफ्रीका में जीत से 3 गुना हार मिली
दरअसल, भारत ने विदेश में खेले गए इन 15 टेस्ट में से 5 मैच श्रीलंका और वेस्टइंडीज में जीते हैं. वह भी 2016 और 2017 में. इसके बाद 2018 में उसने दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे पर 8 टेस्ट खेले, पर उसे सिर्फ 2 मैचों में ही जीत मिली. इस दौरान हम 5 टेस्ट हार गए और छठे मैच में भी हार लगभग तय है. यानी, सिर्फ इन दो सीरीज में ही हमारी जीत का प्रतिशत करीब 25% के करीब गिर जाता है. खास बात यह भी कि हम बाकी मैच ड्रॉ भी नहीं करा पाए. 

...पर अब विदेश का मतलब श्रीलंका नहीं
खेल को बारीकी से समझने वाले जानते हैं कि जब हम क्रिकेट में विदेश कहते हैं, तो उसका मतलब इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और कुछ हद तक न्यूजीलैंड ही होता है. इसीलिए टीम इंडिया भले ही श्रीलंका, वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे में जीत दर्ज करे, भारतीय क्रिकेटप्रशंसकों को वो खुशी नहीं मिल पाती, जो उन्हें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका में जीतकर मिलती. 
 

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भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में 194 और चौथे टेस्ट में 245 रन का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी. इसके चलते टीम की बल्लेबाजी आलोचनाओं का शिकार हो रही है. (फोटो: BCCI)

करीबी हार से खड़े करती है सवाल 
इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज के खात्मे पर भारतीय प्रशंसक निराश हैं और यह बात कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को भी समझना होगा. टीम प्रबंधन को यह देखना होगा कि हम इस साल इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में कम से कम तीन ऐसे मैच हारे, जो हम जीत सकते थे. दक्षिण अफ्रीका में हम पहला टेस्ट 72 रन से हारे. इसके बाद इंग्लैंड में पहला टेस्ट सिर्फ 31 रन और चौथा टेस्ट 60 रन से हारे. 

अब जीत से कम कुछ भी मंजूर नहीं
यह 1980-90 के दशक में भारतीय प्रशंसक ड्रॉ से भी खुश हो जाया करते थे. अब ऐसा नहीं है. अब टीम इंडिया के प्रशंसक जानते हैं कि इस समय हमारी गेंदबाजी विदेशी आक्रमण से भी ज्यादा असरदार है. जो कभी हमारी कमजोरी होती थी, वह अब हमारी ताकत है. ऐसे में क्रिकेट प्रशंसकों को यह सुनना अच्छा नहीं लगता कि हमारी टीम लड़कर हारी. वे अपनी टीम को जीतते देखना चाहते हैं. 

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