Analysis: राजकोट की हार विंडीज क्रिकेट की ताजा तस्वीर है, वहां कोई भी टेस्ट मैच नहीं खेलना चाहता
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Analysis: राजकोट की हार विंडीज क्रिकेट की ताजा तस्वीर है, वहां कोई भी टेस्ट मैच नहीं खेलना चाहता

भारत ने पहले टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज को पारी व 272 रन से हराया. यह भारत की विंडीज पर सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड है. 

वेस्टइंडीज के कप्तान क्रेग ब्रैथवेट के आउट होने पर एकदूसरे को बधाई देते टीम इंडिया के क्रिकेटर. (फोटो: IANS)

नई दिल्ली: भारत ने राजकोट में अपने क्रिकेट इतिहास की वेस्टइंडीज पर सबसे बड़ी जीत दर्ज की. उसने विंडीज को छठी बार पारी के अंतर से हराया. ये सभी जीत पिछले 16 साल में मिली हैं. दूसरी ओर, वेस्टइंडीज की टीम भारत को 1983 के बाद कभी भी पारी से नहीं हरा सकी है. हालांकि, उसने 1948 से 1983 के बीच, यानी 35 साल के अंतराल में भारत को 9 बार पारी से हराया था. 

यह सिर्फ हार-जीत का आंकड़ा नहीं है. यह भारत और विंडीज में बदलते क्रिकेट की तस्वीर है. यकीनन, भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों  के चेहरे इस तस्वीर को देखकर खिल उठेंगे. लेकिन विंडीज क्रिकेट या टेस्ट क्रिकेट प्रशंसकों के लिए इसमें खुशी के साथ निराशा भी छिपी है. 

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विराट कोहली और कुलदीप यादव. (फोटो: PTI) 

1960 से 1980 के दशक तक विश्व क्रिकेट में विंडीज की तूती बोलती थी. कैरेबियाई ‘चिन म्यूजिक’ से दुनिया थरथराती थी. शायद ही कोई बल्लेबाज सर वेस हॉल, एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग, जोएल गार्नर, मैल्कम मार्शल की तेज गेंदबाजी का सामना करना पसंद करता हो. बैटिंग में गैरी सोबर्स, विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, गार्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, रोहन कन्हाई जैसे नाम विरोधियों में खौफ पैदा करते थे. लेकिन आज विंडीज की टीम टेस्ट और वनडे दोनों की विश्व रैंकिंग में टॉप-7 में भी नहीं हैं. 

अब तो हालत यह है कि वेस्टइंडीज की टीम अपने पिछले 9 टेस्ट की 9 पारियों में 200 रन भी नहीं बना सकी (बांग्लादेश-जिम्बाब्वे से मैच शामिल नहीं). राजकोट टेस्ट की बात करें तो ना तो वेस्टइंडीज के गेंदबाज भारतीय बल्लेबाजों को परेशान कर सके और ना ही उसके बल्लेबाज क्रीज पर टिक सके. यह सिर्फ चौथा मौका है, जब विंडीज की टीम भारत के खिलाफ दोनों पारियों में 200 से कम स्कोर बना सका. इस बार तो उसकी टीम तीन दिन भी मैदान पर नहीं टिक सकी. ऐसे वक्त में जब टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता कायम रखने के लिए इसे पांच दिन से घटाकर चार दिन का करने की बहस हो रही हो. टीमों को टू टियर में बांटने की बात हो रही हो, तब विंडीज का प्रदर्शन चिंता पैदा करता है. 

ऐसा नहीं है कि वेस्टइंडीज की टीम में अच्छे क्रिकेटर नहीं है. यह तो टैलेंट के पलायन का मामला है. दरअसल, वेस्टइंडीज के यही क्रिकेटर टी20 क्रिकेट में बड़ी ताकत हैं. वेस्टइंडीज अकेली टीम है, जिसने दो बार टी20 वर्ल्ड कप जीता है. पर विंडीज के ज्यादातर बेहतरीन क्रिकेटर टेस्ट क्रिकेट खेलना ही नहीं चाहते. ड्वेन ब्रावो जैसा खिलाड़ी जो दुनिया की किसी भी टीम और किसी भी फॉर्मेट के प्लेइंग इलेवन में जगह बना सकता है, वह विंडीज के लिए 8 साल से नहीं खेला है. ब्रावो जैसे खिलाड़ियों की यह सूची बहुत लंबी है. 
 

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जीत के बाद पवेलियन लौटते टीम इंडिया के क्रिकेटर. (फोटो: PTI) 

विंडीज क्रिकेट में इस पलायन के लिए खिलाड़ी और बोर्ड एकदूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. पूर्व क्रिकेटर कार्ल हूपर इसके लिए आईपीएल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. हालांकि, शायद वे यह भूल जाते हैं, कि विंडीज क्रिकेट, आईपीएल शुरू होने से सालों पहले से संकट झेल रहा है. हां, ये सच है कि आईपीएल और ऐसी दूसरी लीग की वजह से उसके क्रिकेटरों को बोर्ड से ‘बगावत’ की ताकत जरूर मिल गई है. ऐसे में जब क्रिकेटर और बोर्ड अपनी समस्या नहीं सुलझा रहे हैं, तब विश्व क्रिकेट की सुप्रीम बॉडी आईसीसी का रोल शुरू होता है. और आईसीसी कम से कम अभी तक ऐसी कोई भूमिका नहीं निभा सका है, जिससे कहा जा सके कि विंडीज क्रिकेट को कोई फायदा हुआ है. 

जहां तक राजकोट टेस्ट और टीम इंडिया की बात है तो इस मैच में वह सब कुछ हुआ, जो वह चाहती थी. खासकर पृथ्वी शॉ और रवींद्र जडेजा इस मैच को कभी नहीं भूलेंगे, जिन्होंने यहां अपने करियर का पहला शतक जमाया. अगर केएल राहुल को छोड़ दें तो भारत के लगभग हर खिलाड़ी ने यहां कुछ ना कुछ हासिल किया. अब अगला मैच 12 अक्टूबर से होना है. यह ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले भारतीय टीम का आखिरी टेस्ट मैच होगा. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कप्तान विराट कोहली राहुल को एक और मौका देते हैं, या मयंक अग्रवाल को टेस्ट डेब्यूट का मौका मिलता है. अगर मयंक ऑस्ट्रेलिया टूर के प्लान का हिस्सा हैं, तो उन्हें एक मैच में आजमाने का विकल्प बुरा नहीं होगा. लेकिन तब कप्तान को यह ध्यान रखना होगा कि इससे केएल राहुल का आत्मविश्वास प्रभावित ना हो.

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