B'day Special: टेस्ट करियर में केवल 18 ओवर बैटिंग की, पर ब्रैडमैन से हमेशा हुई तुलना
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B'day Special: टेस्ट करियर में केवल 18 ओवर बैटिंग की, पर ब्रैडमैन से हमेशा हुई तुलना

विजय मर्चेंट का फर्स्ट क्लास में इतना शानदार रिकॉर्ड रहा कि उनके कद्रदान विदेशों में भी थे. इनमें खुद डॉन ब्रैडमैन तक शामिल थे. 

विजय मर्चेंट के खेल की तारीफ उनके विरोधी टीम के खिलाड़ी भी करते थे. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : भारत के महान क्रिकेटर विजय मर्चेंट का शुक्रवार 12 अक्टूबर को 117वां जन्मदिन है. मुंबई के दिग्गज विजय मर्चेंट का घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड रहा, लेकिन बदकिस्तमती से दूसरे विश्वयुद्ध ने उनका अंतरराष्ट्रीय करियर ही खत्म कर दिया. 12 अक्टूबर 1911 को पैदा हुए विजयसिंह माधवजी मर्चेंट केवल 10 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व कर सके थे. विजय मर्चेंट को भारत का 'ब्रैडमैन' कहा जाता था. रिटायर होने के बाद विजय मर्चेंट चयनकर्ता भी रहे. 

  1. केवल 10 टेस्ट मैच ही खेल सके अपने करियर में मर्चेंट
  2. फर्स्ट क्लास में ब्रैडमैन के बाद सबसे बड़ा औसत
     
    II वर्ल्डवार की वजह से अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म

प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बल्लेबाज
22 साल की उम्र में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 1933-34 में अपना पहला टेस्ट खेला था. वे 1951 तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते रहे लेकिन वे कुल केवल 10 टेस्ट ही खेल सके, लेकिन फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका दबदबा बना रहा. उन्होंने 150 मैचों में 71.64 की औसत से रन बनाए. इनमें 45 शतक, और 50 अर्धशतक शामिल हैं. औसत के मामले में वह डॉन ब्रेडमैन (95.14) के बाद वह दूसरे नंबर पर हैं.

सीबी फ्राई ने की थी तारीफ
1936 में इंग्लैंड दौरे पर मर्चेंट ने 47की औसत से 282रन बनाए. वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने, पहले बल्लेबाजी करके सिक्योरिटी इरा की शुरुआत की. इसी साल उन्हें विज्डन 'क्रिकेटर ऑफ द ईयर' घोषित करते हुए सीबी फ्राई ने कहा था, ''चलो मर्चेंट को इंग्लैंड में शामिल करके एक ओपनर के रूप में ऑस्ट्रेलिया ले चलते हैं.'' 

जब डॉन ब्रैडमैन हुए निराश
एक बार ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर विजय मर्चेंट तबियत ख़राब होने की वजह से नही जा सके थे. इस खबर को सुनकर डॉन ब्रैडमैन काफी ज्यादा निराश हो गए थे. मर्चेंट के ना आने पर उन्होंने कहा था कि ये बहुत बुरा हुआ, अब हम उस खिलाड़ी से नही मिल पाएंगे, जो भारतीय खिलाड़ियों में सबसे महान है.

टेस्ट शतक बनाने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी
टेस्ट में मर्चेंट ने 3 शतक लगाए, इनमें से दो शतक अंतिम दो पारियों में बने. मर्चेंट ने अपना आखिरी टेस्ट दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. यह शतक पांच साल के बाद उस समय बने जब 1951 में विजय मर्चेंट 40 साल 21 दिन की उम्र में कोटला में खेल रहे थे. उन्होंने पहली पारी में 154 रन बनाए यह सबसे उम्रदराज खिलाड़ी की ओर से लगाया गया शतक था. 

अजीत वाडेकर को बनवाया कप्तान
1971 में वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय कप्तान चुना जाना था. किसी नाम पर सहमति नहीं बन रही थी. चयनसमिति में शामिल विजय मर्चेंट चाहते थे कि टीम की कमान वाडेकर को सौंपी जाए. इस पर चयनसमिति आधी-आधी बंट गई. तब मर्चेंट ने वाडेकर के पक्ष में निर्णायक वोट दिया. बताते हैं कि मर्चेंट उस मीटिंग में इतने गुस्से में आ गए थे कि बाकी सदस्यों को लगने लगा कि कहींं उन्हें हार्ट अटैक न आ जाए. मर्चेंट को इससे पहले हार्ट अटैक आ चुका था.

दिलचस्प चला मर्चेंट हजारे मुकाबला
दूसरे विश्वयुद्ध के के समय कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला जा रहा था, लेकिन भारत में घरेलू क्रिकेट चलता रहा. मर्चेंट और हजारे एक दूसरे के खिलाफ मैच खेल रहे थे. एक मैच में मर्चेंट ने 243 रन बनाए, जिसके जवाब में विजय हजारे ने 248 नाबाद रनों की पारी खेली. इसके बाद मर्चेंट ने रेस्ट के खिलाफ 250 रनों की पारी खेली. अगले सप्ताह हजारे ने इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 309 रन बनाए, लेकिन मर्चेंट ने 359 रन बनाकर यह रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. इन दोनों के बीच की यह लड़ाई रणजी ट्रॉफी में भी जारी रही. जहां मर्चेंट ने 141 और हजारे ने 101 रन बनाए.

विजय मर्चेंट को रणजी ट्रॉफी के भी ब्रेडमैन कहे जाते हैं. मर्चेंट ने रणजी ट्रॉफी में 3639 रन 98.75की औसत से बनाए. वे सचिन तेंदुलकर से भी कहीं आगे हैं. सचिन इस टूर्नामेंट में 85.62 की औसत से 4281 रन बनाए हैं. 27 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

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