DDCA चुनाव हो सकते हैं रद्द, विनोद राय ने बताया क्यों होगा ऐसा
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DDCA चुनाव हो सकते हैं रद्द, विनोद राय ने बताया क्यों होगा ऐसा

सीओए प्रमुख विनोद राय ने इस बात की संभावना जताई है कि डीडीसीए चुनाव रद्द हो सकते हैं क्योंकि उन्हें कराने में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं हुआ है

सीओए प्रमुख विनोद राय के अनुसार डीडीसीए चुनाव नियमों के मुताबिक नहीं हुआ है. (फोटो : PTI)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई प्रशासकों की समिति के प्रमुख विनोद राय ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के एक दिन पूर्व ही घोषित हुए चुनाव परिणामों को लेकर बड़ा बयान दिया. राय ने मंगलवार को ही चेताया कि डीडीसीए के चुनाव परिणामों को ‘नैतिक और संवैधानिक कमियों के चलते’ रद्द किया जा सकता है. सोमवार को ही रजत शर्मा ने डीडीसीए चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी पूर्व क्रिकेटर मदनलाल को हराया. शर्मा ने पिछले बुधवार को हुए मतदान में 54.40 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की थी. 

  1. सोमवार को डीडीसीए चुनाव परिणाम घोषित हुए थे
  2. रजत शर्मा चुने गए थे डीडीसी नए अध्यक्ष 
  3. लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक नहीं हुए चुनाव

विनोद राय ने इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कहा कि चूंकि यह चुनाव सुप्रीम कोर्ट से अनुमोदित संविधान के अनुसार नहीं कराए गए हैं, इन्हें बाद में रद्द किया जा सकता है. विनोद राय को सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए, पूर्व क्रिकेटर दियाना एदुल्जी के साथ, नियुक्त किया था. राय ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो हितों के टकराव की स्थितियों से बचने के लिए जो नियंत्रण और संतुलन के लिए व्यवस्थाएं दी हैं उन्हें लागू करने में डीडीसीए नाकाम रही है.  

लोढ़ा समिति ने जो हितों के टकराव से बचने के लिए मानदंड तय किए थे, वे काफी सख्त हैं. ओम्बड्समैन और इथिक्स अफसर सुनिश्चित करता है कि  हितों के टकराव के मानदंड कोई प्रतिकूलता नहीं आने दें. मौजूदा चुनाव ओम्बड्समैन और इथिक्स अफसर किसी छानबीन के बिना ही करा लिए गए और उम्मीदवारी की योग्यता पर अभी भी बड़ा सविलिया निशान बना हुआ है. 

अभी तक डीडीसीए हाईकोर्ट के द्वारा नियुक्त किए प्रशासक जस्टिस विक्रमजीत सेन के मातहत था जिन्होंने, दिल्ली में अधिकारियों की ओर से गैरकानूनी नकदी हस्तांतरण के अनेक मामलों के सामने आने के बाद, पद संभाला था. जहां चुनाव में दागी अधिकारियों के रिश्तेदार भी उम्मीदवार थे, ओम्बड्समैन की नियुक्ति चुनाव के आखिरी दिन ही हुई थी. 
राय ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट का आदेश पदाधिकारियों के भाई, पत्नी, बच्चों और रिश्तेदारों को चुनाव लड़ने से नहीं रोकता. लेकिन एक नैतिक अपर्याप्तता का पहलू भी होता है. कानून की भावना से भी लोगों को चलना चाहिए न कि केवल कानून से.

उल्लेखनीय है कि डीडीसीए की तरह ही बीसीसीआई की बाकि ईकाइयों में भी जस्टिस लोढ़ा समितियों की सिफारिशों को उनके संविधान में लागू नहीं किया गया है. बीसीसीआई इसके कई प्रावधानों के खिलाफ भी बताया जा रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बीसीसीआई से संविधान बनाने के सुझाव भी मांगे थे. कोर्ट की आगामी 5 जुलाई को होने वाली सुनवाई में भी डीडीसीए चुनावों का मामला उठ सकता है. 

रजत शर्मा के गुट ने जीता था चुनाव
हाल ही में डीडीसीए के अध्यक्ष पद का चुनाव में रजत शर्मा ने पूर्व क्रिकेटर मदन लाल को 517 वोट से हराया था. सोमवार को डीडीसीए चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए गए थे और रजत शर्मा के समूह ने सभी 12 सीटें जीती थीं.  शर्मा को 1,531 वोट मिले जबकि मदन लाल को 1,004 वोट से संतोष करना पड़ा. मुकाबले में खड़े तीसरे उम्मीदवार वकील विकास सिंह को महज 232 वोट मिले.

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इसके अलाव बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सी के खन्ना की पत्नी शशि उपाध्यक्ष पद के चुनाव में राकेश बंसल से हार गईं थीं. राकेश डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष स्नेह बंसल के छोटे भाई हैं. राकेश ने शशि को 278 वोट से हराया. उन्हें 1,364 जबकि शशि को 1,086 वोट मिले. 

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