B'DAY SPECIAL: भारत का एक ऐसा क्रिकेटर जो टेस्ट करियर में कभी नहीं हुआ रन आउट
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B'DAY SPECIAL: भारत का एक ऐसा क्रिकेटर जो टेस्ट करियर में कभी नहीं हुआ रन आउट

कपिल देव को 2002 में 'क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी' चुना गया. इस मामले में वह सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर से भी आगे निकल गए. 

  देश को पहला वर्ल्ड कप दिलाने वाले 'हरियाणा हरिकेन' का सफरनामा (PIC: WION)
नई दिल्ली: भारत के सफलतम कप्तानों में से एक कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को हुआ था. भारतीय क्रिकेट में कपिल देव को योगदान अतुलनीय है. 1983 में कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने पहली बार वेस्ट इंडीज को हराकर वर्ल्ड कप जीता. कपिल ने नई प्रतिभाओं को निखारने में भी अहम भूमिका निभाई. एक गेंदबाज के रूप में टीम में शामिल हुए कपिल देव ने एक ऑलराउंडर के रूप में वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई. कपिल संभवतः पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने यह दिखाया कि छोटे शहरों से आई प्रतिभाएं भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना रुतबा कायम कर सकती हैं. कपिल देव से जुड़ी एक सबसे बड़ी बात यह है कि वह चोट या खराब फिटनेस की वजह से कभी भी टीम से बाहर नहीं हुए.  
 
भारत को पहली बार वर्ल्ड चैम्पियन बनाने वाले कप्तान कपिल देव को भी टीम से बाहर होना पड़ा था. जून, 1983 में टीम इंडिया चैम्पियन बनी थी. इसके एक साल बाद दिसंबर, 1984 में कपिल देव को टीम से बाहर होना पड़ा था. ऐसा इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान हुआ था. इसी के बाद भारत के दो दिग्गज क्रिकेटर्स सुनील गावस्कर और कपिल देव के बीच विवाद सामने आया था. टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ होम टेस्ट सीरीज खेल रही थी. इसमें उसे 1-2 से हार का सामना करना पड़ा था. सीरीज का चौथा टेस्ट कोलकाता के ईडन गार्डन ग्राउंड पर होना था. इससे पहले ही कपिल देव को टीम से निकाल दिया गया. इसके पीछे सुनील गावस्कर का हाथ होने की बात सामने आई. तब गावस्कर टीम के कप्तान थे.
 
 
दरअसल, इससे पहले दिल्ली में हुए तीसरे टेस्ट में कपिल देव ने कुछ ऐसा किया था, जिससे सिलेक्टर्स उनसे नाराज हो गए थे. कपिल देव और सुनील गावस्कर के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे. 1984 में हुई घटना को माना जाता है, जब कपिल देव टीम से बाहर कर दिए गए थे. गावसकर के मुताबिक, 'दिल्ली टेस्ट के आखिरी दिन कपिल बैटिंग करते हुए बेहद खराब शॉट खेलकर आउट हुए थे. वो भी तब जब टीम मैच बचाने की कोशिश कर रही थी. अच्छे बैट्समैन के इस तरह आउट होने से नाराज सिलेक्टर्स ने कपिल को कोलकाता टेस्ट से ड्रॉप करने का फैसला लिया था.'
 
हालांकि, 2016 में गावस्कर ने एक इंटरव्यू में इस बारे में खुलासा करते हुए खुद को पूरे विवाद से दूर बताया था. उन्होंने कहा था हारती हुई सीरीज में कोई भी कप्तान अपने स्टार खिलाड़ी को बाहर करने जैसा काम नहीं करेगा.
 
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कपिल देव से जुड़ी कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातों पर नजर डालते हैं, उनके जन्मदिन के मौके पर: 
 
1. जन्म: कपिल देव रामलाल निखंज का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़, पंजाब में हुआ.
 
2. परिवार: कपिल के पिता राम लाल निखंड बिल्डिंग और टिंबर कॉन्ट्रेक्टर थे. कपिल की माता का नाम राज कुमारी थी. विभाजन के समय उनका परिवार रावलपिंडी से पंजाब पहुंचा. 
 
3. शिक्षा: कपिल डीएवी स्कूल में पढ़े और 1971 में देश प्रेम आजाद में चले गए.
 
4. प्रभावशाली डेब्यूः नवंबर 1975 में हरियाणा के लिए कपिल ने फर्स्ट क्लास डेब्यू किया. कपिल ने पहले ही मैच में 6 विकेट लिए और पंजाब की पूरी टीम 63 रनों पर ढेर हो गई. कपिल देव ने 1975-76 में 30 मैचों में 121 विकेट लिए. 
 
 
5. लंबा घरेलू करियर: हरियाणा के लिए कपिल 17साल खेले. 1975 से 1992 तक वह लगातार भारतीय टीम के सदस्य रहे. 
 
6. अंतरराष्ट्रीय डेब्यूः 16 अक्टूबर 1978 को फैसलाबाद में कपिल ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में डेब्यू किया. हालांकि उनका डेब्यू में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा और वह केवल एक विकेट ले पाये. उन्होंने सादिक मोहम्मद को आउट किया.
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7. कभी रन आउट नहीं हुएः अपने टेस्ट करियर की 184 पारियों में कपिल देव कभी रन आउट नहीं हुए. 
 
8. 100 विकेट और 1000 रनः कपिल सबसे युवा खिलाडी़ थे जिन्होंने 100 विकेट लिए और 1000 रन बनाए. 8फरवरी 1994 को श्रीलंका के हसन तिकलरत्ने को आउट करके कपिल ने रिचर्ड हैडली के 431 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ दिए. जब कपिल रिटायर हुए तो उनके खाते में 434 विकेट थे. लगातार 8 साल यह रिकॉर्ड उनके नाम रहा. वेस्ट इंडीज के कर्टली वाल्श ने 2000 में उनका यह रिकाॅर्ड तोड़ा. 
 
9. टेस्ट और वन डे में सबसे ज्यादा विकेट: 1988 में कपिल देव ने वन डे में जोएल गार्नर का रिकार्ड तोड़ा. उन्होंने अपने पूरे करियर में 253 वनडे विकेट लिए. उनके रिकॉर्ड को 1994 मे वसीम अकरम ने अपने नाम कर लिया. 
 
10. 1983 का वर्ल्ड कप: 1983 के वर्ल्ड कप में कपिल देव ने शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने 8 मैचों में 303 रन बनाए, 12 विकेट और 8 कैच लिए. जिंबाब्वे के खिलाफ उनकी 175 रनों की अविश्वसनीय पारी ने टीम इंडिया को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाया था. वाद में भारत ने वेस्ट इंडीज जैसी ताकतवर टीम को हराकर वर्ल्ड कप जीता. यह भारतीय क्रिकेट में नए युग की शुरुआत साबित हुआ. 

  1. कपिल खराब फिटनेस की वजह से भी कभी टीम से बाहर नहीं हुए 
  2. कपिल की अगुवाई में भारत ने पहला वर्ल्ड कप 1983 जीता 
  3. वर्ल्ड कप जीतने के एक साल बाद ही कपिल को टीम से बाहर होना पड़ा था
 
11. चार लगातार छक्के: कपिल देव एक आक्रामक बल्लेबाज थे. उन्हें छक्के मारने का बहुत शौक था. 1990 में लाॅड्र्स में हुए टेस्ट मैच में एडी हेमिंग्स को कपिल ने लगातार 4छक्के जड़े जिसकी बदौलत भारत फॉलोऑन बचा पाने में सफल रहा. 
 
12. सतत क्रिकेट: अपने लंबे करियर में कपिल देव ने चोट या खराब फिटनेस की वजह से कभी कोई टेस्ट मैच मिस नहीं किया. वह 16 साल के करियर में 131 टेस्ट मैच खेले.
 
13. दिल से देशभक्त: कपिल देव ने 24 सितंबर 2008 को लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में ओनरेरी इंडियन टेरीटोरियल आर्मी ज्वाइन की. 
 
14. क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी: कपिल देव को 2002 में 'क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी' चुना गया. इस मामले में वह सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर से भी आगे निकल गए. 
 
15. रिटायरमेंट के बाद: 1994 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कपिल देव ने गोल्फ खेलना शुरू किया. 2000 में वह पहले एशियाई खिलाड़ी बने जो लॉरेयूस फाउंडेशन के सदस्य बने. इयान बॉथम और विवियन रिचर्ड अन्य दो क्रिकेटर हैं, जो 40 सदस्यों वाली परिषद के सदस्य रहे हैं. स्टीव वा 2006 में उस समय इसके सदस्य बने जब इसकी सदस्य संख्या 40 से बढ़ाकर 42 की गई.  
 
16. कोचिंग के गुर: 1999 में कपिल देव को भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया. उन्होंने अंशुमान गायकवाड़ की जगह ली, लेकिन उनकी कोचिंग बेहद साधारण रही. मनोज प्रभाकर ने उन्हें मैच फिक्सिंग में भी घसीटा. इस विवाद के बाद कपिल ने कोच पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, बाद में ये आरोप गलत साबित हुए. 
 
17. निजी जीवन: कपिल देव ने रोमी भाटिया से विवाह किया. दोनों के बीच 1979 से मित्रता थी. 1980 में कपिल ने उन्हें प्रपोज किया. 16 जनवरी 1996 में दोनों की एक बेटी हुई अमिया देव.
 
18. आत्मकथाः कपिल देव ने तीन ऑटोबायोग्राफी लिखीं. गॉर्डस डिक्री 1985 में छपी, क्रिकेट माई स्टाइल 1987 में और 2004 में स्ट्रेट फ्रॉम दि हार्ट. 
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इन पुरस्कारों से सम्मानित हुए कपिल देव 
 
1979-80 में अर्जुन अवॉर्ड
1982 में पद्मश्री
1983 में विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर
1991 में पद्म भूषण
2002 में विस्डन इंडियन क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी
2010 में आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम
2013 में सीके नायुडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 

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