लॉर्ड्स टेस्ट में टीम इंडिया की हार के संकेत प्लेइंग इलेवन के सिलेक्शन से ही दिखने लगे थे.
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लॉर्ड्स: लॉर्ड्स टेस्ट में टॉस जीतने के बाद इंग्लिश कप्तान जो रूट ने गेंदबाजी चुनी. उन्होंने कहा, पिच फ्रेश लग रही है. बादल छाए हुए हैं. हमारे पास शुरू में ही विकेट लेने के अच्छे मौके हैं. अब भारतीय कप्तान विराट कोहली की बारी थी. वे बोले, “अगर हम टॉस जीतते तो पहले गेंदबाजी करते. बादल छाए हुए हैं और अगले कुछ दिन ऐसा ही रह सकता है... ” बहरहाल, कोहली ने बादलों की आंखमिचौली वाले इस टेस्ट के लिए अपनी टीम में एक और स्पिनर को शामिल किया.तेज गेंदबाज उमेश यादव की जगह कुलदीप शामिल किए गए. एक तरह से यह हार की तरफ भारत का पहला कदम था. इस फैसले में कप्तान और टीम प्रबंधन की स्टिकनेस दिखी. ऐसा लगा कि वे अपने फैसलों को परिस्थिति के मुताबिक बदलने को तैयार नहीं हैं.
दरअसल, टीम प्रबंधन ने पहले टेस्ट में हार के बाद कुलदीप को लॉर्ड्स में मौका देने का मन बनाया. इसके तीन कारण थे. पहला, बर्मिंघम टेस्ट मैच में टीम की हार. कप्तान कोहली को इस हार ने टीम बदलने की आसान वजह दे दी, जो जीत के बाद भी प्लेइंग इलेवन बदलने के लिए पहचान बना चुके हैं. दूसरा, मिस्ट्रीमैन कुलदीप यादव का वनडे सीरीज में अच्छा प्रदर्शन. तीसरा, लॉर्ड्स में पड़ रही गर्मी.
मौसम को देखते हुए नहीं लिया फैसला
सभी जानते हैं कि लॉर्ड्स टेस्ट का पहला दिन बारिश के कारण रद्द करना पड़ा था. दूसरे दिन भी मैच शुरू होने से पहले बादल छाए हुए थे. बारिश के आसार थे. पर टीम इंडिया एक्स्ट्रा स्पिनर वाले अपने पहले फैसले पर अडिग रही. उसने बादलों से मुंह फेरा और अपने प्लेइंग इलेवन से एक तेज गेंदबाज कम कर लिया. हालांकि, यह हार की एकमात्र वजह नहीं थी. टीम बैटिंग, बॉलिंग और कप्तानी तीनों ही क्षेत्र में फेल हुई. गेंदबाजों का नंबर तो बाद में आया. लॉर्ड्स में सबसे पहले हमारे बल्लेबाजों ने घुटने टेके. पूरी टीम महज 107 रन पर सिमट गई. फिर भारतीय गेंदबाज भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे.
इंग्लिश ऑलराउंडर क्रिस वोक्स ने सैकड़ा जड़ दिया. जिस विकेट पर भारत मुश्किल से 100 का आंकड़ा पार किया. वहीं पर इंग्लैंड की टीम मैच में आउट ही नहीं हुई. उसने करीब 400 रन बनाए और पारी घोषित की. 289 रन से पिछड़ने वाली टीम दूसरी पारी में भी 130 रन ही बना सकी और लॉर्ड्स में तीसरी बार पारी से हार गई.
भारतीय टीम 2011 में 0-4 और 2014 में 1-3 से हारी थी. अब तो इस बात की चर्चा हो रही है कि भारत पांच मैचों की इस सीरीज में कितने टेस्ट हारेगा. हालांकि, हालात इतने भी बुरे नहीं हैं. अच्छी बात यह है कि कप्तान कोहली हार के लिए बहाना नहीं बना रहे हैं. वे मान रहे हैं कि उनकी टीम गलतियां कर रही है. यानी, वे सुधार की गुंजाइश देखते हैं. पर वे भी यह जानते होंगे कि इसके लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा है. भारतीय टीम को इन्हीं खिलाड़ियों के साथ इन्हीं हालात में सीरीज खेलनी है. टीम में बदलाव का विकल्प कम है. तैयारी के लिए दोबारा मौका नहीं मिलने वाला. हां, प्लेइंग इलेवन पर माथापच्ची हो सकती है. टेक्निक और टैम्प्रामेंट पर काम करना होगा क्योंकि इस मैच में तो भारतीय टीम दोनों पारी मिलाकर भी महज 82 ओवर ही खेल सकी, जो एक दिन के निर्धारित 90 ओवर से भी कम है. इन सबके साथ टीम प्रबंधन को अपने खिलाड़ियों का मनोबल भी उंचा रखना होगा. क्रिकेट तकनीक से ज्यादा टैम्प्रामेंट और कॉन्फीडेंस का खेल है. अगर खिलाड़ी इन दो मोर्चों पर कमजोर पड़े तो सीरीज की स्कोर लाइन 0-4 या 0-5 होने में देर नहीं लगेगी.
सीरीज से ज्यादा साख बचाने की जरूरत
भारतीय टीम इस समय दुनिया की नंबर-1 टेस्ट टीम है. ऐसे में अब उसके सामने सीरीज बचाने से ज्यादा साख बचाने की चुनौती है. जाहिर है, ऐसे में अगले मैच में फिर नई प्लेइंग इलेवन देखने को मिल सकती है. इस बार हार्दिक पांड्या, दिनेश कार्तिक और कुलदीप के सिलेक्शन पर तलवार लटक सकती है. पांड्या को स्पेशलिस्ट बल्लेबाज के लिए जगह खाली करनी पड़ सकती है. हालांकि, कोहली के लिए उन्हें बाहर करना, सबसे कठिन फैसला हो सकता है. आठ साल बाद टेस्ट टीम में वापसी करने वाले दिनेश कार्तिक मौके लपकने में नाकाम रहे हैं. वे पहले से ही टीम की पहली पसंद नहीं हैं. ऐसे में युवा ऋषभ पंत उनकी जगह ले सकते हैं. अगर भारत मौजूदा सीरीज को फ्यूचरिस्टिक अंदाज में देखता है तो पंत और करुण नायर की जगह बन सकती है.