दिनेश कार्तिक का कहना है कि जब ‘सर्वश्रेष्ठ फिनिशर’ की बात आती है तो वह अभी खुद को ‘यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट’ मानते हैं जबकि महेंद्र सिंह धोनी ‘टॉपर’ हैं
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चेन्नई : दिनेश कार्तिक भले ही बांग्लादेश के खिलाफ त्रिकोणीय टी20 फाइनल में आठ गेंदों पर नाबाद 29 रन बनाकर देश भर में चर्चा का विषय बने हुए हैं लेकिन इस विकेटकीपर बल्लेबाज का कहना है कि जब ‘सर्वश्रेष्ठ फिनिशर’ की बात आती है तो वह अभी खुद को ‘यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट’ मानते हैं जबकि महेंद्र सिंह धोनी ‘टॉपर’ हैं. कार्तिक ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब धोनी की बात आती है तो मैं अभी यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हूं जबकि वे टॉपर हैं. वे ऐसे खिलाड़ी हैं जिसका मैं हमेशा अनुसरण करता हूं. उनके साथ तुलना अनुचित होगी.’’
दिलचस्प बात यह है कि कार्तिक ने सितंबर 2004 में इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्राफी के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था जबकि धोनी ने इसके तीन महीने बाद दिसंबर में बांग्लादेश के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था. अगले 14 वर्षों में धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान और सीमित ओवरों के सफल क्रिकेटर बने गये जबकि कार्तिक जूझते रहे और मौके का इंतजार करते रहे.
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कार्तिक ने कहा, ‘‘उनका (धोनी) करियर पूरी तरह से अलग था और मेरा करियर पूरी तरह से अलग है. वह बेहतरीन खिलाड़ी है. वह काफी शर्मीला था. आज वह ऐसा व्यक्ति है जो युवाओं की मदद के लिये खुलकर बोलता है. मेरा मानना है कि इस तरह की तुलना पूरी तरह से अनुचित है. जैसे मैंने कहा कि वह संभवत: यूनिवर्सिटी का टॉपर है जबकि मैं अभी पढ़ रहा हूं. मैं जिस स्थिति में हूं उससे खुश हूं.’’
अच्छे कर्म और ईश्वर की कृपा
पिछले डेढ़ दशक से खेल रहे कार्तिक को आखिर में वह चर्चा मिली जिसके वह वास्तव में हकदार थे. इसे वह अपने अच्छे कर्म और ईश्वर की कृपा मानते हैं. कार्तिक ने कहा, ‘‘सभी मेरे बारे में बात कर रहे हैं और इससे अच्छा लग रहा है. मैंने वर्षों में जो अच्छे काम किये उससे मुझे वह छक्का जड़ने में मदद मिली. वह शाट छक्के के लिये चला गया. संभवत: दो मिमी अतिरिक्त से वह छक्का बन गया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिये उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. मैं यह खेल खेलकर खुश हूं. जब आप घरेलू क्रिकेट खेलते हो तो यह कठिन दौर होता है. अचानक इस तरह से चर्चा में आने से अच्छा लग रहा है लेकिन आप यह भी जानते हो कि आप चाहते हो कि कुछ विशेष की शुरूआत हो.’’
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कार्तिक ने इसके साथ ही कहा कि मुंबई के क्रिकेटर अभिषेक नायर के साथ समय बिताने से उन्हें इस खेल के मानसिक पहलू में मजबूती हासिल करने में मदद मिली. उन्होंने कहा, ‘‘वह (अभिषेक नायर) मेरे करियर के पिछले ढाई साल में बेहद महत्वपूर्ण कारक रहा. उसने मुझे मैचों के लिये तैयार होने में मदद की. उसने मुझे रणनीति के अनुसार तैयारी करने में मदद की. वह यह भी जानता है कि कड़ी मेहनत करने का सही तरीका क्या है. वह नदी है और मैं नाव.’’
विजय शंकर के पास कौशल है
कार्तिक ने विजय शंकर का भी बचाव किया जो मुस्तफिजुर रहमान की धीमी गेंदों को समझने में नाकाम रहे. उन्होंने कहा, ‘‘विजय शंकर के पास कौशल है. उसने गेंदबाज के रूप में वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया. जो बल्लेबाजी आलराउंडर हो उसने दबाव में अच्छा खेल दिखाया. मुझे उसका भविष्य वास्तव में उज्ज्वल लगता है. उसका रवैया अच्छा है. वह विशेष प्रतिभा का धनी है और वह लंबे समय तक खेल सकता है.’’
गौरतलब है कि फाइनल मुकाबले में जहां एक और दिनेश कार्तिक ने खुद को साबित किया तो वहीं, हार्दिक पांड्या की जगह श्रीलंका दौरे पर अपनी जगह बनाने वाले विजय शंकर नाकाम रहे.
कुछ खास कमाल नहीं
निडास ट्रॉफी के 5 मुकाबलों में खेलने वाले विजय शंकर ने बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी में भी कुछ खास कमाल नहीं दिखाया. पांचों मैचों में गेंदबाजी करने वाले विजय शंकर ने 102 गेंदें डालकर 153 रन लुटाए और सिर्फ 3 विकेट ही हासिल कर पाए. विजय को बल्लेबाजी का मौका सिर्फ आखिरी मैच में ही मिल पाया. इस मैच में उन्होंने 19 गेंदों में 17 रनों की पारी खेली.
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रोहित शर्मा के उनसे पहले विजय शंकर को भेजने के फैसले से कार्तिक खफा थे लेकिन उन्होंने मुंबई के इस बल्लेबाज की कप्तानी शैली की तारीफ की. कार्तिक ने कहा, ‘‘ उसका (रोहित) सबसे मजबूत पक्ष यह है कि उसने कप्तान के रूप में तीन आईपीएल जीते हैं और उसे टीम की अगुवाई करने की अपनी क्षमता पर विश्वास है. वह काफी होमवर्क करता है. वह रणनीतिक तौर पर मजबूत है. वह कुशल कप्तान है.’’
(इनपुट भाषा)