निडास ट्रॉफी : देश मना रहा था जीत का जश्न, इस खिलाड़ी ने कर लिया था खुद को कमरे में बंद
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निडास ट्रॉफी : देश मना रहा था जीत का जश्न, इस खिलाड़ी ने कर लिया था खुद को कमरे में बंद

निडास ट्रॉफी के फाइनल के अंतिम तीन ओवरों में दिनेश कार्तिक जहां हीरो बन कर उभरे वहीं विजय शंकर ‘जीरो’ बनते बनते रह गए. मैच के बाद विजय का क्या हाल हुआ इसका खुलासा खुद विजय ने किया.

विजय शंकर ने नाजुक मौके पर पांच डॉट बॉल खेलकर मैच भारत के लिए कठिन बना दिया था. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : निडास ट्रॉफी के फाइनल मैच के अंतिम ओवरों का रोमांच जारी था. सत्रह ओवर हो चुके थे. बांग्लादेश के 166 रन के जवाब में भारत का स्कोर चार विकेट के नुकसान पर 132 रन हो चुका था. क्रीज पर मनीष पांडे के साथ विजय शंकर मौजूद थे. भारत के दिग्गज बल्लेबाज रोहित शर्मा, शिखर धवन, सुरेश रैना और केएल राहुल पवेलियन वापस लौट चुके थे. रोहित ने विजय शंकर को दिनेश कार्तिक से पहले भेजा था. 

  1. विजय शंकर निडास ट्रॉफी के फाइनल में जीरो होने से रह गए
  2. 18वें ओवर की पांच गेंदों केवल एक लेग बाय ही ले सके थे
  3. जबकि उससे पहले बांग्लादेश के खिलाफ मैन ऑफ द मैच रहे थे

उस समय मनीष पांडे 26 गेंदों पर 28 रन बना चुके थे जबकि हार्दिक पांड्या की जगह आए विजय शंकर 10 गेंदों पर 12 रन बना चुके थे. भारत को उस समय 18 गेंदों में 35 रन की जरूरत थी. भारत का रन रेट 7.76 था जबकि आवश्यक रनरेट 11.66 थे. दोनों बल्लेबाजों को देख कर लग नहीं रहा था कि मैच भारत के हाथ से निकल चुका है. 

बांग्लादेश के कप्तान शाकिब उल हसन ने 18वां ओवर मुस्तफिजुर रहमान को दिया जिन्होंने तीन ओवर में 21 रन दिए थे. वहीं बल्लेबाजी के लिए रहमान के सामने थे विजय शंकर. मुस्तफिजुर ने पहली चार गेंदे तो इस तरह से फेंकी कि विजय गेंद से बल्लेकी मुलाकात ही नहीं करा पाए. जबकि चारों गेंदे एक ही तरह की थीं ओवर पिच, और बाहर जाती हुई. 

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पांचवी गेंद कुछ उछाल वाली थी लेकिन इस गेंद पर भी विजय गेंद और बल्ले की मुलाकात नहीं करा पाए. गेंद विजय के शरीर पर लगी और टीम इंडिया को एक लेगबाय रन मिला. अंतिम गेंद को मनीष पांडे ने हवा में उछाला लेकिन लॉन्ग ऑन पर शब्बीर रहमान ने उसे लपक लिया. इस तरह से 18वें ओवर में टीम इंडिया को केवल 1 रन ही  मिला और मनीष पांडे का विकेट भी खो दिया. 

अब स्थिति कुछ यूं थी कि भारत के सामने 12 गेंदों पर 34 रन का मुश्किल लक्ष्य था और 19वां ओवर का सामना करना था दिनेश कार्तिक को. इस समय भारतीय प्रशंसक मुरली विजय पर भारी नाराज थे और वे जीत की उम्मीद एक तरह से खो चुके थे. हालांकि उम्मीद दिनेश कार्तिक से जरूर थी लेकिन जीत तो संभव ही नहीं लग रही थी. 

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 शाकिब उस हसन ने इस बार गेंद रूबेल हुसैन को थमाई. रूबेल अब तक के सबसे गेंदबाज रहे थे. उन्होंने 3 ओवर में 13 रन देकर दो विकेट लिए थे. तनाव मैदान के बाहर भी मैदान से ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं था. लेकिन यही वह क्षण था जो परिवर्तन लाने वाला था.
19वें ओवर की पहली गेंद दिनेश कार्तिक का छक्का, दूसरी गेंद चौका, तीसरी गेंद फिर छक्का, चौथी गेंद डॉट गेंद, पांचवी गेंद पर दिनेश कार्तिक ने एक रन को दो में बदल कर आखिरी गेंद की स्ट्राइक अपने पास रखी और फिर आखिरी गेंद पर दिनेश कार्कित का एक और चौका. इस तरह से दिनेश कार्तिक ने छह गेंदों पर  22 रन बना डाले और पूरे मैच का समीकरण बदल डाला. 

19 ओवर के बाद हाल था कि भारत को छह गेंदों में केवल 12 रन चाहिए थे. भारत के लिए चिंता की बात केवल यही थी कि दिनेश कार्तिक नॉन स्ट्राइकर एंड पर थे. जबकि बांग्लादेश इसी पसोपेश में था कि अंतिम ओवर कौन करेगा. शाकिब ने गेंद थमाई सौम्य सरकार को जो दो ओवर में 20 रन दे चुके थे. 

अंतिम ओवर का रोमांच 
पहली गेंद वाइड बॉल हो गई जिसके बाद सौम्य सरकार पर दबाव बढ़ गया. दूसरी गेंद में सरकार ने वापसी की और डॉट बॉल फेंकी इसके बाद अगली गेंद पर विजय ने एक रन लेकर टीम इंडिया की उम्मीदों को तो बरकरार रखा लेकिन तब तक भारत को 10 रन बनाने के लिए केवल 4 गेंदें ही बचीं थी. ओवर की तीसरी गेंद पर कार्तिक केवल एक ही रन ले पाए. अब दबाव विजय शंकर पा आ गया. 

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लेकिन इस बार विजय गेंद और बल्ले की मुलाकात कराने में कामयाब हो गए और उन्हें चार रन मिल गए. अब भारत को दो गेंदों पर पांच रन चाहिए थे. लेकिन विजय शंकर जरूरी रन बना पाएंगे या नहीं इसका किसी को यकीन नहीं था. ओवर की पांचवी गेंद को विजय ने लॉन्ग ऑन पर ऊंचा शॉट लगाया लेकिन वे लपक लिए गए.

अब भारत के पास जीत के पांच रन बनाने के लिए केवल एक ही गेंद बची थी लेकिन उम्मीद की किरण यही थी कि इस गेंद का सामना दिनेश कार्तिक को करना था. इस अंतिम गेंद पर दिनेश कार्तिक ने इतिहास रच दिया और कवर बाउंड्री पर फ्लैट छक्का लगा कर टीम इंडिया को जीत दिला दी. 

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इस तरह दिनेश कार्तिक मैच के हीरो बन गए और पूरा भारत और टीम इंडिया जीत के जश्न में डूब गया. लेकिन वहीं मैच के ‘जीरो’ साबित हो रहे विजय शंकर ने राहत की सांस तो ले ली लेकिन शायद सुकून नहीं मिला. पवेलियन में बैठे विजय ने इस जीत के साथ भी उपर वाले का शुक्रिया अदा किया और दिनेश को भी शुक्रिया कहने स्टेडियम की ओर दौड़ पड़े. उस पल को याद करते हुए विजय ने कहा कि मैं बढ़ा-चढ़ा कर तो नहीं कह रहा लेकिन यह मेरे जीवन का कभी न भूलपाने वाल पल था. 

बहुत भारी थे वो 15 मिनट
एक इंटरव्यू के दौरान उस समय के अपने हाल का जिक्र करते हुए विजय बताया कि वो 15 मिनट दो घंटे के बराबर थे. वो पल बार बार उनके जहन में आते रहे थे. स्वभाव से व्यवहारिक होने के बावजूद भी विजय को खुद को यह बार बार समझाना पड़ा कि यह सब क्रिकेटर्स के जीवन का हिस्सा है. उन्होंने कहा, “ मैं सोचता रहा कि क्या होता अगर डीके आखिरी गेंद पर छक्का नहीं लगा पाते और हम हार जाते. क्या होता अगर मैने वो गेंदें डॉट गेंद नहीं खेली होतीं. शायह हम आसानी से जीत जाते और में एक गुमनाम खिलाड़ी ही रह जाता. लेकिन मैं उनका शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मैच जिता दिया. इसी के साथ मुझे इसका अफसोस है कि मैंने मैच जिताने का एक बेहतरीन मौका गंवा दिया जो मेरे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर को संवार सकता था.

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विजय ने खुलासा किया कि इसी तरह की बातें सोचते हुए जैसे ही वे होटल के रूम में पहुंचे बिना किसी से बात किए ही उन्होंने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया था.  लेकिन कुछ समय ही बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई और जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि सामने तो दिनेश कार्तिक ही खड़े थे. “उन्होंने मुझे जीवन का अहम सबक सिखाया. मैं हमेशा उनसे सलाह लेने की कोशिश करता रहता था. वे टीम के युवाओं के प्रति काफी मिलनसार रहे थे और उन्होंने पहले भी मुझे अपने करियर के शुरुआती दिनों तमिलनाडू की ओर से खेलते हुए अपनी भावनाओं पर काबू पाने में मदद की थी. 

थके होने के बाद भी उन्होंने कुछ समय मेरे साथ बिताया और मेरी हौसला अफजाई की. उन्होंने कहा कि यही समय है जब मुझे अपनी ताकत दिखानी होगी और सीखना होगा.” यह कहते हुए विजय ने बताया की टीम में सभी लोगों ने उनका हौसला बढ़ाते हुए मुझे बेहतर महसूस करवाने में मेरी मदद की.”

वैसे भी एक तरह से देखा जाए तो विजय शंकर की पारी भी कुछ कम नहीं थी. उन्होंने जब नजमुल इस्लाम की गेंद पर चौका लगाया था, तो वह भारत की पारी में 30 गेंदों में पहला चौका था. लगातार विकेट गिरने के दौरान विजय शंकर के उन 17 रनों का योगदान बड़ा न सही तो कम भी नहीं था.

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