रामचंद्र गुहा के तीखे बोल- टीम इंडिया को नुकसान पहुंचा रहा है विराट कोहली का अहंकार
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रामचंद्र गुहा के तीखे बोल- टीम इंडिया को नुकसान पहुंचा रहा है विराट कोहली का अहंकार

इतिहासकार और  पूर्व में बीसीसीआई के प्रशासक रहे रामचंद्र गुहा ने विराट कोहली के रवैए की कड़ी आलोचना की है. गुहा ने उनके उस व्यवहार के अलावा खेल और उनकी कप्तानी के से जुड़े कई मुद्दों को उठाया है. 

रामचंद्र गुहा ने विराट कोहली के बीसीसीआई में बढ़ते कद की कड़ी आलोचना की (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : इतिहासकार और  पूर्व में बीसीसीआई के प्रशासक रहे रामचंद्र गुहा ने विराट कोहली के रवैए की कड़ी आलोचना की है. गुहा ने उनके उस व्यवहार के अलावा खेल और उनकी कप्तानी के से जुड़े कई मुद्दों को उठाया है. गुहा ने लेख के जरिए जहां विराट कोहली के खेल कौशल की तारीफ करते हुए उनकी आलोचना भी की है. खास तौर पर गुहा ने बीसीसीआई में विराट के बढ़ते कद पर भी सवाल उठाया. गुहा क्रिकेट का कामकाज देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर (सीओए) के मेंबर भी थे. उन्होंने भारतीय क्रिकेट में सुपरस्टार कल्चर का हवाला देकर अपना पद चार महीने में ही छोड़ दिया था.

  1. गुहा ने बीसीसीआई में विराट के बढ़ते कद पर उठाए सवाल
  2. मैदान और मैदान के बाहर सिर्फ और सिर्फ विराट दिखते हैं
  3. सचिन, गांगुली, और विनोद राय भी कोहली से घबरा गए थे

कोलकाता टेलीग्राफ में पब्लिश इस लेख में उन्होंने कहा कि मार्च 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, 2012 में बेंगलुरु टेस्ट, न्यूजीलैंड के खिलाफ, एडीलेड टेस्ट में विराट के प्रदर्शन को देखने के बाद उनके जेहन में बचपन से बनी छवियां एक नया आकार लेने लगी थी और उनकी नई ड्रीम 'ऑल टाइम इंडिया इलेवन' टीम में सचिन, गावस्कर, द्रविड़, सहवाग के साथ विराट की भी जगह तय हो गई थी.

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उन्होंने विराट को करिश्माई खिलाडी बताया. लेकिन इसके साथ ही अपने चार महीने के कार्यकाल में बीसीसीआई में विराट के बढ़ते कद को भी गैरजरूरी करार दिया.

विराट को लेकर बीसीसीआी को भी लिया आड़े हाथों
गुहा ने बीसीसीआई के विराट को ज्यादा तवज्जो देने की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि बोर्ड के अधिकारी विराट कोहली को जितना पूजते हैं, उतना तो केंद्र सरकार में कैबिनेट के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं पूजते होंगे. गुहा ने बीसीसीआई को विराट के अहंकार के आगे समर्पण कर चुकी संस्था बताया. उन्होंने कहा कि विराट को चीजों को और लोगों को अपने काबू में करना बखूबी आता है. यहां तक कि महत्तपूर्ण फैसलों में भी भारतीय कप्तान भी राय ली जाती है.

उन्होंने विराट पर तंज कसते हुए कहा कि मैदान और मैदान के बाहर सिर्फ और सिर्फ वहीं दिखते हैं, जो कि भारतीय खेल इतिहास के अनोखा उदाहरण है. उन्होंने कोहली के बराबर सिर्फ अनिल कुंबले को माना. उनके अनुसार कुंबले के जाने की वजह भी यही बनीं. गुहा ने चयन समिति पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और विनोद राय भी कोहली से घबरा गए थे, तभी तो टॉम मूडी और अन्य के सामने रवि शास्त्री को चुना गया.

दक्षिण अफ्रीका में चयन को लेकर भी सवाल
दक्षिण अफ्रीका में हुए पहले दो टेस्ट मैचों के चयन के बारे में भी गुहा ने सवाल उठाए जिसमें टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था. गुहा ने कहा कि अंजिक्य रहाणे अगर दोनों टेस्ट मैच खेलते, दूसरे टेस्ट मैच में भुवनेश्वर शर्मा खेलते और श्रीलंका के खिलाफ गली क्रिकेट खेलने की बजाय टीम इंडिया को दो सप्ताह पहले ही साउथ अफ्रीका चल गई होती तो शायद आज नतीजे हमारे पक्ष में होते. गौरतलब है कि ईशांत शर्मा को टीम उनकी जगह शामिल किया गया था.

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उन्होंने टीम की रैंकिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि ब्राजील में जितने लोग फुटबॉल से प्यार नहीं करते, उससे दस गुना ज्यादा हमारे यहां लोग क्रिकेट को चाहते हैं. बीसीसीआई के पास धन की कमी नहीं. ऐसे में तो टीम इंडिया को विश्व की शीर्ष टीमों में होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में भी ऑस्ट्रेलिया में कोई सीरीज न जीत पाने के पीछे हमारे प्रबंधन की ही चूक है.

पहले भारतीय क्रिकेट करप्शन का शिकार था, लेकिन अब इसे 'सुपरस्टार सिंड्रॉम' बीमारी ने जकड़ लिया है. उन्होंने कहा कि आज चयनकर्ता, कोचिंग स्टाफ, प्रशासक हर कोई विराट के कद के आगे बौना दिख रहा है. उन्होंने सही चयनकर्ता, कोच और प्रशासक के गुण के बारे में बताया. अपनी इच्छा जाहिर करते हुए गुहा ने कहा कि विराट अपने करियर को वहां रोकें, जहां वह मेरी कल्पना वाली टीम के सफल कप्तान भी हो.

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