अंडर-19 खिलाड़ियों की कहानी : वर्तमान शानदार, लेकिन भविष्य नहीं हैं निश्चित
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अंडर-19 खिलाड़ियों की कहानी : वर्तमान शानदार, लेकिन भविष्य नहीं हैं निश्चित

पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा, ‘‘कुछ आगे बढ़ेंगे लेकिन यह सच्चाई भी स्वीकार करनी होगी कई का करियर लंबा नहीं खिंच पाएगा. यह सच्चाई है लेकिन अभी वापस खेल पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है. अगर इस टीम में से दो या तीन बड़े खिलाड़ी बनते हैं तो यह अच्छा होगा.’’ 

 भारत ने अंडर-19 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराया (PIC: Cricketworldcup/Twitter)

नई दिल्ली: भारत ने ऑस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर रिकॉर्ड चौथी बार अंडर 19 विश्व कप जीता और ‘गुरू’ राहुल द्रविड़ को उनके कोचिंग करियर की सबसे बड़ी कामयाबी से नवाजा. भारतीय गेंदबाजों ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को 216 रन पर आउट कर दिया. जवाब में भारत ने सिर्फ दो विकेट खोकर 38.5 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया. कप्तान पृथ्वी शॉ, शुभम गिल, तेज गेंदबाज कमलेश नागरकोटी और ऑल राउंडर शिवम मावी जैसे युवा क्रिकेटरों का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है. 

  1. भारत ने चौथी बार U-19 वर्ल्ड कप का जीता
  2. भारत ने वर्ल्ड कप 2018 में कोई मैच नहीं हारा
  3. भारत ने हर मैच में विरोधी टीम को ऑल आउट किया

वास्तव में अंडर-19 युवा क्रिकेट टीम के लिए यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां से उनके लिए टीम इंडिया के दरवाजे खुलते हैं, लेकिन फिलहाल शानदार वर्तमान वाले इन खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में अभी निश्चित तौर पर कुछ भी कहना काफी मुश्किल होगा. अगर अंडर-19 वर्ल्ड कप के सितारों पर नजर डाले तो उनमें हमें कई ऐसे खिलाड़ी भी मिलेंगे जो बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद अपना भविष्य संवारने में नाकाम रहे हैं. 

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रवनीत सिंह रिकी क्रिकेट अकादमी चलाते हैं और एयर इंडिया में काम करते हैं. मैच फिक्सिंग के स्टिंग आपरेशन के बाद बीसीसीआई से पांच साल के लिए निलंबित शलभ श्रीवास्तव को लोग भूल गए हैं. अजितेश अर्गल ने अपने 10 फर्स्ट क्लास मैचों में से आखिरी मैच 2015 में खेला था. स्मित पटेल अपना प्रथम श्रेणी करियर बचाने की जद्दोजहद में भारत की सबसे कमजोर घरेलू टीम त्रिपुरा की तरफ से खेल रहे हैं. इन सभी में एक समानता है. ये सभी 2000, 2008 और 2012 की विश्व कप विजेता टीमों के सदस्य रहे हैं. 

रिकी को विश्व कप 2000 में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज आंका गया था. यह वही टूर्नामेंट था, जिसने भारत को युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ जैसे खिलाड़ी दिए थे. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज श्रीवास्तव 2000 में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों में तीसरे स्थान पर थे.

विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम 2008 में जब चैंपियन बनी थी तब अर्गल ने फाइनल में अच्छा प्रदर्शन किया था जबकि स्मित ने 2012 फाइनल में अर्धशतक जमाया था. लेकिन भारत की तरफ से खेलना तो दूर रिकी, स्मित, शलभ और अजितेश प्रथम श्रेणी स्तर पर भी अपना यह प्रदर्शन नहीं दोहरा पाए. 

जब पूरा देश अंडर-19 विश्व कप की सफलता की मद में डूबा है तब उन्मुक्त चंद के इस टिप्पणी पर विचार करने की जरूरत है कि ‘‘विराट कोहली की हर कहानी के अलावा उन्मुक्त चंद और शिखर धवन की कहानी भी होती है.’’ 

पृथ्वी शॉ, शुभमन गिल, मनजोत कालरा, शुभम मावी या कमलेश नागरकोटी निसंदेह प्रतिभाशाली है, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगा कि इनमें से कितने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नाम कमाते हैं.

पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा, ‘‘कुछ आगे बढ़ेंगे लेकिन यह सच्चाई भी स्वीकार करनी होगी कई का करियर लंबा नहीं खिंच पाएगा. यह सच्चाई है लेकिन अभी वापस खेल पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है. अगर इस टीम में से दो या तीन बड़े खिलाड़ी बनते हैं तो यह अच्छा होगा.’’ 

चोपड़ा और पूर्व भारतीय विकेटकीपर दीप दासगुप्ता दोनों का मानना है कि भारत ए के अधिक दौरों और राहुल द्रविड़ के कोच होने से कुछ लड़के भविष्य के लिये तैयार रहेंगे. दासगुप्ता ने कहा, ‘‘भारत ए टीम को अब इंग्लैंड दौरे पर जाना है तथा राहुल द्रविड़ के जुड़े होने से पृथ्वी, शुभमान, कमलेश और शिवम को परखने के लिये इस दौरे पर ले जाया जा सकता है. 

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1998 के विश्व कप ने देश को हरभजन सिंह और वीरेंदर सहवाग जैसे खिलाड़ी दिए जो विश्व क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ियों में शुमार हुए. लेकिन इस टीम के कप्तान अमित पागनिस कभी भी टीम इंडिया में एंट्री नहीं ले पाए. 1998 विश्व कप में भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं था. उन्होंने उस टूर्नामेंट में छह पारियों में 29.16 की औसत से बस 175 रन बनाए थे.

2004 के अंडर-19 विश्व कप में बतौर कप्तान अंबाती रायुडु भारतीय टीम को सेमी फाइनल तक पहुंचाने में कामयाब रहे, लेकिन टीम इंडिया में अपनी जगह कभी पक्की नहीं कर पाए. फर्स्ट क्लास और फिर आईपीएल में उनके बेहतरीन खेल करे चलते रायुडु को 2013 में आखिरकार भारतीय टीम में जगह मिली थी. 

2006 विश्व कप अंडर-19 ने भारत को  रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा और पीयूष चावला जैसे खिलाड़ी भी थे, जो भारतीय टीम में बड़ा नाम बनने में कामयाब रहे. लेकिन वहीं इस टीम के कप्तान रविकांत शुक्ला का क्रिकेट करियर किसी बुरे सपने की तरह रहा. हालांकि, वह टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में कामयाब रहे लेकिन, पाकिस्तान से फाइनल में हार का सामना करना पड़ा. इस वर्ल्ड कप में शुक्ला ने पांच मैचों में सिर्फ 53 रन ही बनाए.

उन्मुक्त चंद ने 012 के अंडर 19 विश्व कप में पूरी दुनिया के सामने उन्होंने अपना लोहा मनवाया और भारत को वर्ल्ड कप जितवाया. इस जीत के साथ ही उन्हें कोहली के बाद इंडिया का अगले उभरते हुए सितारे के रूप में देखा जाने लगे. 2012 के विश्व कप में उन्मुक्त ने 49 की शानदार औसत से छह पारियों में 236 रन बनाए. इतना ही नहीं उन्होंने फाइनल में नॉटआउट शतकीय पारी खेली जिसकी बदौलत भारत ऑस्ट्रेलिया को हराकर चैंपियन बना, लेकिन काबिलियत होने के बावजूद उन्मुक्त भारतीय टीम में जगह बनाने में कामयाब नहीं रहे हैं.

2016 में खेले गए अंडर-19 वर्ल्ड कप में ईशान किशन के हाथों भारत की कमान थी. विश्व कप में भारत का प्रदर्शन तो अच्छा रहा, लेकिन दमदार वेस्टइंडीज के सामने खिताब जीतने से चूक गया. इस टूर्नामेंट में ईशान ने 6 मैचों में उन्होंने केवल 73 रन ही बनाए.

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