भारतीय क्रिकेटरों के केंद्रीय अनुबंधों का बीसीसीआई ने शुक्रवार को आमसभा की विशेष बैठक में मंजूरी दे दी जिससे ब्रिटेन के लंबे दौरे से पहले अनिश्चितता का दौर भी खत्म हो गया.
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नई दिल्ली : लंबे समय से लटका हुआ टीम इंडिया के खिलाड़ियों के बढ़े हुए वेतन का मामला आखिरकार सुलझ गया. भारतीय क्रिकेटरों के केंद्रीय अनुबंधों का बीसीसीआई ने शुक्रवार को आमसभा की विशेष बैठक में मंजूरी दे दी जिससे ब्रिटेन के लंबे दौरे से पहले अनिश्चितता का दौर भी खत्म हो गया. उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने सात मार्च को खिलाड़ियों के संशोधित अनुबंधों का ऐलान किया था लेकिन बोर्ड के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने यह कहकर दस्तखत करने से इनकार कर दिया था कि इसे आमसभा की मंजूरी की जरूरत है.
बैठक में 28 राज्य संघों के प्रतिनिधि मौजूद थे जिसमें अनुबंधों को मंजूरी दे दी गई. चौधरी ने कहा, ‘‘आशंकाओं के बावजूद आज एसजीएम हुई. आमसभा ने सर्वसम्मति से सभी प्रस्ताव पारित कर दिए.’’ अब यह तय हो गया है कि खिलाड़ियों को ब्रिटेन दौरे से पहले भुगतान हो जाएगा. भारतीय टीम आज रवाना हो रही है.
संशोधित अनुबंधों के तहत ए प्लस श्रेणी के क्रिकेटरों को सात करोड़ रूपये , ए बी और सी श्रेणी में क्रमश : पांच करोड़ , तीन करोड़ और एक करोड़ रूपये दिए जायेंगे. आमसभा ने घरेलू क्रिकेटरों और महिला क्रिकेटरों के वेतन में भी बढोतरी को मंजूरी दे दी. आगामी घरेलू सत्र में पूर्वोत्तर राज्यों और बिहार की टीमों को प्लेट वर्ग में उतारने का फैसला किया गया. उत्तराखंड की टीम को भी रणजी ट्राफी खेलने के लिए सीओए से मंजूरी मिल गई थी लेकिन आमसभा ने उसे हरी झंडी नहीं दी.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई प्रशासकों की समिति (सीओए) और बीसीसीआई के बीच तनातनी में अब भारतीय क्रिकेटरों के वेतन के भुगतान का मामला भी उलझ गया था. भारत के शीर्ष क्रिकेटरों को अब तक अपना संशोधित वेतन नहीं मिला है जबकि उनके केंद्रीय अनुबंधों पर पांच मार्च को ही हस्ताक्षर करा लिए गए थे.
अमिताभ चौधरी ने गुरुवार को ही कहा था कि अनुबंध उनके पास हैं. अगर बैठक में संशोधित वेतन संरचना को मंजूरी मिल जाती है तो वे इस पर हस्ताक्षर कर देंगे. अगर वे इसे मंजूरी नहीं देते हैं तो उनके हाथ बंधे हैं. किसी भी नीतिगत फैसले को आम सभा की मंजूरी की जरूरत होती है और वे नियम नहीं तोड़ सकते.
सीओए की ओर से नहीं थी कोई अड़चन
वहीं उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त सीओए ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे इस बैठक को मंजूरी नहीं देते. उसने वेतन पाने वाले अधिकारियों को इसमें हिस्सा लेने पर भी रोक लगा दी थी. लेकिन पैनल प्रमुख विनोद राय खिलाड़ियों के भुगतान में हो रही देरी से चिंतित दिखाई दिए. उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे व्यक्तिगत रूप से अच्छा नहीं लग रहा कि खिलाड़ियों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा. मुझे जरा भी नहीं पता कि आम सभा का क्या फैसला होगा. लेकिन लंबे समय से वित्तीय समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा हुआ था. खिलाड़ियों के हस्ताक्षर के बाद इस अनुबंध की प्रति सचिव को भेज दी गयी थी.’’
(इनपुट भाषा)