कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 की 'गोल्डन गर्ल' श्रेयसी सिंह का राजनीतिक कनेक्शन भी है. दरअसल, श्रेयसी बिहार के कद्दावर नेता स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की बेटी हैं.
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नई दिल्ली: भारत की श्रेयसी सिंह ने 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं की डबल ट्रैप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर निशानेबाजी रेंज पर भारत का शानदार प्रदर्शन बरकरार रखा. श्रेयसी ने फाइनल में 96 स्कोर करके ऑस्ट्रेलिया की एम्मा कॉक्स को हराया. शूटऑफ में श्रेयसी ने दो और एम्मा ने एक निशाना लगाया. भारत की वर्षा वर्मन 86 के स्कोर के साथ चौथे स्थान पर रही. कांस्य पदक स्काटलैंड की लिंडा पीयरसन ने 87 अंकों के साथ जीता. श्रेयसी ने ग्लास्गो में चार साल पहले रजत पदक जीता था. वह तीन दौर के बाद दूसरे और वर्षा तीसरे स्थान पर थीं. हाल ही में उन्होंने 2017 राष्ट्रमंडल निशानेबाजी चैम्पियनशिप में भी रजत पदक जीता था.
श्रेयसी के दादा और पिता दोनों भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ के अध्यक्ष रह चुके है. श्रेयसी ने दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भी भाग लिया, लेकिन पदक नहीं जीत सकी थीं. ग्लास्गो में रजत जीतने के बाद उन्होंने 2014 इंचियोन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था.
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श्रेयसी का है पॉलिटिकल कनेक्शन
कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 की 'गोल्डन गर्ल' श्रेयसी सिंह का राजनीतिक कनेक्शन भी है. दरअसल, श्रेयसी बिहार के कद्दावर नेता स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की बेटी हैं. श्रेयसी का मां पुतुल कुमारी भी सांसद रह चुकी हैं.
दिग्विजय सिंह का राजनीतिक सफर
14 नंवबर 1955 को बिहार के जमुई में जन्मे दिग्विजय सिंह ने पटना यूनिवर्सिटी से एमए किया और इसके बाद दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) से एमफिल किया. जेएनयू से ही दिग्विजय सिंह के राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई. 1990 में वह पहली बार राज्यसभा पहुंचे और इसके साथ ही 1990-91 में ही वह चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे. दिग्विजय सिंह 5 बार संसद सदस्य रह चुके थे. तीन बार लोकसभा (1998, 1999, 2009) और दो बार राज्यसभा (1990, 2004) के सदस्य.
दिग्विजय सिंह ने बिहार के सबसे पिछड़े जिले बांका में रेल पहुंचाई थी
दिग्विजय सिंह जमीनी नेता माने जाते थे. वह बिहार के सबसे पिछड़े जिले से आते थे. बांका को नए जिले की मान्यता मिलने के बाद पिछड़ों की लिस्ट में यह सबसे ऊपरी पायदान पर था. इस जिले की भौगोलिक स्थिति इस तरह की है कि साल में करीब 3 महीने ज्यादातर इलाके पानी में डूबे होते हैं, जिसके चलते यहां विकास का नामोनिशान नहीं दिखता है. इस इलाके के सांसद दिग्विजय सिंह जब रेल मंत्रालय में राज्यमंत्री बने तो यहां के लोगों ने उनसे कहा कि अगर वह यहां ट्रेन ले आते हैं तो विकास की बयार शुरू हो सकती है.
दिग्विजय सिंह ने रेल राज्यमंत्री रहते हुए बिहार के इस सबसे पिछड़े इलाके को रेल के जरिये भागलपुर जैसे बड़े शहर से जोड़ दिया, जिसके बाद से यहां के हालात काफी हद तक सुधर गए हैं. 2001 में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री एवं बांका के सांसद दिग्विजय सिंह की पहल और कोशिशों से ही इस रेल परियोजना को हां मिल पाई. इसी दौरान बांका-बाराहाट रेलखंड की भी नींव डाली गई थी, जो अगले कुछ ही सालों में पूरी भी हो गई. तकरीबन 11 किलोमीटर के इसी रेलखंड का परिणाम है कि अब बांका से लोग सीधे पटना तक की रेल यात्रा कर सकते हैं.
लंदन में हुआ था दिग्विजय सिंह का निधन
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बांका के सांसद दिग्विजय सिंह का निधन 24 जून 2010 को लंदन में ब्रेन हैमरेज की वजह से हुआ. दरअसल, दिग्विजय सिंह निधन से कुछ वक्त पहले ही लंदन गए थे. वह वहां राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति की एक बैठक में भाग लेने गए हुए थे. तबियत बिगड़ जाने के बाद 10 जून को उन्हें वहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 24 जून को उन्होंने अंतिम सांस ली थी.