बेहतर प्रदर्शन के लिए क्रिकेट सुविधाओं का इस्तेमाल करे हॉकी टीम: बलबीर सीनियर
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बेहतर प्रदर्शन के लिए क्रिकेट सुविधाओं का इस्तेमाल करे हॉकी टीम: बलबीर सीनियर

अगस्त सितंबर में जकार्ता में होने वाले एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम से स्वर्ण पदक बरकरार रखने की अपेक्षा होंगी, जबकि भुवनेश्वर में साल के आखिर में उसे विश्व कप भी खेलना है. 

बेहतर प्रदर्शन के लिए क्रिकेट सुविधाओं का इस्तेमाल करे हॉकी टीम: बलबीर सीनियर

नई दिल्ली: हॉकी में बेहतर प्रदर्शन के लिए क्रिकेट की मदद-सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर ने भारतीय टीम के पिछले कुछ अर्से के प्रदर्शन और आगामी व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए हॉकी इंडिया को कुछ ऐसे ही अनूठे सुझाव दिये हैं. पिछले दो बार की रजत पदक विजेता भारतीय टीम गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने में नाकाम रही. अगस्त सितंबर में जकार्ता में होने वाले एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम से स्वर्ण पदक बरकरार रखने की अपेक्षा होंगी, जबकि भुवनेश्वर में साल के आखिर में उसे विश्व कप भी खेलना है. 

  1. बलबीर सिंह सीनियर तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं.
  2. भारतीय टीम गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने में नाकाम रही.
  3. बलबीर सिंह ने खिलाड़ियों को धोनी और कोहली की तरह कलाई का इस्तेमाल करने दी.

बलबीर सीनियर ने कहा, ‘‘मैंने पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान हॉकी इंडिया अधिकारियों को सुझाव दिया कि बेंगलुरु में बीसीसीआई की एमआरएफ पेस अकादमी है जहां खिलाड़ियों को तेज गेंदों का सामना करने का अभ्यास कराया जाना चाहिए. इसके लिये बीसीसीआई से करार किया जा सकता है.’’ 

उन्होंने कहा,‘‘इससे खिलाड़ियों के जेहन से तेज रफ्तार गेंद का सामना करने का भय पूरी तरह निकल जायेगा, खासकर पोल और पेनल्टी कॉर्नर डिफेंस के समय हॉकी में गोलकीपर को छोड़कर खिलाड़ी सुरक्षा उपकरण नहीं पहनते और गेंद काफी तेज रफ्तार से आती है. गोलकीपर गोल का 60 प्रतिशत ही कवर कर सकता है, ऐसे में तेज गेंद का भय निकालना जरूरी है.’’ 

लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलंपिक में भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले महान सेंटर फारवर्ड बलबीर ने हेलसिंकी ओलंपिक फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल किये थे जो आज भी एक रिकॉर्ड है. उन्होंने कहा, ‘‘टीम के लिये यह समय नया कौशल सीखने का नहीं, बल्कि अपने कौशल को निखारने का है. पिछले कुछ अर्से में भारतीय टीम के प्रदर्शन को देखते हुए मैंने यह सुझाव दिए जिनसे मुझे लगता है कि आने वाले टूर्नामेंटों में प्रदर्शन बेहतर होगा.’’ 

उन्होंने खिलाड़ियों को महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली की तरह अपनी कलाई और हाथ के अगले हिस्से के बखूबी इस्तेमाल करने की भी सलाह दी. बलबीर ने कहा, ‘‘जिस तरह धोनी या विराट अपनी कलाई का इस्तेमाल स्ट्रोक्स लगाते समय करते हैं, उससे सीख लेनी चाहिये. हॉकी में गेंद को रोकने और उसके बाद आगे पास करने के बीच गोलकीपर और डिफेंस को संभलने का मौका मिल जाता है. गेंद को पकड़ते ही गोल की तरफ मारने का अभ्यास होना चाहिये जिसके लिये कलाई और बाजू के अगले हिस्से के अधिक इस्तेमाल की जरूरत है.’’ 

उन्होंने कहा,‘‘इसके लिये हाथ और पैर में इलास्टिक पट्टी बांधकर खेला जाये, ताकि हाथ कमर से ऊपर उठे ही नहीं. जिस तरह क्रिकेट में बल्ला नीचे रखकर खेलते हैं या गोल्फ में फुल ड्राइवर स्विंग की बजाय चिप शाट लगाया जाता है.’’ उन्होंने कहा,‘‘मेरी आखिरी ख्वाहिश भारतीय हॉकी का परचम फिर दुनिया में लहराते देखना है. मुझे उम्मीद है कि हम ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है.’’

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