वर्ल्ड कप 2018: क्या हॉकी में ड्रैग फ्लिक के दिन लद चुके हैं?
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वर्ल्ड कप 2018: क्या हॉकी में ड्रैग फ्लिक के दिन लद चुके हैं?

अपने जमाने के मशहूर ड्रैग फ्लिकर और पूर्व भारतीय कप्तान संदीप सिंह भी इसको लेकर चिंतित हैं.

ड्रैग फ्लिक से गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा (फाइल फोटो)

भुवनेश्वर : मैदानी हॉकी में लंबे समय तक आधारस्तंभ माने जाने वाला ड्रैग फ्लिक की कला इस खेल में तकनीक विकास के कारण तेजी से खत्म होती जा रही. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि गोल करने की इस महत्वपूर्ण तकनीक के भविष्य में और बुरी स्थिति में पहुंचने से पहले इसे प्राणवायु भरना जरूरी हो गया है. 

इस कला पर खतरा मंडरा रहा है हालांकि अभी उसकी सभी ‘लाइफलाइन’ खत्म नहीं हुई हैं. आधुनिक प्रौद्योगिकी जैसे वीडियो विश्लेषण, कोचिंग प्रणाली में सुधार, बचाव के बेहतर उपकरणों के कारण ड्रैग फ्लिक से गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है. 

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वर्तमान विश्व कप के आंकड़ों पर गौर करें तो पूल चरण में 16 देशों ने जो 24 मैच खेले. उनमें 167 पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन इनमें से केवल 40 गोल हुए और इस तरह से पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने का प्रतिशत 23.95 प्रतिशत रहा. 

अपने जमाने के मशहूर ड्रैग फ्लिकर और पूर्व भारतीय कप्तान संदीप सिंह भी इसको लेकर चिंतित हैं. संदीप ने कहा, ‘‘अब ड्रैग फ्लिक से गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि प्रत्येक टीम का रक्षण मजबूत बन गया है. बचाव के बेहतर उपकरणों पहला रनर अब दौड़कर हिट को संभालने में नहीं हिचकिचाता है.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब भी गोंजालो पीलैट जैसे अच्छे फ्लिकर्स हैं जो अपनी ताकत और सटीकता से किसी भी रक्षण को छिन्न भिन्न कर सकते हैं.’’ 

ड्रैग फ्लिक को लेकर यह चिंता अभी शुरू नहीं हुई. रियो ओलंपिक 2016 से ही पेनल्टी कॉर्नर पर कम गोल हो रहे हैं और हर टूर्नामेंट में इसकी संख्या में कमी आ रही है. वर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकर माने जाने वाले अर्जेंटीना के पीलैट ने कहा कि आपको रक्षकों को छकाने का तरीका ढूंढना होगा. 

उन्होंने कहा, ‘‘यह इस पर निर्भर करता है कि अन्य टीम कैसे बचाव करती है. आप फ्लिकर्स से हर कोने से गोल करने की उम्मीद नहीं कर सकते हो. प्रत्येक ड्रैग फ्लिकर अन्य टीमों के रक्षण का अध्ययन करता है. आपको रक्षकों को छकाने का तरीका ढूंढना होता है.’’ 

ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कोच कोलिन बैच ने कहा कि पेनल्टी कॉर्नर के गोल में बदलने की दर में कमी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, ‘‘हां, यह चिंता का विषय है. अब शॉर्ट कॉर्नर पर गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है. अब रक्षण काफी अच्छा हो गया है.’’ 

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