भारत की महिला टीम ने विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता
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भारत की महिला टीम ने विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता

भारत की महिला रिकर्व टीम को दो सेट की बढ़त के बावजूद रविवार को यहां शीर्ष वरीय रूस के हाथों शूट आफ में शिकस्त के साथ विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

भारत की महिला टीम ने विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता

कोपेनहेगन : भारत की महिला रिकर्व टीम को दो सेट की बढ़त के बावजूद रविवार को यहां शीर्ष वरीय रूस के हाथों शूट आफ में शिकस्त के साथ विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

दीपिका कुमारी, लक्ष्मीरानी मांझी और रिमिल बुरूली की तिकड़ी ने रूस की टीम पर दबाव बनाते हुए 4-0 की बढ़त बनाई लेकिन इसके बाद भारतीय टीम अगले दो सेट गंवा बैठी और फिर शूट आफ में भी 27-28 से पिछड़कर मुकाबला हार गई।

भारत ने मौजूदा विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में दूसरा रजत पदक जीता। इससे पहले कल कंपाउंड तीरंदाज रजत चौहान ने ऐतिहासिक व्यक्तिगत पदक जीतकर भारत का खाता खोला था।

विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में यह भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत की नजरें अब तीसरे पदक पर टिकी हैं जब लक्ष्मीरानी अपने दूसरे पदक के लिए आज व्यक्तिगत रिकर्व वर्ग में कांस्य पदक के मुकाबले में उतरेंगी।

महिला वर्ग में कोटा स्थान हासिल करने के बाद दूसरी वरीय भारतीय महिला टीम ने खिलाड़ियों की पोजीशन में बदलाव किए। दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी दीपिका पहले या फिर अंतिम प्रयास में ही उतरी। रूस की टीम हालांकि धीमी शुरूआत के बाद वापसी करने में सफल रही।

तुयाना दाशिदोरझीवा, सेनिया पेरोवा और इना स्टेपानोवा की तिकड़ी ने 0-4 से पिछड़ने के बाद वापसी की और तीसरे सेट में भारतीय टीम को दो अंक से पछाड़ा। चौथे सेट में भी भारतीय तिकड़ी चार अंक से पिछड़ गई जिससे रूस ने 4-4 से बरबारी हासिल की। शूटआफ में दाशिदोरझीवा ने परफेक्ट 10 के साथ शुरूआत की जिसकी लक्ष्मीरानी ने बराबरी की। दूसरे शाट में पेरोवा ने नौ अंक जुटाए जबकि रिमिल का तीर आठ अंक पर लगा। स्टेपानोवा ने इसके बाद नौ अंक जुटाए और एक बार फिर दबाव दीपिका पर था। दीपिका को बराबरी के लिए 10 अंक की दरकार थी लेकिन वह नौ अंक ही जुटा सकी जिससे भारत को रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा।

यह विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में दीपिका का दूसरा रजत पदक है। इससे पहले 2011 में तुरिन में भी उन्हें चेक्रोवोलु स्वुरो और लैशराम बोमबायला देवी के साथ मिलकर रजत पदक जीता था।

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