आईपीएल केस में मयप्पन की भूमिका भेदिया कारोबार जैसी: न्यायालय
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आईपीएल केस में मयप्पन की भूमिका भेदिया कारोबार जैसी: न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आईपीएल सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग प्रकरण में एन श्रीनिवासन के दामाद गुरूनाथ मयप्पन की भूमिका भेदिया कारोबारी जैसी लगती है। इसके साथ ही न्यायालय उन क्रिकेट खिलाड़ियों के नाम सार्वजनिक करने के अनुरोध पर सुनवाई के लिये तैयार हो गया है जिनका जिक्र न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट में है।

आईपीएल केस में मयप्पन की भूमिका भेदिया कारोबार जैसी: न्यायालय

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आईपीएल सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग प्रकरण में एन श्रीनिवासन के दामाद गुरूनाथ मयप्पन की भूमिका भेदिया कारोबारी जैसी लगती है। इसके साथ ही न्यायालय उन क्रिकेट खिलाड़ियों के नाम सार्वजनिक करने के अनुरोध पर सुनवाई के लिये तैयार हो गया है जिनका जिक्र न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट में है।

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एफ एम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने कहा, ‘यदि मयप्पन सूचनायें लीक कर रहे थे और कोई अन्य सट्टा लगा रहा था तो यह भेदिया कारोबार जैसा ही हुआ।’ न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब यह दलील दी गयी कि श्रीनिवासन का दामाद चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा था और सभी कार्यक्रमों में हमेशा टीम के साथ रहता था।

क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार :कैब: की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि श्रीनिवासन और इंडिया सीमेन्ट्स का मयप्पन का सिर्फ उत्साही खेल प्रेमी होने संबंधी तर्क तो इस घोटाले में उस पर और आईपीएल फ्रेन्चाइजी पर पर्दा डालने का प्रयास है।

न्यायलाय ने यह भी सवाल उठाया कि मुदगल समिति की दूसरी रिपोर्ट चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक इंडिया सीमेन्ट्स और श्रीनिवासन द्वारा मयप्पन पर कथित पर्दा डालने के बारे में खामोश क्यों थी जबकि पहली रिपोर्ट में इसका जिक्र था।

दो घंटे की कार्यवाही के दौरान कैब ने न्यायालय से अनुरोध किया कि समिति की प्रथम रिपोर्ट को दूसरी रिपोर्ट के साथ पढ़ा जाना चाहिए और यदि इस मामले के सारे तथ्यों को ध्यान में रखा जाये तो पर्दा डालने के आरोप साबित होते हैं।

साल्वे ने कहा कि शीर्ष अदालत को सीवीसी के मामले में दिये गये अपने फैसले पर विचार करना चाहिए जिसमें उसने कहा था कि एक संगठन की संस्थागत निष्ठा बनाये रखी जानी चाहिए और इस व्यवस्था के आधार पर श्रीनिवासन के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। बीसीसीआई विधायी संस्था नहीं है लेकिन यह सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजन करती है और इसलिए यह न्यायिक समीक्षा के दायरे में आनी चाहिए।

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