हाना के अनुसार अली ने लैला को मनाने की कोशिश की कि वह अपने मुक्केबाज बनने के फैसले पर दोबारा विचार करे.
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नई दिल्ली: अमेरिकी पेशेवर मुक्केबाज मोहम्मद अली की बेटी हाना का कहना है कि उनके पिता चाहते थे कि उनकी बहन लैला मुक्केबाजी में करियर बनाने के बजाय नियमित नौकरी करे. हाना के अनुसार अली ने लैला को मनाने की कोशिश की कि वह अपने मुक्केबाज बनने के फैसले पर दोबारा विचार करे लेकिन तब उन्हें लगा कि वह मुक्केबाजी को लेकर गंभीर है तो उन्होंने उसका पूरा समर्थन किया और उन्हें उस पर गर्व महसूस होता था.
हाना इस महान मुक्केबाज की तीसरी बेटी हैं, उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पापा का यह एक गुण था कि अगर वह बच्चों की पसंद से सहमत नहीं होते थे, तब भी वे समर्थन करते और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करते. वह बस प्रार्थना करते रहते कि लैला को मुक्केबाजी के दौरान चोटिल नहीं हो. भगवान ने भी उनकी सुनी क्योंकि वह बिना हारे रिटायर हुई और कभी भी चोटिल नहीं हुई.''
हाना ने अपने संस्मरण ‘एट होम विद मोहम्मद अली’ में इस महान मुक्केबाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया है.
बता दें कि पर्किंसन बीमारी से 32 साल तक जूझने के बाद मोहम्मद अली का 74 साल की उम्र में वर्ष 2016 में निधन हो गया था. इस हैवीवेट मुक्केबाज ने तीन दशक तक अपने खेल से लोगों को रोमांचित किए रखा और इस दौरान दुनिया में सुर्खियां बटोरीं.
अपने करारे मुक्कों के कारण अली ने दो दशक तक मुक्केबाजी में अपनी बादशाहत बनाए रखी, लेकिन इस बीच उन्होंने अपने सिर पर भी हजारों मुक्के सहे जिसके कारण बाद में उन्हें पर्किंसन बीमारी ने जकड़ दिया. यह 1981 की बात है जब इस बीमारी से उनका मजबूत शरीर कमजोर सा हो गया था. उनकी जादुई आवाज लगभग बंद हो गई थी.
मोहम्मद अली हमेशा कहते थे, ''मैं महानतम हूं.'' और उनसे शायद कुछ ही लोग असहमत रहे होंगे. उनका जन्म कासियस मार्सेलस क्ले के रूप में हुआ था लेकिन 1964 में लिस्टन को हराकर हैवीवेट खिताब जीतने के बाद उन्होंने यह घोषणा करके मुक्केबाजी जगत को हैरानी में डाल दिया कि वह अश्वेत मुस्लिमों (इस्लामों के देश) के सदस्य हैं और उन्होंने बाद में अपना नाम बदल दिया. दुनिया इसके बाद उन्हें मोहम्मद अली के नाम से ही जानती रही.