सुशील को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त करने पर नरसिंह ने उठाए सवाल, खेल मंत्रालय को लिखा लेटर
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सुशील को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त करने पर नरसिंह ने उठाए सवाल, खेल मंत्रालय को लिखा लेटर

नरसिंह ने खेल मंत्रालय को लेटर लिखकर सुशील की राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बनाए जाने पर सवाल उठाए  हैं.

नई दिल्ली. निलंबित पहलवान नरसिंह यादव ने सुशील कुमार को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त करने का विरोध किया है और खेल मंत्रालय को भेजे गए लेटर में उन्होंने हितों के टकराव का आरोप लगाया है. नरसिंह ने पिछले हफ्ते खेल मंत्रालय को लेटर लिखा और सवाल उठाया कि सुशील कैसे राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बन सकते हैं जबकि वह छत्रसाल स्टेडियम अखाड़े में पहलवानों को तैयार करने से जुड़े हैं. यह अखाड़ा उनके ससुर सतपाल चलाते हैं.भारत के लिए ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले सुशील उन 14 ओलंपियन में शामिल हैं जिन्हें खेल मंत्री ने इस साल अपने खेलों का राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया था.

नरसिंह का आरोप सुशील राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्ति हितों का टकराव

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के एक अधिकारी ने कहा, 'नरसिंह ने खेल मंत्रालय को पत्र लिखकर सुशील को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बनाने पर आपत्ति जताई है. नरसिंह के अनुसार सुशील राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में छत्रसाल के अपने शिष्यों का पक्ष ले सकते हैं. उन्होंने कहा, 'नरसिंह ने दावा किया है अपने अखाड़े में पहलवानों को प्रशिक्षण देना और साथ ही राष्ट्रीय पर्यवेक्षक होना हितों का टकराव है.' 

सुशील को पर्यवेक्षक नियुक्त करने पर नरसिंह ने उठाए सवाल

नरसिंह ने इसके साथ ही सवाल उठाया है कि सुशील को कैसे पर्यवेक्षक नियुक्त किया जा सकता है जबकि रियो ओलंपिक से पहले उनके खिलाफ गड़बड़ी करने के आरोप लगे थे.  नरसिंह को डोपिंग के आरोपों के कारण चार साल के लिये निलंबित कर दिया गया था. अधिकारी ने दावा किया, 'नरसिंह ने ओलंपिक से पहले कथित तौर पर उनके खाने और पेय पदार्थो में मिलावट करने को लेकर स्पष्ट रूप से सुशील पर अपने संदेहों के बारे में लिखा है जिसके कारण उनका कुश्ती से चार साल के लिये निलंबन हुआ.'

सुशील ने कहा मेरा किसी के प्रति दुराग्रह नहीं है

जब सुशील से नरसिंह के पत्र के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, 'वह क्या लिखता है या क्या महसूस करता है और उसे क्या आपत्तियां हैं यह उस पर निर्भर करता है. मेरा किसी के प्रति दुराग्रह नहीं है. उन्होंने कहा, 'इसके अलावा मैं नहीं जानता कि यह कैसे हितों का टकराव है। मैं केवल राष्ट्रीय पर्यवेक्षक हूं जिसका काम कुश्ती पर निगरानी रखना है और भविष्य के ओलंपिक के लिए अच्छी टीम तैयार करने के लिये फीडबैक देना है.'

पुराना है नरसिंह और सुशील का विवाद

पिछले साल ओलंपिक से पहले नरसिंह और सुशील अदालती जंग में फंस गए थे जिसके बाद डोप प्रकरण सामने आ गया और आखिर में नरसिंह को निलंबन झेलना पड़ा. इसकी शुरूआत पुरूषों के 74 किग्रा भार वर्ग में ओलंपिक सीट को लेकर जंग से हुई। सुशील ओलंपिक क्वालीफायर्स में हिस्सा नहीं ले पाये थे जबकि नरसिंह ने भारत के लिये कोटा स्थान हासिल किया था. डब्ल्यूएफआई ने इन दोनों पहलवानों के बीच ट्रायल कराने का वादा किया था लेकिन बाद में वह इससे मुकर गया था. सुशील इसके बाद अदालत की शरण में भी चले गए थे.

नरसिंह पर वाडा ने चार साल के लिए निलंबित किया था

डब्ल्यूएफआई ने नरसिंह को ओलंपिक के लिए चुना क्योंकि उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर कोटा हासिल किया था. सुशील की ट्रायल कराने की मांग महासंघ और दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी नामंजूर कर दी थी.  नरसिंह हालांकि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) द्वारा रियो ओलंपिक से दस दिन पहले कराए गए डोप परीक्षण में नाकाम रहे. नाडा ने हालांकि उन्हें क्लीन चिट दे दी थी लेकिन विश्व डोपिंग रोधी संस्था (वाडा) ने उन्हें ओलंपिक में भाग लेने से रोक दिया और उन्हें चार साल के लिए निलंबित कर दिया था.

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