विश्व कप: खराब दौर में संयम नहीं खोने से मिली सफलता- शिखर धवन
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विश्व कप: खराब दौर में संयम नहीं खोने से मिली सफलता- शिखर धवन

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एमसीजी में 137 रन की धमाकेदार पारी खेलने वाले भारतीय सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने कहा कि खराब दौर में संयम बनाए रखना विश्व कप के पहले दो मैचों में उनकी सफलता का सूत्र रहा।

विश्व कप: खराब दौर में संयम नहीं खोने से मिली सफलता- शिखर धवन

मेलबर्न : दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एमसीजी में 137 रन की धमाकेदार पारी खेलने वाले भारतीय सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने कहा कि खराब दौर में संयम बनाए रखना विश्व कप के पहले दो मैचों में उनकी सफलता का सूत्र रहा।

विश्व कप से पहले वनडे त्रिकोणीय सीरीज में धवन अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे लेकिन टूर्नामेंट में वह शानदार फार्म में लौट आए। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत में 73 रन बनाए और फिर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना 7वां वनडे शतक जड़ा। बायें हाथ का यह बल्लेबाज इस चोटी की टीम के खिलाफ शतक जड़ने से बेहद खुश है।

धवन ने बीसीसीआई-टीवी से कहा, अपने पहले विश्व कप में ही शतक जड़ना शानदार अहसास है। लेकिन मुझे सबसे बड़ी खुशी इससे मिली कि हम विश्व कप में पहली बार दक्षिण अफ्रीका को हराने में सफल रहे। वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक है और प्रतियोगिता में बड़ी टीमों को हराने से संतुष्टि मिलती है। बड़ी टीमों के खिलाफ रन बनाने से और अच्छा लगता है।

धवन को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट मैच से हटा दिया गया था। इसके बाद आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ त्रिकोणीय सीरीज में भी उनका बल्ला नहीं चल पाया था। वह अब फार्म में लौटकर खुश हैं। उन्होंने कहा, फार्म में वापसी करके बहुत अच्छा लग रहा है। मैं पिछले तीन महीने से इस पल का इंतजार कर रहा था। मैंने इस दौर में धर्य से काम लेने की पूरी कोशिश की। जब मैं रन नहीं बना पा रहा था तब परेशान नहीं रहा। मेरा विश्वास था कि बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन भी आएंगे। उस समय मेरे लिये शांतचित रहना महत्वपूर्ण था।

चैंपियन्स ट्रॉफी 2013 के दौरान भी धवन ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 114 रन की मैच विजेता पारी खेली थी लेकिन उन्होंने हाल की पारी को बेहतर करार दिया। उन्होंने कहा, मैंने कार्डिफ में जो शतक बनाया था उसकी तुलना में मैं इस शतक को बेहतर करार दूंगा। आज मैंने काफी समझ बूझ के साथ बल्लेबाजी की। उस पारी के बाद मैं काफी परिपक्व बन गया हूं। अब मैं खेल को बेहतर तरीके से समझ रहा हूं और मैंने समय के साथ सबक सीखे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां से मेरा खेल और बेहतर होगा।

 

 

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