संजीता चानू डोपिंग मामला: मणिपुर के CM ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को लिखा पत्र, दखल देने की मांग
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संजीता चानू डोपिंग मामला: मणिपुर के CM ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को लिखा पत्र, दखल देने की मांग

मणिपुर के मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा हो सकता है कि भारोत्तोलक के नमूने की पहचान में गलती हुई हो.

संजीता के नमूने में एनाबॉलिक स्टॉरॉयड टेस्टोस्टरोन सैंपल पॉजिटिव पाया गया था. (फाइल फोटो)

इंफाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीतनेवाली संजीता चानू के डोपिंग विवाद में केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से हस्तक्षेप करने की अपील की है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा हो सकता है कि भारोत्तोलक के नमूने की पहचान में गलती हुई हो. हाल ही में गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल में संजीता ने महिलाओं के 53 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था. इस खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलक संघ ने फिलहाल के लिए निलंबित कर दिया है. संजीता के नमूने में एनाबॉलिक स्टॉरॉयड टेस्टोस्टरोन सैंपल पॉजिटिव पाया गया था. 

मैं निर्दोष हूं, निलंबन को चुनौती दूंगी : संजीता चानू
इससे पहले बीते 1 जून को भारतीय भारोत्तोलक संजीता चानू ने खुद को निर्दोष करार देते हुए कहा था कि वह डोप परीक्षण में कथित तौर पर नाकाम रहने के लिए उन पर लगाये गये अस्थायी निलंबन को चुनौती देगी. संजीता ने  कहा था, ‘‘मैं निर्दोष हूं. मैंने कोई प्रतिबंधित दवाई नहीं ली. मैं राष्ट्रीय महासंघ की मदद से इसे चुनौती दूंगी.’’ गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के 53 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली संजीता को टेस्टोस्टेरोन के लिए पॉजीटिव पाये जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) ने निलंबित कर दिया था. 

उनका नमूना पिछले साल नवंबर में अमेरिका के एनाहीम में विश्व चैंपियनशिप से पहले प्रतियोगिता से इतर लिया गया था.  संजीता को हालांकि भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएलएफ) के महासचिव सहदेव यादव का समर्थन हासिल है जिन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि यह मणिपुरी निर्दोष है.

यादव ने कहा, ‘‘यह हमारी समझ से परे हैं कि डोप परिणाम में इतनी देर क्यों की गयी. नमूना लिए जाने के बाद उसने नवंबर में विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और इसके बाद उसने अप्रैल में गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता. हम इसके खिलाफ लड़ेंगे कि ऐसा क्यों हो रहा है.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी मामले में हम ‘बी’ नमूने की जांच के लिए लिखते हैं. परिणाम मिलने के बाद हम (अंतरराष्ट्रीय महासंघ में) मामला रखने के लिए शीर्ष वकील की सेवाएं लेंगे. मुझे पक्का विश्वास है कि संजीता ने कोई प्रतिबंधित दवाई नहीं ली. मुझे पूरा विश्वास है कि हम उसे निर्दोष साबित करने में सफल रहेंगे.’’ 

यादव ने इसके साथ ही कहा कि संजीता ने राष्ट्रमंडल खेलों में जो स्वर्ण पदक जीता है उसके छीने जाने का खतरा नहीं है. संजीता ने 53 किग्रा में कुल 192 किग्रा भार उठाकर सोने का तमगा जीता था. उन्होंने 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किग्रा में स्वर्ण पदक हासिल किया था. 

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अगर संजीता का ‘बी’ नमूना भी पॉजीटिव पाया जाता है तो उन पर चार साल का प्रतिबंध लग सकता है. संजीता ने पिछले साल 53 किग्रा में विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था जिसमें वह 13 वें स्थान पर रही थी. एशियाई खेलों की तैयारी के लिए 24 साल की इस खिलाड़ी को नौ मई को खेल मंत्रालय के लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (टाप्स) में शामिल किया गया था, लेकिन डोपिंग मामले में नाम आने के बाद उन्हें इस योजना से हटाया जा सकता है. 

इस मामले से भारतीय भारोत्तोलन को करारा झटका लगा है जिसके भारोत्तोलकों ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया. इसमें विश्व चैम्पियनशिप में 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली मीराबाई चानू भी शामिल हैं. भारतीय भारोत्तोलकों के लिए साल 2016 डोप मुक्त रहा था, लेकिन 2017 में एक भारोत्तोलक सुशीला पंवार को अंतरराष्ट्रीय महासंघ के परीक्षण में पॉजीटिव पाया गया था. संजीता का मामला इस साल का पहला डोप पॉजीटिव परिणाम है. 

अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के दबाव में हाल ही में आईडब्ल्यूएफ ने तोक्यो ओलंपिक में ऐसे देशों का कोटा सीमित करने का फैसला किया है जहां डोपिंग के अधिक मामले मिले हैं. संजीता के मामले से पहले 2008 से अब तक 12 भारतीय भारोत्तोलकों को अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा किए गए डोपिंग परीक्षणों में पॉजीटिव पाया गया है. 

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