स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा पर केंद्रित दिशा-निर्देशों के अनुसार स्कूलों में अब हर दिन ‘‘खेल’’ का एक पीरियड (कक्षा) रखना अनिवार्य होगा, जिसमें बच्चों को खेल के मैदान में जाना होगा.''
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नई दिल्ली: सीबीएसई ने नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए स्कूलों में हर दिन खेल का एक पीरियड (कक्षा) अनिवार्य कर दिया है ताकि छात्रों की बैठे रहने की आदत में बदलाव आए और उनकी शारीरिक सक्रियता बनी रहे. बोर्ड ने 150 पन्नों की एक नियमावली तैयार की है जिसमें स्कूलों के लिए नौवीं से 12 वीं तक की कक्षाओं के लिए खेल संबंधी दिशानिर्देशों और उनके क्रियान्वयन का विवरण दिया गया है.
स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा पर केंद्रित दिशा-निर्देशों के अनुसार स्कूलों में अब हर दिन ‘‘खेल’’ का एक पीरियड (कक्षा) रखना अनिवार्य होगा, जिसमें बच्चों को खेल के मैदान में जाना होगा. नियमावली में उल्लेखित शारीरिक गतिविधियां करनी होगी और उसके अनुसार ही उन्हें ग्रेड दिए जाएंगे.
सीबीएसई के एक अधिकारी ने से कहा, ‘‘स्वास्थ्य अक्सर शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक तंदुरुस्ती की अवस्था होता है केवल बीमारी न होना स्वस्थ होना नहीं है. इसलिए हमने नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाने का निर्णय लिया है. ताकि छात्रों की बैठे रहने की जीवन शैली में बदलाव आए और उनकी शारीरिक सक्रियता बनी रहे.’’
बाहरी खेलों से बच्चों की आंखों की रोशनी होगी अच्छी
आपके बच्चे अगर स्मार्टफोन पर घंटों समय बिताते हैं, वे गेम खेलते रहते हैं और कम्प्यूटर या टैबलेट पर अधिक समय काम करते हैं, तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. मगर चिंता छोड़िए और उन्हें खेलने के लिए बाहर भेजिए. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चे हर रोज कम से कम दो घंटे बाहर सूरज की रोशनी में खेलते हैं, तो उनकी आंखें कमजोर होने से बच सकती हैं. निकटदृष्टि दोष (मायोपिया) : इस रोग में दूर की नजर कमजोर होती है. इसमें दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं. इसमें रोशनी आंख द्वारा अपवर्तन के बाद रेटिना के पहले ही प्रतिबिंब बना देता है (न कि रेटिना पर). इस कारण दूर की वस्तुओं का प्रतिबिंब स्पष्ट नहीं बनता (आउट ऑफ फोकस) और चींजें धुंधली दिखती हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, इस परिस्थिति का कारण है आंखों के लिए प्राकृतिक रोशनी की कमी. लंदन में मूरफील्ड्स आई हॉस्पिटल में ओप्थाल्मोलॉजिस्ट की सलाहकार एनेग्रेट डाल्मान-नूर ने कहा, 'इसमें मुख्य कारण सीधे तौर पर प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश के संपर्क में कमी की संभावना है. जो बच्चे अधिक पढ़ते हैं, अधिक रूप से कम्प्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं और जिन्हें बाहर खेलने-कूदने का कम अवसर मिलता है, उनमें यह कमी साफ नजर आती है.'
अभिभावकों के लिए बच्चों को इन उपकरणों के इस्तेमाल से रोकना बड़ा काम है. इसमें विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को जितना हो सके, उतने अधिक समय के लिए बाहर खेलने के लिए लेकर जाएं. 'बीबीसी हेल्थ' की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर क्रिस हेमंड ने कहा, "हमें पता है कि आज के समय में बच्चों के बीच निकटदृष्टि दोष की समस्या आम बात हो गई है. हेमंड ने कहा, "निकटदृष्टि दोष को रोकने का सही तरीका बाहर अधिक से अधिक समय बिताना है. इसमें दो घंटे बाहर बिताने से बच्चों में इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.''