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नई दिल्ली : वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले दोनों मैचों में शानदार प्रदर्शन करने वाले तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने कहा है कि अभ्यास सत्र के दौरान डेथ ओवरों की गेंदबाजी पर की गयी कड़ी मेहनत के उन्हें अब सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।
शमी ने कोच्चि में खेले गये पहले मैच में 66 रन देकर चार विकेट लिये थे जबकि फिरोजशाह कोटला में कल रात उन्होंने 33 रन देकर चार विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभायी थी। उन्होंने ड्वेन स्मिथ का महत्वपूर्ण विकेट हासिल करके वेस्टइंडीज की पारी के पतन की नींव रखी। उन्होंने कहा, मैंने कुछ खास परिस्थितियों के लिये नेट्स पर काफी कड़ी मेहनत की। अभ्यास सत्र के दौरान गेंदबाज होने के नाते हम कुछ खास क्षेत्र को चिन्हित करके वहां पर गेंद करते हैं। सटीक यार्कर करने के लिये अभ्यास सत्र के दौरान हमने स्टंप के आगे जूता रखकर अभ्यास किया। इससे वास्तव में मैच के दौरान सही यार्कर करने में मदद मिली।
शमी ने कहा, मेरा मानना है कि यदि एक गेंदबाज डेथ ओवरों में बेहतर परिणाम हासिल करना चाहता है तो उसकी यार्कर पर महारत होना जरूरी है। डेथ ओवरों में गेंदबाजी भारत की कमजोरी रही है लेकिन शमी ने इंग्लैंड और अब वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम ओवरों में अच्छी गेंदबाजी करके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बड़ी चिंता दूर करने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा, इसके अलावा रिवर्स स्विंग की भूमिका भी अहम होती है। यदि गेंदबाज अच्छी रिवर्स स्विंग हासिल करता है तो फिर वह बल्लेबाज को परेशानी में डाल सकता है। रिवर्स स्विंग पर शाट लगाना आसान नहीं होता है और जब आप अच्छी रिवर्स करते हो तो मजा आता है। मुझे डेथ ओवरों में गेंदबाजी करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं जितनी कम गलतियां करूंगा उतना मेरे लिये बेहतर होगा।
शमी ने कहा कि उन्हें जिम्मेदारियां पसंद हैं और वह पारी के किसी भी मोड़ पर गेंदबाजी करने के लिये तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा, मैं किसी भी तरह की परिस्थिति में गेंदबाजी करने के लिये हमेशा तैयार रहता हूं। चाहे वह नयी गेंद हो या पारी के बीच या फिर डेथ ओवरों में। मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है मैं उसे निभाने के लिये तैयार हूं। तेज गेंदबाज होने के नाते मैं जानता हूं कि नयी गेंद और फिर पारी के आखिर में जिम्मेदारी संभालना बहुत महत्वपूर्ण होता है।