किशोरों की याददाश्त बिगाड़ सकता है स्मार्टफोन, जानिए क्या है कारण
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किशोरों की याददाश्त बिगाड़ सकता है स्मार्टफोन, जानिए क्या है कारण

मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण के संपर्क में लंबे समय तक रहने पर किशोरों के मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के याद्दाश्त संबंधी कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. 

किशोरों की याददाश्त बिगाड़ सकता है स्मार्टफोन, जानिए क्या है कारण

लंदन: मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण के संपर्क में लंबे समय तक रहने पर किशोरों के मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के याद्दाश्त संबंधी कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. ‘इन्वायरनमेंट हेल्थ पर्सपेक्टिव्स ’ में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में यह जानकारी दी गयी है. अध्ययन में स्विट्जरलैंड के करीब 700 किशोरों को शामिल किया गया. स्विस ट्रॉपिकल एंड पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट (स्विस टीपीएच) के वैज्ञानिकों ने संचार के बिना तार वाले उपकरणों के रेडियोफ्रीक्वेंसी विद्युतचुंबकीय क्षेत्र (आरएफ - ईएमएफ) में किशारों के रहने और उनकी याद्दाश्त के बीच संबंधों पर गौर किया.

अध्ययन में पाया गया मोबाइल फोन के इस्तेमाल से साल भर में आरएफ - ईएमएफ के संपर्क से किशोरों की याद्दाश्त पर नकारात्मक अ सर पड़ सकता है. इससे 2015 में प्रकाशित हुए पूर्व के अध्ययनों की भी पुष्टि होती है . 

अब लोगों की जान उनके Smart Phone में होती है
सोशल मीडिया पर पल-पल का Update देखते हैं . आसान भाषा में कहा जाए ये वो लोग हैं जिनके दिमाग को Smart Phone ने अपने वश में कर लिया है . ये बातें सुनकर आपको लग रहा होगा कि हम आपकी ही बात कर रहे हैं . एक सर्वे मुताबिक भारत में 65 प्रतिशत Smart Phone Users को फोन की लत लग चुकी है. इसे वैज्ञानिक भाषा में Smartphone Addiction या Internet Addiction कहा जाता है . और इस तरह की समस्या को दूर करने के लिए आजकल ज़्यादातर देशों में Digital Detox किया जाता है . 

पुराने ज़माने में सांसारिक बंधनों से मुक्ति पाने के लिए लोग वानप्रस्थ ले लेते थे यानी वन में चले जाते थे और वहीं पर कुटी बनाकर रहते थे. अब 21वीं सदी में मोबाइल फोन वाले Wireless बंधन से मुक्ति पाने के लिए, लोग जंगलों में जा रहे हैं. और वहां लकड़ी के छोटे-छोटे घरों में वक़्त बिता रहे हैं. अमेरिका की एक कंपनी ((Getaway)) ने इंटरनेट वाली समस्या को दूर करने के लिए Digital Detox Home तैयार किये हैं. ये Detox Homes...... New York और Boston के आस-पास के जंगलों में बनाए गये हैं ताकि लोगों को प्रकृति के पास रहने का मौका मिले . यहां रहने के लिए शर्त ये है कि घर में प्रवेश करते ही आपको अपना फोन, एक Box में बंद करना होगा और इस दौरान फोन से दूरी बनाकर रखनी होगी. लकड़ी से बने इस घर का आकार 150 से 200 वर्ग फीट हैं  इसका एक दिन का किराया 11 हज़ार रूपये है 

यहां आपको ये भी जानना होगा कि आप Smartphone Addiction से पीड़ित हैं या नहीं ? क्योंकि एक बार लक्षण पता चल जाएं तो इलाज करने में आसानी हो जाती है . एक नये रिसर्च के मुताबिक..अगर आप बार बार अपना स्मार्ट फोन चेक करते हैं..दोस्तों से मुलाकात के दौरान भी अपना मोबाइल फोन दूर नहीं रख पाते. सोते वक्त भी अपने मोबाइल फोन को करीब रखते हैं..और जब ज़रूरत नहीं होती तब भी मोबाइल फोन उठा लेते हैं...तो आप मोबाइल फोन से जुड़े Addiction यानी लत के शिकार हैं.

इसका असर आपके शरीर और मन पर भी पड़ता है. कान से सुनने में परेशानी..गर्दन और उंगलियों में दर्द..घबराहट और बेचैनी जैसी शारीरिक और मानसिक परेशानियां इस लत का नतीजा हो सकती हैं. इस तरह के Addiction के शिकार लोग सोने से पहले एक बार मोबाइल फोन ज़रूर चेक करते हैं और सुबह उठने के बाद, उनका सबसे पहला काम भी मोबाइल फोन चेक करना ही होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत दुनिया का ऐसा दूसरा देश है जहां 60 प्रतिशत लोग सुबह उठने के बाद 5 मिनट के अंदर अपना फोन चेक करते हैं . इस मामले में साउथ कोरिया नंबर एक पर है 

इसके अलावा रात को सोने से पहले भारत के 80 प्रतिशत लोग अपना फोन चेक करके सोते हैं . जबकि करीब 30 प्रतिशत लोग दिनभर में 50 से भी ज़्यादा बार अपना फोन देखते हैं. Pew Research के मुताबिक 44 प्रतिशत लोग अपना मोबाइल फोन बिलकुल अपने तकिये के पास रखकर ही सोते हैं. Public Library of Science के मुताबिक लोग जितना ज़्यादा फेसबुक इस्तेमाल करते हैं..अपनी असल जिंदगी में वो उतने ही ज़्यादा परेशान और निराश रहते हैं भारत में करीब 32 करोड़ लोगों के पास Smartphone हैं. एक अनुमान के मुताबिक 2021 तक भारत में Smartphone का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 81 करोड़ से भी ज़्यादा हो जाएगी. 

आपने देखा होगा कि पुराने ज़माने में राजा..... अपने राजपाट का मोह त्यागकर जंगलों में चले जाते थे . इसे वानप्रस्थ कहा जाता था . आज सूचना क्रांति का दौर है और डिजिटल ज़माने में जंगल जाने का तरीका बदल गया हैं लेकिन तकनीक वही पुरानी है. प्रकृति के नज़दीक जाकर दिमाग को शांति और ताज़गी देना . इससे सीखने वाली बात ये है कि अपने फोन का मोह थोड़ा कम कर दीजिए वर्ना किसी दिन आपको भी जंगल में बने इंटरनेट नशा मुक्ति केंद्र में जाना पड़ सकता है. 

इनपुट आईएएनएस से भी 

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