सनातन धर्म में हमेशा से ही साधु-संतों को ईश्वर की प्राप्ति का एक माध्यम माना जाता रहा है.
अक्सर साधु-संतों को हमने लाल, पीले या फिर केसरिया रंग के वस्त्रों में देखा है
लेकिन नागा साधु या नागा बाबा कभी भी अपने बदन पर कपड़े नहीं पहनतें
कड़कती ठंड़ में भी नागा साधु हमेशा नग्न अवस्था में रहते हैं. अपने शरीर पर नागा बाबा धूनी या फिर भस्म लपेटकर रहते हैं.
नागा बाबाओं का मानना है कि जब इंसान पैदा होता है तब भी वो निर्वस्त्र होता है.
इसका मतलब है कि नागा साधु प्रकृति और प्राकृतिक अवस्था को ही सबसे ज्यादा महत्व देते हैं. यही कारण है कि वो पूरी जिंदगी निर्वस्त्र रहते हैं
इसके अलावा नागा साधु भौतिक चीजों को पूरी तरह से पाखंड मानते हैं.
कम ही लोग जानते हैं कि नागा साधु बनने में 12 साल का लंबा वक्त लग जाता है
एक दिन में नागा साधु 7 घरों से जाकर भिक्षा मांग सकते हैं. भिक्षा नहीं मिली तो उन्हें भूखा ही रहना पड़ता है