रेलवे ट्रैक पर नहीं मिलेंगे पत्थर, मेट्रो की तरह पटरियों पर दौड़ेंगी ट्रेनें

Amitesh Pandey
Nov 30, 2024

Indian Railway

वंदे भारत ट्रेनों पर हो रहे पथराव की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए इंडियन रेलवे ने तोड़ निकाल लिया है. रेलवे अब ट्रैक पर पत्‍थर नहीं बिछाएगा. इसके बाद अराजकतत्‍व ट्रेनों पर पथरबाजी नहीं कर पाएंगे. रेलवे सिंथेटिक स्‍लीपर ट्रैक बिछाने पर विचार कर रहा है.

सिंथेटिक स्‍लीपर लगेंगे

रेलवे के मुताबिक, अब ट्रेन की पटरियों पर पत्‍थर बिछाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसकी जगह अब सिंथेटिक स्लीपर लेंगे.

ट्रैक सुरक्षित रहेगा

सिंथेटिक स्लीपर ट्रेन की पटरियों के बीच में बिछाए जाएंगे. साथ ही यह ट्रैक के आसपास भी डालकर ट्रैक को सुरक्षित करेंगे.

रेलवे अपनाएगा तकनीक

आरडीएसओ में शुरू हुई इनो रेल प्रदर्शनी में इस तकनीक की प्रदर्शनी की गई. रेलवे इस तकनीक को अपना भी सकता है.

रोड बनाने में दिक्‍कत

दरअसल, रेलवे फाटकों के ट्रैक पर अभी तक जो रोड बनाई जाती है, उसे बनाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पटरी को लेवल में बिछाया जा सकेगा

अब रेलवे ट्रैक पर पत्‍थर की जगह रबर पैड लगाए जाएंगे. इससे पटरी को लेवल में बिछाया जाएगा. साथ ही सड़क बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.

खास तकनीक

बता दें कि मेट्रो में इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल पहले से ही हो रहा है. अब इंडियन रेलवे भी इस तकनीक का प्रयोग करेगा.

लखनऊ में प्रयोग किया गया

लखनऊ के दिलकुशा क्षेत्र से गुजरने वाले ट्रैक को लेवल करने के लिए ट्रैक के अंदर और ट्रैक के आसपास रबर पैड बिछाए गए हैं.

पत्‍थरबाजी की घटनाओं पर रोक लगेगी

इसके बाद वहां ट्रैक के अंदर बिछने वाले पत्थरों और आसपास के पत्थरों को भी वहां से हटा दिया गया है. ऐसे में यहां से गुजरने वाली ट्रेनों पर पत्थरबाजी की आशंका खत्‍म हो गई है.

सिंथेटिक स्‍लीपर

रेलवे अधिकारियों ने बताया गया कि सिंथेटिक स्लीपर लेकर आए हैं. साथ ही हाई परफार्मेंस रेल पैड लेकर आए हैं.

लोकल कंटेंट

हाई परफार्मेंस फास्टैनिंग्स है. 100 फीसदी मेक इन इंडिया बफर स्टाफ है. 100 फीसदी लोकल कंटेंट है.

ट्रेन डिरेल की घटनाएं कम होंगी

खास बात यह है कि इस तकनीक के बाद डिरेल की घटनाएं भी कम हो जाएंगी. यह ट्रेन के साथ ही स्‍लाइड होंगी.

यात्री भी सुरक्षित रहेंगे

इस तकनीक का इस्‍तेमाल करने से जहां एक ओर ट्रेन सुरक्षित रहेगा. वहीं, ट्रेन से सफर कर रहे यात्री भी सुरक्षित रहेंगे.

यहां हो रहा इस्‍तेमाल

दिल्ली मेट्रो, लखनऊ मेट्रो, जयपुर मेट्रो, चेन्नई मेट्रो, कानपुर और आगरा मेट्रो में यह तकनीक का इस्‍तेमाल किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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