समुद्र में 8 बच्चों सहित 9 दिनों तक फंसे 76 रोहिंग्या शरणार्थी, मलेशिया पहुंचने की कर रहे थे कोशिश
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समुद्र में 8 बच्चों सहित 9 दिनों तक फंसे 76 रोहिंग्या शरणार्थी, मलेशिया पहुंचने की कर रहे थे कोशिश

संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में हुए व्यापक हमलों को 'जातीय सफाई' करार दिया है, जिनके कारण रोहिंग्या समुदाय को अपने घरों से पलायन करना पड़ा.

सात लाख से भी अधिक रोहिंग्या शरणार्थी अपने घर छोड़कर बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं. (फाइल फोटो)

बेरियून (इंडोनेशिया): इंडोनेशिया के जल क्षेत्र से बचाए गए 76 रोहिंग्या मुस्लिमों के समूह में से एक व्यक्ति ने बताया कि म्यांमार छोड़ने के बाद वेलोग नौ दिन से एक लकड़ी के नाव में समुद्र में थे. ये लोग मलेशिया पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. म्यांमार में रोहिंग्या अल्पसंख्यक समुदाय को अत्याचारों का सामना करना पड़ रहा है. कुल आठ बच्चों, 25 महिलाओं और 43 पुरुषों को सुमात्रा द्वीप के एकेह प्रांत के तट पर शुक्रवार (20 अप्रैल) को बचाकर लाया गया. इस समुदाय के लोगों ने समुद्री रास्ते से म्यांमार छोड़ने के लिए इस महीने में तीसरी बार प्रयास किया है. स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इनमें से कई लोग निर्जलीकरण और थकान से गुजर रहे हैं, इन्हें इलाज की जरूरत है.

  1. रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों में आठ बच्चे, 25 महिला और 43 पुरुष थे.
  2. सुमात्रा द्वीप के एकेह प्रांत के तट पर बचाए गए रोहिंग्या शरणार्थी.
  3. म्यांमार के रखाइन में पिछले साल अगस्त में हिंसा भड़की थी.

संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय के अनुमान के अनुसार म्यांमार में पिछले साल अगस्त में हिंसा भड़कने के बाद से सात लाख से भी अधिक रोहिंग्या शरणार्थी अपने घर छोड़कर बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में हुए व्यापक हमलों को 'जातीय सफाई' करार दिया है, जिनके कारण रोहिंग्या समुदाय को अपने घरों से पलायन करना पड़ा.

म्यांमार में रोहिंग्याओं की घर वापसी के लिये अब भी माहौल अनुकूल नहीं: संयुक्त राष्ट्र
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी मामलों की एजेंसी ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित एवं सम्मानजनक घर वापसी के लिये म्यांमार में अब भी माहौल अनुकूल नहीं है. एजेंसी ने इस बात का उल्लेख किया कि ऐसे माहौल पैदा करने का दायित्व म्यांमार के प्राधिकारियों पर है. शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त और बांग्लादेश सरकार ने 13 अप्रैल को जिनीवा में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को अंतिम रूप दिया. यह ज्ञापन म्यांमार में माहौल अनुकूल होने की स्थिति में रोहिंग्या शरणार्थियों की स्वत: वापसी से संबंधित है.

शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यूएनएचसीआर यह मानता है कि शरणार्थियों की सुरक्षित, सम्मानजनक एवं सतत घर वापसी के लिये म्यांमार में अब भी स्थिति अनुकूल नहीं है. अनुकूल माहौल पैदा करने की जिम्मेदारी वहां के प्राधिकारियों की है और यह निश्चित रूप से हर तरह की सुविधा की व्यवस्था के लिये होने वाली भौतिक संरचनाओं की तैयारी के अलावा होना चाहिए.’’ 

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