अफगानिस्तान: चुनाव से पहले पाकिस्तान ने 2 सीमा पर सभी तरह के यातायात को किया बंद
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अफगानिस्तान: चुनाव से पहले पाकिस्तान ने 2 सीमा पर सभी तरह के यातायात को किया बंद

पाकिस्तान ने युद्धग्रस्त देश में आगामी संसदीय चुनाव सुचारू तरीके से कराये जाने के लिए काबुल के अनुरोध के चलते दो दिनों के लिए अफगानिस्तान से लगे दो मुख्य सीमा द्वारों को शुक्रवार को बंद कर दिया.

दो सीमा द्वारों को सभी तरह के यातायात के लिए बंद कर दिया गया है.(फाइल फोटो)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने युद्धग्रस्त देश में आगामी संसदीय चुनाव सुचारू तरीके से कराये जाने के लिए काबुल के अनुरोध के चलते दो दिनों के लिए अफगानिस्तान से लगे दो मुख्य सीमा द्वारों को शुक्रवार को बंद कर दिया. विदेश अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान सरकार ने 19 और 20 अक्टूबर को चमन और टोरखाम में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर पारगमन मैत्री द्वारों को बंद करने का एक आग्रह किया. एफओ ने बताया, ‘‘देश में आगामी (शनिवार को) संसदीय चुनाव सुचारू तरीके के कराये जाने में अफगानिस्तान को समर्थन देने का निर्णय (द्वार बंद करने का) लिया गया. ’’

उन्होंने आगे बताया कि आपात मामलों को छोड़ कर दोनों पारगमन बिन्दुओं को सभी तरह के यातायात के लिए बंद कर दिया गया है. व्यापार, चिकित्सा उपचार और रिश्तेदारों से मिलने के लिए हर दिन हजारों लोग दोनों देश आते-जाते हैं. उधर अफगानिस्तान ने कंधार प्रांत में अमेरिका-अफगान सुरक्षा बैठक को निशाना बना कर किए गए एक आतंकवादी हमले में एक पुलिस प्रमुख के मारे जाने के बाद प्रांत में संसदीय चुनाव शुक्रवार को टाल दिया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक विशेष बैठक के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि शनिवार को होने जा रहे संसदीय चुनाव एक सप्ताह के लिए टाला जा रहा है.

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र चुनाव आयोग नयी तारीखों की घोषणा करेगा.  गौरतलब है कि सुरक्षा बलों की पोशाक में बृहस्पतिवार को एक बंदूकधारी ने अमेरिका-अफगान सुरक्षा बैठक को निशाना बना कर हमला किया था.इस हमले में अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के कमांडर जनरल स्कॉट मिलर बाल - बाल बच गए, लेकिन कंधार के पुलिस प्रमुख जनरल अब्दुल रजीक मारे गए.  साथ ही, प्रांतीय खुफिया इकाई के प्रमुख और एक अफगान पत्रकार भी इस हमले में मारे गए.  वहीं, 13 अन्य लोग घायल हो गए. इस चुनाव में तीन साल से अधिक की देर हो चुकी है और तालिबान के हमले के बाद मतदान प्रतिशत कम रहने की आंशका जताई जा रही है.

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