बांग्लादेश ने भारत से लगाई गुहार, संयुक्त राष्ट्र में पेश करें रोहिंग्या मुद्दे पर प्रस्ताव
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बांग्लादेश ने भारत से लगाई गुहार, संयुक्त राष्ट्र में पेश करें रोहिंग्या मुद्दे पर प्रस्ताव

बांग्लादेश के मंत्री मुशर्रफ हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश ने मानवीय कारणों से रोहिंग्या समुदाय को आश्रय देने का फैसला किया.

नाफ नदी पार करने के बाद बांग्लादेश के टेकनाफ में रोहिंग्या शरणार्थी. (Reuters/12 Nov, 2017)

कोलकाता: बांग्लादेश के मंत्री मुशर्रफ हुसैन ने शुक्रवार (15 दिसंबर) को यहां कहा कि उनका देश चाहता है कि म्यांमार रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस ले और वह भारत से उम्मीद करता है कि वह इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश करे. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश जैसे गरीब देश के लिए यह संभव नहीं कि वह लंबे वक्त तक म्यांमार से बड़ी संख्या में आए रोहिंग्या शरणार्थियों का भरण पोषण कर सके . बांग्लादेश के आवासीय एवं लोक निर्माण मंत्री ने कहा, ‘‘हम चाहेंगे कि भारत संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश करके म्यांमार से रोहिंग्या लोगों को बांग्लादेश से वापस बुलाने का आह्वान करे क्योंकि हम उन्हें अपने सीमित संसाधनों के साथ हमेशा नहीं रख सकते.’’

  1. छह लाख से अधिक मुस्लिम रोहिंग्या म्यांमार छोड़कर जा चुके हैं. 
  2. 25 अगस्त को म्यांमार सेना की कार्रवाई के बाद यह रोहिंग्या देश छोड़ने को मजबूर हुए.
  3. पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में बने अस्थायी शिविर में रोहिंग्या शरण लिए हुए हैं.

हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश ने मानवीय कारणों से रोहिंग्या समुदाय को आश्रय देने का फैसला किया. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम उन्हें वापस धकेलते तो वे मारे जाते.’’ म्यांमार में विद्रोहियों के खिलाफ सेना के अभियान के बाद रोहिंग्या समुदाय के करीब छह लाख 20 हजार सदस्य बांग्लादेश पहुंचे थे. मंत्री 1971 में पाकिस्तान पर भारत की जीत और 16 दिसंबर को बांग्लादेश के आजाद होने का जश्न मनाने के लिए अपने देश के 72 सदस्यीय प्रतिनिधियों का नेतृत्व कर रहे हैं.

'म्यांमार हिंसा के पहले ही महीने में 6,700 रोहिंग्या मुसलमानों ने गंवाई जान'

इससे पहले डॉक्टर्स विदआउथ बॉर्डर्स (एमएसएफ) ने गुरुवार (14 दिसंबर) को बताया कि म्यांमार के रखाइन राज्य में विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के पहले ही महीने में कम से कम 6,700 रोहिंग्या मुसलमान मारे गए थे. यह कार्रवाई अगस्त के आखिर में शुरू हुई थी. एमएसएफ के आंकड़े सर्वाधिक अनुमानित मृतक संख्या हैं. रखाइन राज्य में हिंसा 25 अगस्त को शुरू हुई और इसने बड़ा शरणार्थी संकट खड़ा कर दिया जब तीन महीने में 620,000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से बांग्लादेश चले गए थे. संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने सैन्य अभियान को मुस्लिम अल्पसंख्यकों का जातीय सफाया बताया था लेकिन हिंसा में मरने वालों की अनुमानित संख्या जारी नहीं की थी.

एमएसएफ ने बृहस्पतिवार (14 दिसंबर) को बताया कि कम से कम भी अनुमान लगाए तो भी 6,700 रोहिंग्या हिंसा में मारे गए थे. इनमें पांच साल से कम उम्र के 730 बच्चे भी शामिल हैं. समूह की यह पड़ताल रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में 2,434 से ज्यादा घरों पर किए गए छह सर्वेक्षण से सामने आई है. ये सर्वेक्षण एक माह में किए गए थे. समूह के मेडिकल निदेशक सिडनी वॉन्ग ने कहा कि हम म्यांमार में हुई हिंसा के पीड़ितों से मिले तथा बात की. वे बांग्लादेश में क्षमता से अधिक भरे तथा गंदे शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.

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