अब प्‍लास्टिक कचरे से मिल सकेगी निजात, वैज्ञानिकों ने खोजा उपाय
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अब प्‍लास्टिक कचरे से मिल सकेगी निजात, वैज्ञानिकों ने खोजा उपाय

पेटेज नामक एंजाइम प्‍लास्टिक की रासायनिक संरचना को तोड़कर उसे बुनियादी स्‍वरूप में तब्‍दील करता है. इससे प्‍लास्टिक को गुणवत्‍ता के साथ बार-बार इस्‍तेमाल किया जा सकता है.

अब प्‍लास्टिक कचरे से मिल सकेगी निजात, वैज्ञानिकों ने खोजा उपाय

नई दिल्‍ली : प्‍लास्टिक कचरा दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है. हर देश इस समस्‍या से परेशान है. प्‍लास्टिक कचरे के कारण गंदगी तो फैलती ही है, साथ ही इसका दुष्‍प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता है. वैज्ञानिक इस प्‍लास्टिक कचरे से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने एक ऐसा एंजाइम विकसित किया है, जो प्‍लास्टिक की रासायनिक संरचना को तोड़कर उसे उसके बुनियादी स्‍वरूप में बदल देता है. इससे वैज्ञानिकों को प्‍लास्टिक रिसाइकिल करने में मदद मिलेगी. इस प्रक्रिया से प्‍लास्टिक को बार-बार उसके बुनियादी स्‍वरूप में बदला जा सकता है. इससे प्‍लास्टिक कचरे में कमी आएगी और प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल बार-बार किया जा सकेगा. पेटेज नामक यह एंजाइम वैज्ञानिकों ने अचानक ही विकसित किया है. इस एंजाइम का परीक्षण जापान के रिसाइकिलिंग प्‍लांट में किया गया.

  1. यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के शोधकर्ताओं ने किया शोध
  2. अब प्‍लास्टिक को गुणवत्‍ता के साथ बार-बार इस्‍तेमाल किया जा सकेगा
  3. शोध के दौरान प्राकृतिक बैक्‍टीरिया ताकतवर एंजाइम में तब्‍दील हो गया

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ और अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी नेशनल रेन्‍यूवेबल एनर्जी लैबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने संयुक्‍त शोध में अचानक ही इस एंजाइम को विकसित किया है. शोधकर्ताओं ने जापान के रिसाइकिलिंग सेंटर में प्‍लास्टिक खाने वाले प्राकृतिक बैक्‍टीरिया पर की जा रही एक्‍सरे डिफ्रैक्‍शन प्रक्रिया के दौरान इस बैक्‍टीरिया को अचानक से विकसित किया गया है. उनके शोध के दौरान प्राकृतिक बैक्‍टीरिया ताकतवर एंजाइम में तब्‍दील हो गया. इस एंजाइम का नाम पेटेज है. पेटेज सामान्‍य रूप से इस्‍तेमाल होने वाली पॉलीइथाइलीन टेरेफेथैलेट (पीईटी) नामक प्‍लास्टिक की रासायनिक बनावट को तोड़ने में सक्षम है और उसे उसके बुनियादी स्‍वरूप में बदलने में भी सक्षम है. पीईटी को पानी और कोल्‍ड ड्रिंक्‍स की बोतलें बनाने में इस्‍तेमाल किया जाता है. इन्‍हें इस्‍तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है, जिससे कचरा फैलता है. यह नॉन बायोडेग्रेडेबल होने के कारण पर्यावरण को खतरा पहुंचाते हैं.

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समुद्र में भी तेजी से फैल रहा है प्‍लास्टिक कचरा.  (फाइल फोटाेे)

मौजूदा समय में प्‍लास्टिक की जो रिसाइकिलिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसमें प्‍लास्टिक बोतलों को निम्‍न क्‍वालिटी के पदार्थ और उत्‍पाद में रिसाइकिल किया जाता है जैसे कार्पेट और अन्‍य उत्‍पाद. इस समय दो तरह के पीईटी हैं. वर्जिन ग्रेड और रिसाइकिल पीईटी (आरपीईटी). वर्जिन ग्रेड पीईटी कच्‍चे तेल से प्राप्‍त होता है. इसका इस्‍तेमाल प्‍लास्टिक बोतलें बनाने में होता है. लेकिन आरपीईटी को किसी बड़े व टिकाऊ उत्‍पाद बनाने में इस्‍तेमाल नहीं किया  जाता और एक समय के बाद यह अनुपयोगी हो जाता है. ऐसे में इसे कचरे के रूप में या लैंडफिल के रूप में फेंक दिया जाता है. जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. लेकिन शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किए गए पेटेज से इसे भी बुनियादी रासायनिक संरचना में तब्‍दील किया जा सकेगा. जिनका इस्‍तेमाल किसी भी टिकाऊ और उपयोगी प्‍लास्टिक उत्‍पाद बनाने में किया जा सकेगा.

शोधकर्ताओं के अनुसार जब पीईटी से बनी प्‍लास्टिक बोतलों को एकत्र किया जाता है तो उन्‍हें वापस प्‍लास्टिक बोतलों में रिसाइकिल नहीं किया जा सकता. अभी इस तरह की जो प्रकिया है उसमें बोतलों को रिसाइकिल करके बोतलें बनाने से उनकी गुणवत्‍ता कम हो जाती है. इसलिए निर्माता उन्‍हें ना इस्‍तेमाल करके वर्जिन पीईटी को तवज्‍जो देते हैं. लेकिन इस नए एंजाइम पेटेज से प्‍लास्टिक बोतलों को गुणवत्‍ता के साथ रिसाइकिल किया जा सकता है. हर साल सिर्फ ब्रिटेन में प्‍लास्टिक की 30 अरब बोतलें इस्‍तेमाल होती हैं. इनमें से केवल 57 फीसदी ही रिसाइकिल होती हैं. जबकि आधे से अधिक बोतलें कचरे के रूप में फेंक दी जाती हैं. समुद्र में भी बड़ी मात्रा में प्‍लास्टिक कचरा फेंका जाता है. पांच देश समुद्र में सर्वाधिक कचरा फेंकते हैं. इनमें चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और श्रीलंका हैं. चीन हर साल करीब 24 लाख टन प्‍लास्टिक कचरा समुद्र में फेंकता है. यह पूरे विश्‍व के लिहाज से 28 फीसदी है.

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