अमेरिका से टक्कर लेने के लिए चीन कर रहा है तैयारी, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
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अमेरिका से टक्कर लेने के लिए चीन कर रहा है तैयारी, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

चीन सक्रिय रूप से लंबी दूरी के बमवर्षकों के अपने बेड़े को विकसित कर रहा है और अमेरिका को लक्षित करने वाले मिशनों के लिए अपने पायलटों को 'संभावित' प्रशिक्षण दे रहा है. 

एक नई पेंटागन रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.(फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: चीन सक्रिय रूप से लंबी दूरी के बमवर्षकों के अपने बेड़े को विकसित कर रहा है और अमेरिका को लक्षित करने वाले मिशनों के लिए अपने पायलटों को 'संभावित' प्रशिक्षण दे रहा है.  एक नई पेंटागन रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. 'सीएनएन' ने गुरुवार को रिपोर्ट के हवाले से बताया, "पिछले तीन वर्षों में पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) ने अपनेओवरवॉटर बॉम्बर ऑपरेटिंग एरिया का तेजी से विस्तार किया है.  वह महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्रों में अनुभव हासिल कर रहा है और अमेरिका और संबद्धित लक्ष्यों के खिलाफ हमलों का संभावित प्रशिक्षण ले रहा है. " कांग्रेस की रिपोर्ट भी बीते सालों के दौरान चीनी सैन्य विकास का विवरण देती है. 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन अपने लंबी दूरी के बमवर्षकों के लिए परमाणु क्षमता पर भी काम कर रहा है.  रिपोर्ट के अनुसार, चीन एक परमाणु वितरण के साथ एक गोपनीय, लंबी दूरी के रणनीतिक हथियारों का विकास कर रहा है जो अगले 10 वर्षों में परिचालित हो सकते हैं.  

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टकराव की वजह से अमेरिका के साथ चीन के व्यापार को लगा इतने का झटका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन से आयातित उत्पादों पर शुल्क लगाने से जुलाई महीने में अमेरिका के साथ चीन के व्यापार अधिशेष में कमी आई है. आधिकारिक आंकड़ों में यह गिरावट देखने की मिली है. चीन के सीमा-शुल्क विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में चीन का व्यापार अधिशेष घटकर 28.1 अरब डॉलर रह गया, जो जून में 28.9 अरब डॉलर था.

अमेरिका और चीन के बीच हर साल 650 अरब डॉलर के सामान और सेवाओं का कारोबार होता है. आर्थिक जानकारों के मुताबिक यह दो देशों के बीच यह दुनिया का सबसे बड़ा कारोबारी संबंध है. कारोबारी टकराव की वजह से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने का आशंका है. अमेरिकी उद्योग जगत ने दोनों देशों के बीच चल रहे इस टकराव को लेकर आलोचना की है और कहा कि इससे अमेरिका में कारोबार करने की लागत और बेरोजगारी बढ़ेगी.

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे इस कारोबारी विवाद का भारत को फायदा मिलता दिख रहा है। हाल में चीन ने भारत समेत पांच एशियाई देशों से सोयाबीन के आयात को शुल्क मुक्त करने का ऐलान कर दिया था. अभी चीन के लिए अमेरिका सोयाबीन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. भारत भी चीन पर भारतीय उत्पादों के लिए बाजार खोलने का लगातार दबाव बना रहा है. भारत ने विशेष रूप से आइटी और फार्मास्यूटिकल के लिए बाजार खोलने की अपील की है. उल्लेखनीय है कि विश्व की दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार मोर्चे पर टकराव जारी है. दोनों देशों ने एक-दूसरे के उत्पादों पर एक बार फिर शुल्क लगाने की घोषणा की. इसमें बीते जुलाई में अमेरिका ने चीन के 34 अरब डॉलर के सामानों पर 25 फीसदी का टैरिफ (शुल्क) लगाया था. इसके बाद चीन ने अमेरिका पर दबाव डालने का आरोप लगाया था और कहा था कि कि बदले में भी वह भी अमेरिकी सामानों पर इतना ही टैरिफ लगाएगा.

इनपुट भाषा से भी  

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