पड़ोसियों के साथ मैत्री संधियों पर दस्तखत को चीन तैयार : शी
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पड़ोसियों के साथ मैत्री संधियों पर दस्तखत को चीन तैयार : शी

विश्वास बनाने के लिए पड़ोसी देशों के साथ मैत्री संधियों पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार होने का संकेत देते हुए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 40 अरब अमेरिकी डॉलर के विशेष कोष के तहत ‘रेशम मार्ग’ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू करने की एक कार्य योजना पेश की।

पड़ोसियों के साथ मैत्री संधियों पर दस्तखत को चीन तैयार : शी

बीजिंग : विश्वास बनाने के लिए पड़ोसी देशों के साथ मैत्री संधियों पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार होने का संकेत देते हुए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 40 अरब अमेरिकी डॉलर के विशेष कोष के तहत ‘रेशम मार्ग’ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू करने की एक कार्य योजना पेश की।

उन्होंने देश के दक्षिणी द्वीप हेनान में हुए चीन प्रायोजित ‘बोआओ फोरम फॉर एशिया’ सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘चीन ने मैत्री की संधियों पर आठ पड़ोसी देशों के साथ हस्ताक्षर किया है। चीन द्विपक्षीय संबंधों का मजबूत समर्थन करने और क्षेत्र में समृद्धि एवं स्थिरता के लिए अपने सभी पड़ोसियों के साथ ऐसी संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है।’

‘एक पड़ोसी दूर के किसी रिश्तेदार से अच्छा होता है’ इस पुरानी कहावत का जिक्र करते हुए शी ने कहा कि एशिया के सागरों को शांति के सागर में तब्दील किया जाना चाहिए। उन्होंने एशिया के लिए एक साझा, व्यापक और सतत एवं सहकारी सुरक्षा की अपील की। नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव और श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना सहित विश्व के करीब 15 नेता बैठक में शरीक हुए।

माइक्रोसाफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स, टाटा ग्रुप के सेवामुक्त अध्यक्ष रतन टाटा के अलावा अन्य देशों से 1800 अधिकारी और कारोबारी भी शरीक हुए। भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिनिधित्व नहीं था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ब्रिक्स न्यायमूर्ति फोरम में शरीक हुए जो ‘बोआओ फोरम’ से इतर आयोजित हुआ। सम्मेलन में कांफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष खेशर दत्ता ने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

आस-पड़ोस की कूटनीति पर जोर देते हुए शी ने अपनी महत्वाकांक्षी रेशम मार्ग एवं समुद्री रेशम सड़क (एमएसआर) परियोजनाओं के सिद्धांतों, ढांचे और सहकारी प्राथमिकताओं तथा तंत्र को रेखांकित करते हुए दस्तावेज पेश किया। ऐतिहासिक रेशम मार्ग चीन को मध्य एशिया होते हुए यूरोप से जोड़ेगा। साथ ही यह प्रस्तावित परियोजना बांग्लादेश चीन-भारत-म्यामांर गलियारा (बीसीआईएम) तथा पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारा को भी जोड़ेगा। पाकिस्तान-चीन-भारत गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरेगा।

एमएसआर का लक्ष्य चीन के बंदरगाहों को वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका, यूनान और केन्या से जोड़ना है। यह कहा गया कि रेशम मार्ग पहल के तहत आने वाले बरसों में सड़क, ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी और औद्योगिक पार्क खोले जाने हैं। भारत बीसीआईएम में भाग ले रहा है लेकिन वह हिंद महासागर में चीन के प्रभुत्व पर अपनी सामरिक चिंता को लेकर एमएसआर में शामिल नहीं है।

श्रीलंका में डेढ़ अरब डॉलर की चीन की प्रथम एमएसआर परियोजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि वहां की नयी सरकार ने इसे स्थगित कर दिया था। यह भी कहा गया कि चीन शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रेशम मार्ग में आने वाले देशों को चीन हर साल 10,000 सरकारी छात्रवृत्ति मुहैया करेगा। शी ने मुक्त व्यापार समझौतों के साथ एशियाई आर्थिक एकीकरण की भी अपील की।

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