डेनिस मुकवेगे ने हिंसा पीड़ित महिलाओं को समर्पित किया अपना नोबेल शांति पुरस्कार
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डेनिस मुकवेगे ने हिंसा पीड़ित महिलाओं को समर्पित किया अपना नोबेल शांति पुरस्कार

डेनिस मुकवेगे और यजीदी कार्यकर्ता नादिया मुराद को विश्वभर के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में यौन हिंसा के खिलाफ काम करने को लेकर वर्ष 2018 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए शुक्रवार को चुना गया.

मुकवेगे ने कहा कि उन्होंने बलात्कार और यौन हिंसा की पीड़ित लगभग 50,000 महिलाओं का ऑपरेशन किया.(फोटो-@NobelPrize)

बुकावु: नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे गए कांगो के चिकित्सक डेनिस मुकवेगे ने यह पुरस्कार दुनिया भर की उन महिलाओं को समर्पित किया, जिन्होंने युद्ध की विभीषिका झेली है और जो हर दिन हिंसा का सामना करती हैं. डेनिस मुकवेगे और यजीदी कार्यकर्ता नादिया मुराद को विश्वभर के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में यौन हिंसा के खिलाफ काम करने को लेकर वर्ष 2018 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए शुक्रवार को चुना गया. मुकवेगे ने पूर्वी डीआर कांगो के बुकावु शहर में स्थित अपने अस्पताल के बाहर कहा, ‘‘ यह नोबेल पुरस्कार उन महिलाओं के लिए काम करने को लेकर है जो विश्व के सभी देशों में यौन उत्पीड़न एवं दुष्कर्म का शिकार बनती हैं और जिन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया है. '

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मुकवेगे युद्ध से तबाह हुए डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों में दो दशक से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से निकालने के काम में लगे हुए हैं. उन्होंने हिंसा की शिकार महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह पुरस्कार दिखाता है कि दुनिया इन महिलाओं को सुन रही है. मुकवेगे ने कहा कि उन्होंने बलात्कार और यौन हिंसा की पीड़ित लगभग 50,000 महिलाओं का ऑपरेशन किया.  

कांगो की महिलाओं के जख्मों को भरने वाला साहसी डॉक्टर
कांगों गणराज्य में यौन शोषण और दुष्कर्म की शिकार महिलाओं के जख्मों को ठीक करने और उन्हें मानसिक आघात से बाहर निकालने के सतत प्रयासों के लिए उन्हें ‘‘डॉक्टर मिरेकल’’ के नाम से पुकारा जाता है. डेनिस मुकवेगे को इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है. वह दो दशक से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से निकालने के काम में लगे हुए हैं. 2015 में उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘द मैन हू मेंड्स विमन’ आई थी. पांच बच्चों के पिता मुकवेगे युद्ध के दौरान महिलाओं के शोषण के मुखर विरोधी हैं.

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उन्होंने 2016 में एएफपी से कहा था, ‘‘हम रसायनिक हथियार, जैविक हथियार और परमाणु हथियारों के खिलाफ लक्ष्मण रेखा खींच पाए हैं, आज हमें दुष्कर्म को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर भी रोक लगानी चाहिए. ’’ मुकवेगे ने फ्रांसीसी में अपनी आत्मकथा ‘‘प्ली फोर लाइफ’’ भी लिखी है जिसमें उन्होंने अपने पैतृक दक्षिण कीव प्रांत में ऐसे हादसों का जिक्र किया है जिन्होंने बकावू में ‘पांजी’ अस्पताल खोलने के लिए उन्हें मजबूर किया.

इनपुट भाषा से भी 

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