भारत को राफेल बिक्री पर पेरिस में सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक
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भारत को राफेल बिक्री पर पेरिस में सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक

फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री संबंधी पांच अरब डॉलर के करार की बारिकियों पर सोमवार को पेरिस में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। फ्रांसीसी सूत्रों ने बताया कि ऐलिसी पैलेस में ओलोंद, उनके शीर्ष अधिकारियों और राफेल विमानों की विनिर्माता कंपनी देसाल्ट ऐविएशन के अधिकारियों के बीच बैठक होगी।

भारत को राफेल बिक्री पर पेरिस में सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक

पेरिस (नई दिल्ली) : फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री संबंधी पांच अरब डॉलर के करार की बारिकियों पर सोमवार को पेरिस में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। फ्रांसीसी सूत्रों ने बताया कि ऐलिसी पैलेस में ओलोंद, उनके शीर्ष अधिकारियों और राफेल विमानों की विनिर्माता कंपनी देसाल्ट ऐविएशन के अधिकारियों के बीच बैठक होगी।

फ्रांस की अपनी चार दिवसीय यात्रा रविवार को संपन्न करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय वायुसेना की महत्वपूर्ण संचालनात्मक जरूरत को देखते हुए जल्द से जल्द 36 राफेल विमानों की आपूर्ति करने के लिए फ्रांस से कहा था। उन्होंने विमानों को ऐसी स्थिति में सौंपे जाने को कहा था जिससे कि वह तुरंत उड़ान भर सकें।

यह करार दोनों देशों की सरकारों के बीच होगा। सूत्रों ने बताया, ‘जब दोनों नेताओं ने राफेल के बारे में बातचीत की तो उस समय भारतीय या फ्रांसीसी पक्ष की ओर से कोई मौजूद नहीं था। सब को सोमवार को विस्तार से बताया जाएगा कि क्या बातचीत हुई तथा इस पर चर्चा होगी कि इसे आगे कैसे ले जाया जाए।’ रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि दो साल में 36 राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि दो साल का समय सही है क्योंकि अंतिम करार पर बातचीत और उस पर हस्ताक्षर करने की जरूरत है। साथ ही विमानों के निर्माण में भी समय लगेगा। देसाल्ट संयंत्र की क्षमता प्रति वर्ष 36 विमानों के उत्पादन की है और इस विमान के भारतीय संस्करण को उसकी जरूरतों के अनुरूप तैयार करना होगा।

सूत्रों ने विमानों की आपूर्ति के लिए विशेष समय सीमा तय किए जाने के साथ ही कहा, ‘फ्रांस के पास पहले से ही मिस्र की ओर से 24 राफेल विमानों का आर्डर है जिसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना है।’ इसमें एक विकल्प यह तलाशा जा रहा है कि फ्रांसीसी सेना के आर्डर को रोक कर इन विमानों को भारत की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया जाए।

बैठक में एक अन्य मुद्दा कीमतों का भी रहेगा और साथ ही इस पर भी विचार किया जाएगा कि क्या फ्रांसिसी सरकार भारत को विमानों की आपूर्ति कम कीमत पर करने के लिए देसाल्ट को कोई कर छूट या किसी अन्य तरह की छूट उपलब्ध कराएगी। मोदी और ओलोंद ने उन शर्तों पर विमानों की आपूति के लिए अंतर. सरकारीय समझौते को संपन्न करने पर सहमति जतायी थी जो देसाल्ट एविएशन की शर्तों से बेहतर और एमएमआरसीए टेंडर से अलग प्रक्रिया होगी।

फ्रांस में आम धारणा यह है कि 36 विमानों का आर्डर 126 विमानों के लिए एमएमआरसीए टेंडर से अलग है जिसके बारे में उनका मानना है कि उस पर बातचीत जारी रहेगी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 36 विमान एमएमआरसीए करार के अतिरिक्त होंगे या इन्हें जारी वार्ता के भीतर ही समायोजित किया जाएगा। मूल करार के तहत 18 विमानों की आपूर्ति की जानी थी तथा बाकी 108 का निर्माण सरकारी हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जाना था।

बातचीत कीमत तथा देसाल्ट द्वारा एचएएल द्वारा विनिर्मित किए जाने वाले विमानों की गारंटी से इंकार करने को लेकर रूकी पड़ी है। शुरुआत में एमएमआरसीए करार दस अरब डॉलर का था लेकिन अब इसकी कीमत बढ़कर 20 अरब डॉलर हो चुकी है।  मीडियम मल्टी रोल कोम्बेट एयरक्राफ्ट के लिए सूचना के लिये अनुरोध (आरएफआई) 2001 में और प्रस्ताव के लिये अनुरोध (आरएफपी) 2007 में जारी की गयी। राफेल का चयन 2012 में किया गया था।

भारतीय रक्षा मंत्रालय के साथ ही वायुसेना के अधिकारी भी 36 राफेल विमानों के सौदे के बारे में बहुत अधिक नहीं बता सके। उनका कहना था कि इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा देखा जा रहा है। 36 राफेल विमान भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी सफलता होंगे लेकिन इससे बल की घटती वायु शक्ति का मुकाबला करने में मदद नहीं मिलेगी।

भारतीय वायुसेना की अनुमोदित क्षमता 42 स्क्वाड्रनों की है लेकिन इस समय इसमें केवल 34 स्क्वाड्रन हैं। आने वाले सालों में पुराने पड़ चुके मिग 21 और मिग 27 को चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने से समस्या और बढ़ जाएगी। रक्षा सूत्रों ने नई दिल्ली में बताया, ‘समस्या गंभीर है क्योंकि विमानों को हटाए जाने से उत्पन्न होने वाली कमी को पूरा करने के लिए नए विमानों को शामिल करने की जरूरत है। इसके साथ ही वांछित स्तर तक हमारी क्षमता को बढ़ाने के लिए भी नए विमानों की जरूरत है।’ शनिवार को पर्रिकर ने कहा था कि 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए फा्रंस के साथ समझौता होने से भारतीय वायुसेना को कुछ ‘राहत की सांस’ मिलेगी।

भारतीय वायुसेना राफेल, स्वदेशी तकनीक पर आधारित हल्के लड़ाकू विमान ध्रुव और रूस से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान सौदे से आस लगाए बैठी है। सभी तीनों परियोजनाएं समय से पीछे चल रही हैं।

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