अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा करने के संबंध में अपनी भूमिका के बारे में जानता है और वह अस्तित्व की इस लड़ाई में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है।
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वॉशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा करने के संबंध में अपनी भूमिका के बारे में जानता है और वह अस्तित्व की इस लड़ाई में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है।
ओबामा ने अलास्का के एंकोरेज में ‘एट द ग्लोबल लीडरशिप इन द आर्कटिक: कोऑपरेशन, इनोवेशन, इंगेजमेंट एंड रिजिलियंस (ग्लेशियर) कांफ्रेंस’ को संबोधित करते हुए कहा, मैं विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवथा के नेता के रूप में आज यहां आया हूं और यह दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। अमेरिका इस समस्या को पैदा करने में अपनी भूमिका को जानता है और हम इसे सुलझाने में हमारी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं। हमें भरोसा है कि हम इसे सुलझा सकते हैं।
उन्होंने विश्व के देशों से जलवायु परिवर्तन से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया और कहा, यह अच्छी बात है। हालांकि हमने जो नुकसान कर दिया है, हम उस स्थिति को बदल नहीं सकते लेकिन हमारे पास अपूरणीय क्षति को रोकने के साधन हैं। हमारे पास वैज्ञानिक सोच और तकनीकी नवोन्मेष है। ओबामा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हर गुजरते साल के साथ और खतरनाक हो जाएगा। उन्होंने चीन और अमेरिका के बीच गत वर्ष हुए समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका उत्सर्जन कम करने की अपनी गति दोगुनी करेगा और चीन ने अपने देश में उत्सर्जन कम करने की पहली बार प्रतिबद्धता जताई है।
इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए चेताया कि समुद्र के स्तर और तापमान में भारी बदलाव शरणार्थियों का ज्वार पैदा कर सकता है। शरणार्थी अपने पारंपरिक घरों को छोड़ने और जल एवं भोजन के लिए लड़ने पर मजबूर होंगे। केरी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा होने वाली चुनौती से निपटने के लिए प्रतिबद्धता जताने को कहा।
उन्होंने कहा, जलवायु का वह खतरा अब दूर नहीं है जिससे हमारे बच्चों एवं उनके बच्चों को चिंता हो।.. यह अब हो रहा है। केरी ने कहा कि समुद्र के स्तर और तापमान में भारी बदलाव से प्रतिबिंबित होने वाला जलवायु परिवर्तन जल्द ही उन नए शरणार्थियों की लहर पैदा कर सकता है जो अपने पारंपरिक घरों को छोड़ने या भोजन एवं पानी के लिए लड़ने को मजबूर होंगे।
विदेश मंत्री ने कहा, और देशों के नेताओं के तौर पर हम जलवायु परिवर्तन के कारण बढने वाले शरणार्थियों की समस्या को देखेंगे। आपको लगता है कि चरमपंथ के कारण यूरोप में आव्रजन आज एक चुनौती है। अभी तो आप देखना कि आगे क्या होगा? जब पानी नहीं होगा, भोजन नहीं होगा या लोग केवल जिंदा रहने के लिए एक दूसरे से लड़ेंगे। केरी ने कहा, यदि वैश्विक समुदाय इस चुनौती से निपटने के लिए एकजुट नहीं होगा, तो विश्व के इस हिस्से में हम जलवायु परिवर्तन का जो नाटकीय प्रभाव देख रहे हैं, वे विश्व के हर हिस्से में देखने को मिलेंगे।