हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन ने बढ़ाया दायरा तो अमेरिका और भारत ने मिलाया हाथ
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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन ने बढ़ाया दायरा तो अमेरिका और भारत ने मिलाया हाथ

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा अपनी उपस्थिति बढ़ाए जाने के बीच, भारत और अमेरिका ने अपनी पहली ‘‘टू प्लस टू’’ वार्ता के दौरान क्षेत्र में समुद्र और आसमान को सुरक्षित बनाने के लिए जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों के साथ संवाद पर चर्चा की. 

चीन संसाधनों से समृद्ध लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है.(फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा अपनी उपस्थिति बढ़ाए जाने के बीच, भारत और अमेरिका ने अपनी पहली ‘‘टू प्लस टू’’ वार्ता के दौरान क्षेत्र में समुद्र और आसमान को सुरक्षित बनाने के लिए जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों के साथ संवाद पर चर्चा की. ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह सितंबर को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ अहम वार्ता की थी. चीन संसाधनों से समृद्ध लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है वहीं वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान का भी क्षेत्र पर दावा है.

दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए दोनों देशों की दृष्टि के संदर्भ में चीन पर चर्चा हुई. ’’ अमेरिका का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में करीब 1.4 अरब डालर का कारोबार है वहीं उसका प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करीब 850 अरब डालर का है.

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वेल्स ने कहा कि ‘टू प्लस टू’ वार्ता के दौरान इस बात पर चर्चा हुयी कि हम किस प्रकार द्विपक्षीय, जापान के साथ त्रिपक्षीय और आसियान तथा आस्ट्रेलिया के साथ चतुर्पक्षीय रूप से समुद्रों और आसमान की सुरक्षा, सुशासन और आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं. वेल्स ने कहा कि वेल्स ने कहा कि अमेरिका और भारत क्षेत्रीय विकास के लिए चीन के योगदान का स्वागत करते हैं, जब तक वह उच्च मानकों का पालन करता है जहां पारदर्शिता, कानून का शासन और सतत वित्तपोषण है.

उन्होंने कहा कि लेकिन इसके बजाय हम जो देखते हैं, वह क्षेत्र के विकास के लिए अर्थपूर्ण योगदान के लिए निजी क्षेत्रों के उपयोग का अवसर है. 

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