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संयुक्त राष्ट्र : भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर लाए गए मसौदा प्रस्ताव के प्रावधानों के खिलाफ यह कहकर मतदान किया कि गैर परमाणु संपन्न देश के रूप में संधि में शामिल होने का ‘कोई सवाल ही नहीं है।’
प्रसार नेटवर्कों के जरिए बढ़ रहे परमाणु तथा जनसंहार के अन्य हथियारों के खतरों पर गंभीर चिंता जताते हुए 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा की निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों से जुड़ी प्रथम समिति ने कल एक मसौदा प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसमें आग्रह किया गया कि जिन देशों ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं, वे हस्ताक्षर करें और समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को मंजूर करें।
प्रस्ताव को संपूर्ण रूप में स्वीकार करने से पहले क्रियात्मक परिच्छेद खंड सहित प्रावधानों पर मतदान हुआ जिसके जरिए महासभा उन देशों का आह्वान करेगी जो गैर परमाणु देश के रूप में एनपीटी में शामिल नहीं हुए हैं। प्रावधान के पक्ष में रिकॉर्ड 164 वोट पड़े, जबकि भारत, इस्राइल और लोकतांत्रिक गणराज्य कोरिया ने इसके खिलाफ मतदान किया।
भारत ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान का कारण बताते हुए कहा कि वह गैर परमाणु संपन्न देश के रूप में एनपीटी को मंजूर करने के आह्वान को स्वीकार नहीं कर सकता। भारत ने कहा, ‘एनपीटी पर भारत की स्थिति जगजाहिर है। गैर परमाणु संपन्न देश के रूप में एनपीटी में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। परमाणु हथियार भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा हैं और रहेंगे।’
समिति ने तब ‘परमाणु मुक्त विश्व की दिशा में : परमाणु निरस्त्रीकरण प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन को तेज करने’ के विषय पर एक प्रस्ताव पर चार रिकॉर्डेड वोट लिए। टेक्स्ट को 166 मतों के साथ संपूर्ण रूप से मंजूरी मिल गई, जबकि सात देशों-भारत, कोरिया, फ्रांस, इस्राइल, रूसी संघ, ब्रिटेन और अमेरिका ने इसका विरोध किया।
प्रस्ताव में एक अन्य प्रावधान के जरिए महासभा ने परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार का लक्ष्य हासिल करने में एनपीटी की आधारभूत भूमिका पर जोर दिया और भारत, इस्राइल तथा पाकिस्तान से संधि को तत्काल गैर परमाणु संपन्न देशों के रूप में स्वीकार करने और सभी परमाणु प्रतिष्ठानों को आईएईए के मानकों के दायरे में लाने को कहा। प्रावधान के पक्ष में 163 वोट पड़े, जबकि भारत, इस्राइल, अमेरिका और पाकिस्तान ने इसका विरोध किया। मतदान की अपनी व्याख्या में भारत ने कहा कि वह परमाणु हथियारों के संपूर्ण खात्मे के लक्ष्य के प्रति कटिबद्ध है ।
इसने कहा, ‘हम परमाणु हथियारों के अस्तित्व के लगातार मौजूद रहने और उनके संभावित इस्तेमाल या इस्तेमाल की धमकी से मानवता को व्याप्त खतरे को लेकर चिंतित हैं। भारत इस दृष्टिकोण को भी साझा करता है कि परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार पारस्परिक रूप से एक-दूसरे को सुदृढ़ बनाने वाले कारक हैं। हम वैश्विक, प्रमाणन योग्य और गैर भेदभावकारी समयबद्ध परमाणु निरस्त्रीकरण कार्यक्रम चाहते हैं।’