उनमें बिस्तर साझा करने के कारण होने वाली आकस्मिक अनपेक्षित शिशु मौत (एसयूआईडी) की दर सबसे कम है.
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ह्यूस्टन: अमेरिका के न्यूजर्सी राज्य में जातीय समूहों के बीच, बच्चों को साथ में सुलाने वाले भारतीय मूल के अमेरिकियों का प्रतिशत सबसे अधिक है लेकिन उनमें बिस्तर साझा करने के कारण होने वाली आकस्मिक अनपेक्षित शिशु मौत (एसयूआईडी) की दर सबसे कम है. यह जानकारी रटगर्स बायोमेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज के अध्ययन में सामने आई है.
आमतौर पर अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, बिस्तर साझा करने को एसयूआईडी में एक उच्च जोखिम कारक मानती है. एसयूआईडी में एक साल तक की उम्र के बच्चों की आकस्मिक मौत, दुर्घटनावश दम घुटना, बिस्तर पर गला दब जाना, बीमारी और अन्य अज्ञात कारण शामिल हैं. शोधकर्ताओं ने इस स्थिति के लिए जिन कारकों को जिम्मेदार माना है उनमें भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों की, बच्चों की तरफ पीठ कर सोने की आदत भी शामिल है.
रटगर्स रॉबर्ट वुड जॉन्सन मेडिकल स्कूल में बाल चिकित्सा की एक प्रोफेसर बारबरा ओस्टफेल्ड ने बताया, ‘‘एसयूआईडी के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाने वाले कारकों में धूम्रपान करना, मद्यपान करना और मां की थकान आदि हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय मूल के अमेरिकी अन्य लोगों की तुलना में कम शराब पीते हैं और धूम्रपान भी कम करते हैं. इसके अलावा बच्चों की देखभाल में दादा-दादी बहुत सक्रिय होते हैं जिसे कारण मां को कम थकान होती है. बिस्तर साझा करने के अलावा, गरीबी भी एसयूआईडी का खतरा बढ़ाती है जबकि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों की आमदनी अच्छी खासी है.’’
यह अध्ययन न्यूजर्सी पीडियाट्रिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन के दौरान शोधार्थियों ने न्यूजर्सी में जन्मे, एशियाई भारतीय वंश के 83,000 बच्चों की 15 साल से अधिक अवधि तक मृत्यु दर तथा इस आबादी के सोने के तरीकों पर गौर किया.
परिणामों से पता चला कि एशियाई भारतीय वंश की अमेरिका में जन्मी जिन महिलाओं को सर्वे में शामिल किया गया था उनमें से 97 फीसदी ने बच्चों के लिए पालना का उपयोग किया. जबकि बच्चों के लिए पालने का उपयोग करने वाली विदेशी महिलाओं की संख्या 69 फीसदी थी.
(इनपुट: भाषा एजेंसी)